उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी चरम पर है. भाजपा के रथ को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन की चर्चा जोरों पर है. मगर रविवार को कहानी में ट्विस्ट तब आया जब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और जयंत की लखनऊ के एयरपोर्ट पर मुलाकात की तस्वीर वायरल हो गई. मुलाकात इत्तेफाक थी या आयोजित इस पर सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी. सोमवार को अखिलेश यादव ने मीडिया को कहा कि सपा और रालोद का गठबंधन तय है सिर्फ सीटों का बंटवारा होना है.
दरअसल जयंत चौधरी पार्टी के मैनिफेस्टो लांच के लिए रविवार को लखनऊ में थे. मगर अखिलेश हरदोई में चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त थे और उनसे मिल नहीं पाए. सूत्रों के मुताबिक लगभग 22 सीटों पर रालोद और सपा के बीच सहमति बन गई है. चौधरी अजीत सिंह के निधन की सहानुभूति और किसान आंदोलन ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद की दावेदारी को मजबूत करने का काम किया है. ऐसे में रालोद सहारनपुर , बागपत और मथुरा के बाहर भी सीटों पर नजरें गड़ाए है.
रालोद को लगता है कि मुस्लिम और जाट समेत उसको और भी हिन्दू वोट मिलेंगे. ऐसे में बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, मेरठ , मुरादाबाद पर भी उसकी नज़र है. दरअसल 2019 के लोक सभा चुनाव में रालोद को बसपा-सपा गठबंधन के बीच तीन सीट दिलाने में अखिलेश यादव का लीड रोल रहा. अब बात 10 सीटों पर अटकी है. रालोद 35 सीटों की मांग कर रही है और सपा की कोशिश है कि 25 सीटों में बात बन जाये.
इस बीच सपा ने कांग्रेस के पंकज मलिक को पार्टी में शामिल किया है. पंकज शामली से 2007,2012 में कांग्रेस के विधायक रहे हैं और उनके पिता हरेंद्र मलिक राज्यसभा में कांग्रेस के सांसद. सरा लोधी उस पर पैनी नजर है क्योंकि कहीं ना कहीं उसको लगता है कि आपसी समझौते में सपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना वजन बढ़ाने की कोशिश कर रही है . इसी कड़ी में हाल ही में सपा ने बसपा के नेता क़ादिर राणा को शामिल किया.
पूरा मामला अखिलेश और जयंत की मुलाकात पर टिका है. बताया जा रहा है कि दिवाली के बाद दोनों की मुलाकात होगी. मगर इस बीच प्रियंका से जज की मुलाकात ने गठबंधन की गणित में छौंक लगा दी है . किसको मालूम था कि सारा मामला चाट के चक्कर का था. चुनावी मौसम में कुछ भी हो सकता है और खासतौर से अगर कांग्रेस के प्लेन में रालोद के नेता जयंत चौधरी उड़ेंगे तो उसके सियासी मायने निकाले जाएंगे.