उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP election 2022) के पहले चरण में 11 जिलों की 58 सीटों पर गुरुवार को मतदान हो चुका है. पहले चरण में कुल 623 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है, जिनमें 74 महिलाएं भी मैदान में हैं.
इस चरण में कई दिग्गज नेताओं के बेटे-बेटियां भी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में किसी के सामने अपने दादा की विरासत बचाने की चुनौती है तो किसी के सामने अपने पिता की राजनीतिक साख को बरकरार रखने की चिंता है. पहले चरण में यूपी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के सदस्य चुनाव में है तो कई सांसद और पूर्व मंत्री व विधायक के बेटे भी ताल ठोक रहे हैं.
कल्याण सिंह का पोता मैदान में है
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता कल्याण सिंह की तीसरी पीढ़ी सियासी मैदान में है. अलीगढ़ जिले की अतरौली विधानसभा सीट से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे संदीप सिंह पूर्व सीएम कल्याण सिंह के पोते और एटा के मौजूदा सांसद राजवीर सिंह के बेटे हैं. 2017 के चुनाव में पहली बार अतरौली सीट से जीतकर विधायक और मंत्री बने थे. एक बार फिर से अतरौली सीट से बीजेपी उम्मीदवार संदीप सिंह मैदान में है, जिनके खिलाफ सामने सपा से वीरेश यादव, बसपा से प्रत्याशी ओमवीर सिंह मैदान में है जबकि कांग्रेस से धर्मेंद्र कुमार किस्मत आजमा रहे हैं. सपा को आरएलडी का समर्थन है.
राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चुके केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा सीट से दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. पंकज सिंह के खिलाफ सपा ने सुनील चौधरी को उतारा है तो कांग्रेस ने पंखुड़ी पाठक और बसपा ने कृपाराम शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. पंकज सिंह ने 2017 में नोएडा सीट से चुनावी पारी का आगाज किया था और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस बार उनके सामने विपक्षी दलों ने जबरदस्त तरीके से चक्रव्यूह रचा है. इस सीट पर ब्राह्मण वोटों के समीकरण को देखते हुए कांग्रेस और बसपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है तो बसपा ने गुर्जर प्रत्याशी उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है.
पंकज मलिक बनाम सलमान सईद
पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर की चरथावल विधानसभा सीट पर दो दिग्गज नेताओं के बेटे आमने-सामने मैदान में है. सपा के टिकट पर चुनाव में उतरे पंकज मलिक के सामने अपने पिता पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक की सियासी विरासत को बढ़ाने की चुनौती है तो उनके सामने बसपा से सलमान सईद हैं, जो पूर्व सांसद सईदुज्जमा के बेटे हैं. हरेंद्र मलिक पश्चिमी यूपी में जाट समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं और पंकज मलिक दो बार विधायक रह चुके हैं. वहीं, सईदुज्जमा मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. सपा प्रत्याशी पकंज मलिक के खिलाफ बीजेपी से सपना कश्यप प्रत्याशी हैं तो कांग्रेस से यासमीन राणा किस्मत आजमा रही हैं. 2017 में यहां से बीजेपी के टिकट पर विजय कुमार कश्यप ने जीत दर्ज की थी.
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नाहिद हसन बनाम मृगांका सिंह
पश्चिमी यूपी के शामली जिले की कैराना विधानसभा सीट पर दो सियासी परिवार के राजनीतिक वारिसों के बीच सियासी जंग है. सपा से मौजूदा विधायक नाहिद हसन मैदान में है, जिनके पिता मुनव्वर हसन से लेकर मां तबस्सुम हसन तक सांसद रहे हैं. वहीं, इसी सीट पर बीजेपी से मृगांका सिंह चुनावी मैदान में उतरी हैं, जो पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी हैं. मृगांका यहां से दो बार चुनाव हार चुकी हैं. एक बार नाहिद हसन ने मात दी थी तो एक बार उनकी मां ने हराया था. इस तरह एक बार फिर से दोनों नाहिद और मृगांका आमने-सामने हैं. कैराना सीट पर नाहिद के खिलाफ बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सिंह उपाध्याय और कांग्रेस प्रत्याशी हाजी अखलाक हैं. 2017 के चुनाव में सपा के टिकट पर नाहिद हसन यहां से विधायक बने थे.
