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सचिन पायलट को सम्मान दिलाने में जुटीं प्रियंका गांधी, यूपी चुनाव में दे सकती हैं सिंधिया वाला रोल

सीएम गहलोत के दिल्ली दौरा और प्रियंका गांधी की सक्रियता के बाद अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का रोड़मैप तैयार कर लिया गया है. गहलोत-पायलट के बीच सुलह और समझौता के पीछे प्रियंका गांधी का सियासी मकसद छिपा हुआ है. पायलट की नाराजगी को दूर कर प्रियंका गांधी यूपी के चुनावी मैदान में उन्हें उतारकर कैश कराने का प्लान बनाया है. 

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सचिन पायलट और प्रियंका गांधी
सचिन पायलट और प्रियंका गांधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गहलोत-पायलट में समझौता करने में जुटीं प्रियंका
  • पायलट को पश्चिम यूपी में कांग्रेस करेगी सक्रिय
  • सचिन पायलट ने एक महीने में चार दौरे किए

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे समय से चल रही सियासी टशन को कांग्रेस हाईकमान जल्द से जल्द खत्म कराना चाहता है. सीएम गहलोत के दिल्ली दौरा और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की सक्रियता के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का रोड़मैप तैयार कर लिया गया है. गहलोत-पायलट के बीच सुलह और समझौता के पीछे प्रियंका गांधी का सियासी मकसद छिपा हुआ है. पायलट की नाराजगी को दूर कर प्रियंका गांधी यूपी के चुनावी मैदान में उन्हें उतारकर कैश कराने का प्लान बनाया है. 

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आवास पर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ लंबी बैठक की. इस सचिन पायलट सुबह केसी वेणुगोपाल के साथ मुलाकात की थी. हालांकि, प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ दूसरी बार बैठक हुई है, उससे साफ है कांग्रेस नेतृत्व अब इस मामले में बहुत देर नहीं करना चाहता है. 

पायलट को सम्मान दिलाने में जुटीं प्रियंका 

दरअसल, राजस्थान के मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी के आवास पर एक महीने के अंदर दूसरी बार कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन के साथ पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ मिले हैं. माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी चाह रही है कि सचिन पायलट को जल्द से जल्द उचित सम्मान देकर कांग्रेस में संगठन में उन्हें सक्रिय किया जाए. 

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प्रियंका गांधी कांग्रेस की महासचिव के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं, मगर राजस्थान की राजनीति में उनकी सक्रियता को देखते हुए साफ है कि वो यूपी से बाहर भी कांग्रेस की राजनीति में दखल देना शुरू कर दिया है. हालांकि, साथ ही यह भी है कि प्रियंका गांधी भले ही सचिन पायलट की पैरवी कर रही हो, लेकिन उनके निशाने पर उत्तर प्रदेश का 2022 विधानसभा चुनाव है. 

यूपी में प्रियंका गांधी की साख दाव पर

यूपी में अपनी हालत सुधारने के लिए कांग्रेस जी-तोड़ मेहनत करती हुई नजर आ रही है, लेकिन बीजेपी और सपा के बीच सीधी होती लड़ाई के चलते हालत जस के तस बने हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस कशमकश में फंसी हुई है कि कैसे पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की छवि और लोकप्रियता को बचाए रखा जाए.

2022 के चुनाव में कांग्रेस बेहतर नहीं कर पाई तो उसका सीधा असर प्रियंका गांधी पर पड़ेगा. ऐसे में कांग्रेस पश्चिम यूपी के इलाके में सचिन पायलट को सक्रिय कर रही है, जहां एक समय जिम्मा ज्योतिरादित्य सिंधिया के कंधों पर था. हालांकि, सिंधिया अब कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके हैं और मोदी सरकार में मंत्री हैं. 

