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विधानसभा चुनाव: क्या यूपी में प्रियंका गांधी को मिलेगा ब्राह्मणों का आशीर्वाद?

कांग्रेस तीन दशक से ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी सूबे में अपने खोए हुए सियासी जनाधार को वापस लाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं और उनकी नजर ब्राह्मण वोटों पर है. वह हाल ही में बांदा में ब्राह्मण परिवार के 14 वर्षीय अमन त्रिपाठी की मां से मिलीं जिसकी एक महीने पहले हत्या कर दी गई थी.

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अमन त्रिपाठी की मां को सीने से लगाए प्रियंका गांधी
अमन त्रिपाठी की मां को सीने से लगाए प्रियंका गांधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमन त्रिपाठी की मां को प्रियंका ने गले लगाया
  • यूपी में ब्राह्मण वोट क्या कांग्रेस से साथ जुड़ेगा
  • प्रियंका गांधी सूबे में ब्राह्मणों को जोड़ने में जुटीं

उत्तर प्रदेश के बांदा में अमन त्रिपाठी की नृशंस हत्या हुए एक महीने से ज्यादा गुजर गए हैं. बेटे अमन के अस्थि कलश को अपने सीने से लगाकर इंसाफ के लिए अनशन पर बैठी मां मधु त्रिपाठी को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का साथ मिला है. उन्होंने अमन की मां को गले से लगाकर इंसाफ की लड़ाई में  परिवार का साथ देने का पूरा भरोसा दिलाया है. 

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अमन का परिवार बीजेपी से जुड़ा होने के बाद भी न्याय के लिए डेढ़ महीने से दर-दर भटक रहा है. परिवार की मांग है कि मामले की सीबीआई जांच हो, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाए. ऐसे में ब्राह्मण चेतना समिति ने भी इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसके बाद ब्राह्मण परिवार को इंसाफ दिलाने के लिए प्रियंका गांधी भी मैदान में उतर गई हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि 2022 के यूपी चुनाव में क्या प्रियंका गांधी को ब्राह्मणों का आशीर्वाद मिलेगा? 

अमन त्रिपाठी की मां को प्रियंका ने सीने से लगाया

प्रियंका गांधी शनिवार को महोबा पहुंचीं. वह हेलीपैड पर अमन की मां से मिलीं और गले लगाकर उनका दुख बांटा. इसके बाद प्रियंका ने अमन की हत्या का मुद्दा उठाते हुए योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा. प्रियंका ने कहा, 'अमन त्रिपाठी की बर्बर तरीके से हत्या की गई है. अमन की मां एक महीने से न्याय मांग रही है, लेकिन अपराधियों को राजनीतिक सरंक्षण दिया जा रहा है. उन्हें न्याय का हक है.' 

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कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'योगी आदित्यनाथ जी अपराधियों को संरक्षण देना बंद करिए और अमन के हत्या की सीबीआई की जांच तुरंत कराइए. बहुत हो गया है. पूरा प्रदेश देख रहा है कि यूपी की न्याय व्यवस्था ख़त्म हो रही है.' प्रियंका ने अमन के परिवार के साथ मजबूती से खड़े होकर यूपी की ब्राह्मण समुदाय को बड़ा सियासी संदेश देने की कवायद की है, जो एक समय कांग्रेस का परंपरागत वोटर माना जाता है. 

32 सालों से सत्ता से बाहर है कांग्रेस 

बता दें कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछले 32 साल से सत्ता से बाहर है. साल 1989 में सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी के पास कोई वोट बैंक नहीं है. कभी दलित और मुसलमानों में मजबूत पैठ रखने वाली कांग्रेस का वोट बैंक बिखर चुका है. ब्राह्मण वोटर भी कांग्रेस से छिटककर बीजेपी और दूसरे दलों के साथ चला गया है. ऐसे में प्रियंका गांधी ने सक्रिय राजनीति में कदम रखने और यूपी की जिम्मा संभालने के बाद से ही कांग्रेस के कोर वोटबैंक ब्राह्मण-मुस्लिम-दलित को एकजुट करने में लगी हैं.

यूपी की सत्ता तक पहुंचने के लिए कांग्रेस को अपने वोट फीसदी में कम से सात गुना इजाफा करना होगा. साल 2017 के चुनाव में सपा से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस को सिर्फ 6 फीसदी वोट मिले थे. इसे 40 फीसदी तक ले जाना होगा. प्रियंका गांधी सूबे के ब्राह्मणों को वापस कांग्रेस के पाले में लाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुट गई हैं. 