बागपत सीट: अहमद हमीद
बागपत जिले में भले ही चौधरी चरण सिंह की सियासी तूती बोलती रही है, लेकिन बागपत विधानसभा सीट पर नवाब परिवार का कब्जा रहा है. नवाब परिवार की तीसरी पीढ़ी के अहमद हमीद बागपत सीट से आरएलडी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. बागपत सीट पर बीजेपी से मौजूदा विधायक योगेश धामा के सामने आरएलडी से अहमद हमीद, बसपा से अरुण कसाना और कांग्रेस से अनिल देव त्यागी प्रत्याशी हैं.
आरएलडी प्रत्याशी अहमद हमीद अपने दादा शौकत हमीद और पिता कोकब हमीद की सियासी विरासत बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस सीट से कोकब हमीद पांच बार विधायक रहे हैं, लेकिन पिछले दो चुनाव से नवाब परिवार को मात खानी पड़ रही है. 2017 के चुनाव में बीजेपी से योगेश धामा ने जीत दर्ज की थी. लेकिन किसान आंदोलन के चलते इस बार रालोद को सियासी संजीवनी मिली है. जाट-मुस्लिम समीकरण के जरिए अहमद हमीद अपने पिता की सियासी विरासत को दोबारा से बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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मो. युनूस बनाम प्रदीप चौधरी
बुलंदशहर सदर विधानसभा सीट पर आरएलडी के टिकट से चुनावी मैदान में उतरते मोहम्मद युनूस के सामने अपने भाई मोहम्मद अलीम की सियासी विरासत को बरकरार रखने की चुनौती है. मो. अलीम इस सीट से दो बार लगातार विधायक रहे हैं और 2017 के चुनाव में मोदी लहर में उन्हें बीजेपी के वीरेंद्र सिंह सिरोही ने मात दी थी. हाजी अलीम का निधन हो गया है और उनके छोटे भाई मो. युनूस चुनावी मैदान में है.
बुलंदशहर सीट पर वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के बाद प्रदीप चौधरी उपचुनाव में विधायक बने थे. इस बार बीजेपी ने प्रदीप चौधरी को उतारा है, जिनके खिलाफ रालोद से मो. युनूस, बसपा से कल्लू कुरैशी और कांग्रेस से इस सीट पर सुशील चौधरी मैदान में है. ऐसे में देखना है कि हाजी युनूस क्या अपने भाई की तरह विधानसभा पहुंचते हैं कि नहीं?
मेरठ कैंट सीट पर अहलावत
मेरठ कैंट विधानसभा सीट पर आरएलडी के टिकट पर मनीषा अहलावत चुनावी मैदान में है, जो मेरठ के सरधना के पूर्व विधायक चंद्रवीर सिंह की बेटी हैं. मनीषा अहलावत के खिलाफ बीजेपी ने अमित अग्रवाल को उतारा है तो बसपा ने अमित शर्मा और अवनीश काजला को प्रत्याशी बनाया है. 2017 में यह सीट बीजेपी के सत्यप्रकाश अग्रवाल ने जीती थी. वो चार बार मेरठ कैंट सीट विधायक रहे है, लेकिन इस पार्टी ने इस उनकी जगह अमित अग्रवाल को उतारा है.
फतेहाबाद सीट पर रुपाली दीक्षित
आगरा की फतेहाबाद विधानसभा सीट पर सपा के टिकट पर रुपाली दीक्षित चुनावी मैदान में उतरी है. रुपाली दीक्षित के पिता माफिया बाहुबली और गैंगस्टर अशोक दीक्षित, मूल रूप से फिरोजाबाद के रहने वाले हैं. वो फतेहाबाद सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत नहीं मिली. अशोक दीक्षित जेल में बंद और सपा काट रहे हैं. ऐसे में उनकी बेटी रुपाली सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी है, जिनके सामने बीजेपी से छोटेलाल वर्मा, बसपा से शैलेंद्र प्रताप सिंह उर्फ शैलू और कांग्रेस से होतम सिंह निषाद मैदान में है.