पायलट ने एक महीने में चार दौरे किए

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सचिन पायलट ने पिछले एक महीने में उत्तर प्रदेश के चार दौरे कर चुके हैं. लखनऊ और कानपुर में प्रेस काफ्रेंस के अलावा संभाल के कल्कि पीठ में संतों को संबोधित किया तो अपने पैतृक गांव नोएडा के वेदपुरा पहुंचकर गोवर्धन पूजा कार्यक्रम में शामिल हुए. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी जब लखीमपुर खीरी कांड के समय हिरासत में लिया गया था तब सचिन पायलट को सड़क मार्ग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रास्ते लखीमपुर खीरी पहुंचने के लिए कहा गया था. 

हालांकि, सचिन पायलट पहले फ्लाइट के जरिए लखनऊ सीधा पहुंचना चाहते थे, लेकिन प्रियंका गांधी के निर्देश पर आचार्य प्रमोद कृष्णम के साथ वो पश्चिम यूपी के रास्ते लखीमपुर खीरी के लिए निकले. सचिन पायलट को पुलिस ने जब लखीमपुर खीरी जाने से रोका गया तो उन्होंने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ गिरफ्तारी दी थी. इस तरह से पायलट लगातार यूपी में सक्रिय हैं. हाल ही में उपचुनाव में मध्य प्रदेश में सचिन पायलट ने गुर्जर बहुल इलाकों में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए आधा दर्जन सभाओं को संबोधित किया था.

पश्चिम यूपी में गुर्जर वोटर अहम
 
बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर मतदाताओं की बड़ी संख्या हैं, जो कई विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास यूपी में कोई बड़ा और प्रभारी गुर्जर चेहरा नहीं है, जिसके चलते प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट को जल्दी से जल्दी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय करना चाहती है. इसी मद्देनजर वह लगातार सचिन पायलट को लेकर राजस्थान की बैठकों में शामिल हो रही है. 

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वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं, इसकी चलते अभी तक पायलट के साथ सुलह-समझौते का फार्मुला आसानी से नहीं निकाल रहा है. माना जा रहा है कि सीएम गहलोत गुरुवार को राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मिलेंगे. ऐसे में मुलाकात हो जाती है तो अगले तीन-चार दिनों में राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा. 

हालांकि, कांग्रेस के दोनों नेताओं बीच पेंच यहां फंसा हुआ है कि सचिन पायलट चाहते हैं कि कम से कम पांच उनके खेमे के विधायकों को मंत्री बनाया जाए. लेकिन, अशोक गहलोत तीन से ज्यादा मंत्री पद नहीं देना चाहते हैं. ऐसे में सचिन पायलट भी अब बिना सम्मान पाए कांग्रेस में बहुत सक्रिय होने के मूड में नहीं है. पायलट चाहते हैं कि उनके खेमे के विधायकों को मंत्री बनाया जाए तो मलाईदार विभाग मिलें. 

प्रियंका के लिए पायलट क्यों अहम

सचिन पायलट राजस्थान में लगातार दौरे कर रहे हैं. बुधवार को दिल्ली में वेणुगोपाल से मिलने के बाद सीधे टोंक के देवली पहुंचे थे जबकि गुरुवार को दौसा में है. इससे समझा जा सकता है कि एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली दरबार में हाज़िरी लगा रहे हैं. सचिन पायलट राजस्थान दौरे पर जनता के बीच दस्तक दे रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के लिए दोनों के बीच सियासी खींचतान सिरदर्द बना हुआ है.

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यूपी चुनाव में अब बहुत दिन नहीं बचे हैं और प्रियंका गांधी के साख का सवाल बना हुआ है. ऐसे में प्रियंका गांधी यूपी चुनाव को लेकर किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है. ऐसे में सीएम अशोक गहलोत का समझौता नहीं करना और अपनी जिद पर अड़े रहने की वजह से ही माना जा रहा है सोनिया गांधी और राहुल गांधी अब तक उनसे नहीं मिली हैं. ऐसे में प्रियंका गांधी अब पायलट के पक्ष में खुलकर खड़ी हैं और पश्चिम यूपी में अहम भूमिका देना चाहती हैं. बस इंतजार गहलोत और पायलट के बीच सुलह-समझौते का है. 

 

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