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प्रियंका ने महोबा से ब्राह्मणों को दिया संदेश

प्रियंका गांधी ने अमन त्रिपाठी हत्याकांड को उठाकर बुंदेलखंड से बड़ा संदेश दिया है. इसे 2022 के चुनाव और ब्राह्मणों को वापस कांग्रेस में लाने के नजरिए भी देखा जा रहा है. वहीं, प्रियंका भी इस बात को समझ चुकी हैं कि यूपी की सत्ता में वापसी करना है तो अपने कोर वोटबैंक को सबसे पहले जोड़ना होगा. इसीलिए सूबे में कहीं भी ब्राह्मणों के साथ नाइंसाफी हो रही है तो प्रियंका गांधी आवाज उठाने से पीछे नहीं हट रही हैं. इतना ही नहीं प्रियंका ने प्रमोद तिवारी, राजीव शुक्ला, राजेश मिश्र और आरधना मिश्रा जैसे ब्राह्मण चेहरों को भी यूपी के चुनावी रण में उतार रखा है. 

कांग्रेस को ब्राह्मण के साथ सभी का आशीर्वाद

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि कांग्रेस जातिवाद की राजनीति नहीं करती है. कांग्रेस को ब्राह्मणों के साथ-साथ सर्व समाज का आशीर्वाद मिल रहा है. प्रियंका गांधी बिना भेदभाव जाति धर्म के आगे बढ़कर अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. अमन त्रिपाठी परिवार को न्याय दिलाने के लिए प्रियंका गांधी उसी तरह से लड़ रही हैं, जैसे हाथरस की दलित बेटी और लखीमपुर के किसानों के साथ खड़ी थीं. योगी सरकार में कोई भी समाज सुरक्षित नहीं. 

वह कहते हैं कि अमन त्रिपाठी की बर्बर तरीके से हत्या हुई है और परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है. ऐसे में प्रियंका और कांग्रेस पार्टी ने अमन के इंसाफ की लड़ाई लड़ने का बीड़ा उठाया. ब्राह्मणों के साथ-साथ अन्य जाति और धर्म के लोगों का समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी किसी जाति या धर्म की नहीं बल्कि सभी समाज को लेकर चल रही है. 

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प्रियंका के साथ नहीं जाएगा ब्राह्मण-बीजेपी

वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव कहते हैं कि ब्राह्मण हमेशा सनातन संस्कृति का उपासक रहा है. देश में सभ्यता और संस्कृति के उपासक ब्राह्मण रहे हैं. ब्राह्मण हिंदू संस्कृति को लेकर प्रियंका गांधी की क्या भावना है. ब्राह्मण बाखूबी समझ रहा है. प्रियंका गांधी कितनी भी मेहनत कर लें, लेकिन उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण उनके साथ नहीं जाने वाला. ब्राह्मण सदैव उस दल के साथ रहा है, जो भारत की सभ्यता, परंपरा, मान्यता और आस्था की बात करता है. यह काम बीजेपी कर रही है. ऐसे में सूबे का ब्राह्मण समुदाय बीजेपी को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला है. 

यूपी में 10 फीसदी ब्राह्मण वोटर 
उत्तर प्रदेश में भले ही 10 फीसदी ब्राह्मण वोटर हों, लेकिन ब्राह्मणों का प्रभाव समाज में इससे कहीं अधिक है. ब्राह्मण समाज राजनीतिक हवा बनाने में सक्षम है. 1990 से पहले तक सत्ता की कमान ज्यादातर ब्राह्मण समुदाय के हाथों रही है. कांग्रेस के राज में ज्यादातर सीएम ब्राह्मण समुदाय के बने, लेकिन बीजेपी के उदय के साथ ब्राह्मणों का कांग्रेस से मोहभंग हुआ. ऐसे में यूपी में जिस भी पार्टी ने पिछले तीन दशक में ब्राह्मण कार्ड खेला, उसे सियासी तौर पर फायदा मिला. ब्राह्मणों को इस बार साथ लेने की तमाम पार्टियां कोशिश कर रही हैं तो कांग्रेस भी अपने पुराने और परंपरागत ब्राह्मणों वोटों के से सत्ता में वापसी के जतन में जुटी है. 

