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UP Election: ताकि न बन जाए ममता का 'नंदीग्राम', यूपी में सबसे सेफ सीट पर ही दांव लगा रहे दिग्गज

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट पर शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरना महंगा पड़ा था. ऐसे में यूपी के दिग्गज नेता सेफ गोल खेल रहे हैं और सबसे सुरक्षित सीट से चुनावी किस्मत आजमाने जा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ेंगे तो अखिलेश यादव अपने गढ़ मैनपुरी के करहल सीट से किस्मत आजमाएंगे.

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अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल से लड़ेंगे चुनाव
  • योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से उतरेंगे
  • केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी के सिराथू से प्रत्याशी हैं

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दिग्गज सेफ गेम खेल रहे हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट पर मिली हार से यूपी के बड़े नेताओं ने सबक लिया है. यही वजह है सियासी दिग्गज न तो कठिन सीट पर चुनाव लड़ने का साहस दिखा रहे हैं और न ही एक दूसरे के आमने-सामने ताल ठोक रहे हैं. योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य से लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक सभी ने सेफ सीट से ही चुनावी किस्मत आजमाने का फैसला किया है. 

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बता दें कि पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी अपनी परंपरागत भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम सीट से लड़ी थीं. ममता नंदीग्राम सीट पर अपने पूर्व सहयोगी और बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी थीं. नंदीग्राम सीट पर दो दिग्गज नेताओं के आमने-सामने से उतरने से बंगाल चुनाव में सबसे हार्ड सीट बन गई थी. शुभेंदु अधिकारी का मजबूत गढ़ होने से नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी को हार का मुंह देखना पड़ा था. 

ममता बनर्जी की नंदीग्राम सीट पर मिली हार से लगता है कि यूपी के नेताओं ने सबक लिया है. योगी आदित्यनाथ अपने गृह जनपद गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे, जो बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. योगी के तर्ज पर केशव प्रसाद मौर्य भी अपनी पुरानी सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. ऐसे ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी सपा के गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी जिले की करहल सीट से किस्मत आजमाएंगे. सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना पहला विधानसभा चुनाव मैनपुरी की करहल सीट से लड़ेंगे. 

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करहल सीट पर अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल सीट से चुनाव लड़ेंगे. सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है और पिछले तीन चुनाव से लगातार सपा के सोबरन सिंह यादव जीत रहे हैं. 1985 से यादव समाज के नेताओं का कब्जा है, 2002 में बीजेपी सेसोबरन सिंह जीते थे और उन्होंने सपा का दामन थाम लिया था. मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र में आता है, जहां मोदी लहर में भी सपा को 47 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी यहां तीसरे नंबर पर रही है, इससे यह समझा जा सकता है कि यह सीट सपा के लिए कितनी मुफीद है. 

करहल विधानसभा क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या 1.25 लाख के आसपास है. जातीय समीकरणों के लिहाज से करहल सीट सपा के लिए मजबूत किला की तरह है. यादव के बाद शाक्य और दलित वोटर काफी अहम है, तो ठाकुर वोट भी ठीक ठाक हैं. सपा के लिए यह सीट काफी सेफ मानी जा रही है. यहां से अखिलेश यादव उतरते हैं तो उन्हें बहुत ज्यादा मशक्कत भी नहीं करना पड़ेगा. 

वहीं, अखिलेश यादव के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने का असर आसपास के अन्य जिलों में देखने को मिलेगा. इस सीट पर चुनाव लड़ने से कानपुर और आगरा मंडल की कई सीटों के साथ ही फिरोजाबाद, एटा, औरैया, इटावा, कन्नौज समेत कई सीटों पर असर हो सकता है, क्योंकि ये जिले एसपी के गढ़ माने जाते हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी ने पूरे यादव बेल्ट में बेहतर प्रदर्शन किए थे. ऐसे में अखिलेश के यहां से मैदान में उतरना पार्टी के लिए कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है. 

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गोरखपुर के रण में योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ भी पहली बार विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए उतर रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अपने लिए सबसे सेफ सीट माने जाने वाली गोरखपुर सदर से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ पांच बार एमपी रहे हैं और अब सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. गोरखपुर सदर सीट पर बीजेपी का लंबे समय से कब्जा है और यहां प्रत्याशी चाहे जो हो गोरखनाथ मंदिर जिसके साथ है, यहां के लोग उसी के साथ हैं. ऐसे में अब तो गोरखनाथ मंदिर के महंत ही मैदान में है. 

1989 से बीजेपी का गोरखपुर सीट पर कब्जा है. गोरखपुर सदर सीट पर करीब 4.50 लाख वोटर हैं, जिनमे सबसे अधिक कायस्थ वोट 95 हजार हैं. ब्राहम्ण 55 हजार, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 25 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार इसके अलावा पंजाबी, सिंधी, बंगाली और सैनी कुल मिलाकर करीब 30 हजार वोटर हैं. गोरखपुर सदर ऐसी सीट है जहां पर लाख कोशिश करने के बाद भी सारी पार्टियों का जातीय समीकरण बिगड़ जाता है. इसकी वजह यह है कि सभी जातियों के वोटर चुनाव में जाति को देखकर नहीं बल्कि गोरखनाथ मंदिर यानी योगी आदित्यनाथ के नाम पर वोट देते हैं. 

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सिराथू से केशव मौर्य लड़ेंगे चुनाव

उत्तर प्रदेश डिप्टीसीएम केशव प्रसाद मौर्य भी विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाएंगे. ऐसे में वो कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहां से 2012 में वो पहली बार विधायक बने थे. सिराथू सीट ओबीसी बाहुल मानी जाती है, यहां कुर्मी और मोर्य समाज का वोटर निर्णायक भूमिका में है, लेकिन दलित वोटर किसी भी दल के खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है. हालांकि, केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद कौशांबी को माना जाता है और पिछले दो साल से इस सीट पर सक्रिय हैं, जिसके चलते काफी सेफ सीट मानी जा रही है, लेकिन सपा और बसपा ने उन्हें घेरने की कवायद में है. 

 

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