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ब्राह्मणों पर सभी दलों की निगाहें

वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कहते हैं कि ओवैसी खुद को सियासत की लैला बता रहे हैं, जिसके कई मजनू हैं. लेकिन, यह बात सूबे में ब्राह्मण समुदाय पर ज्यादा लागू होती है, जिसके कई मजनू हैं. बीजेपी कह रही है कि ब्राह्मण उसे छोड़कर जाएंगे नहीं. सपा-बसपा उन्हें अपने पाले में लाने के लिए बाहें फैला रखे हैं. कांग्रेस के साथ सारी साहनुभूति रखने के बाद भी ब्राह्मण सियासी तौर पर मजबूर हैं. ब्राह्मण कांग्रेस के साथ उन्हीं सीटों पर जाएगा, जहां पर मजबूत कैंडिडेट होंगे और जीतने की स्थिति में दिख रहे होंगे. ब्राह्मण प्रियंका गांधी को आशीर्वाद देने और साथ आने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस खुद को मजबूत दिखा सके और लड़ती हुई नजर आए तो. 

बुंदेलखंड में ब्राह्मण की पसंद कांग्रेस

कलहंस कहते हैं कि प्रियंका गांधी का अमन त्रिपाठी के परिवार से मुलाकात करना ब्राह्मण समाज को सियासी संदेश देने की कोशिश है. बुंदेलखंड की राजनीति स्थिति पूर्वींचल और पश्चिम यूपी से अलग है. यहां सपा का बहुत ज्यादा सियासी आधार नहीं है. इस इलाके में एक समय कांग्रेस, बसपा और अब बीजेपी मजबूत है. नब्बे के बाद भी बुंदेलखंड में कांग्रेस को सीटें मिलती रही हैं और ब्राह्मण नेता जीतकर आते रहे हैं. बुंदेलखंड में कांग्रेस का ब्राह्मण कार्ड सफल हो सकता है, क्योंकि बाकी विपक्षी दल वहां कमजोर हैं. इसके अलावा प्रदेश के दूसरे इलाकों में ब्राह्मण अभी फिलहाल कांग्रेस के साथ नहीं जाता दिख रहा. 

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ब्राह्मण सरकार बनाने का श्रेय लेना चाहेगा
 
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक योगेश मिश्रा कहते हैं कि ब्राह्मण बहुत ही समझदार और सियासी तौर पर चतुर कौम है. ब्राह्मण उसी के साथ जाएगा, जो पार्टी सत्ता में आने और सरकार बनाने की भूमिका में होगी. कांग्रेस अभी यूपी में सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिख रही है. ऐसे में ब्राह्मण वेट एंड वाच की भूमिका में है और वो टेक्टिकल वोटिंग पैटर्न अपना सकता है. सपा इस बार चुनाव में फाइट करती दिख रही है. ऐसे में वो श्रेय लेने के लिए सपा के साथ जा सकता है, क्योंकि ब्राह्मण चाहेगा कि सूबे में जो भी सरकार बने, उसमें उसकी क्रेडिट हो. 

योगेश मिश्रा कहते हैं कि प्रियंका गांधी का ध्यान 2022 के चुनाव से ज्यादा 2024 के चुनाव पर दिख रहा है. इसीलिए कांग्रेस अभी सिर्फ सूबे में सिर्फ अपने आपको खड़े करने पर फोकस कर रही है और इसी तरह से प्रियंका सक्रिय रही हैं तो उसे विकल्प बनने से कोई रोक नहीं सकता. यह बात जरूर है कि इस बार कांग्रेस को ब्राह्मण आशीर्वाद दे रहा है, लेकिन वोट उन्हीं सीटों पर देगा जहां वो जीतने की स्थिति में होगी. 

उत्तर प्रदेश में इन तीस साल से भी ज्यादा अरसे के बाद प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस की जनसभाओं में बड़ी संख्या में भीड़ जुट रही है. हालांकि, जनसभाओं में जुटती यह भीड़ कांग्रेस के लिए चुनौती बनती जा रही है, क्योंकि पार्टी के पास भीड़ को वोट में बदलने के लिए जमीनी स्तर पर संगठन नहीं है.  पार्टी के पास जिताऊ उम्मीदवारों का भी अभाव है. ऐसे में ब्राह्मणों का इस बार के चुनाव में कांग्रेस के प्रति झुकाव की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं दिख रही, लेकिन प्रियंका गांधी मंदिर से लेकर मठ तक पहुंच रही हैं. 

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