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UP Election 2022: UP चुनाव के बीच फेक न्यूज बनी पुलिस के लिए मुसीबत, मिले 700 से ज्यादा मामले

आचार संहिता लागू होने के बाद सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों की संख्या बढ़ गई है, जिसमें फेक न्यूज फैलाई जा रही है. 150 से अधिक मामलों में पुलिस को एफआईआर तक दर्ज करनी पड़ी है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पुलिस ने 150 मामलों में केस दर्ज किए
  • सबसे ज्यादा ट्विटर पर फेक न्यूज की शिकायतें

उत्तर प्रदेश में इस बार हो रहा विधानसभा चुनाव कई मामलों में अलग है. कोरोना के चलते प्रचार का सशक्त माध्यम सिर्फ सोशल मीडिया रह गया है. चुनाव आयोग के रैलियों पर रोक लगाने के कारण अब सोशल मीडिया ही प्रचार और माहौल बनाने का हथियार बन गया है. कौन कहां ट्रेंड कर रहा है किस घटना से जनता में कहां पर वोट का ध्रुवीकरण होगा. इस तरह की कोशिशें की जा रही हैं.

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इन तमाम कोशिशों के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए भी चुनौती बढ़ गई है. आचार संहिता लागू होने के बाद सोशल मीडिया पर 700 से अधिक मामले सोशल मीडिया पर सामने आ चुके हैं, जिनमें 150 से अधिक मामलों में पुलिस को एफआईआर तक दर्ज करनी पड़ी है. पुलिस के लिए दिन-ब-दिन सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज की चुनौती बढ़ती जा रही है.

2 साल पुराने मामले को वायरल किया

हाल ही में एटा का 2 साल पुराना वीडियो, जिसमे एक बच्चे को पुलिस अधिकारी पीट रहे हैं. उस पुराने वीडियो को ताजा वीडियो बताकर यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली और प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए गए. यूपी पुलिस की सोशल मीडिया ने वायरल हो रहे वीडियो की असलियत का पता लगाया तो  मामला 2 साल पुराना निकला. यूपी पुलिस ने अपने up police fact check के हैंडल से सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा की.

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पाकिस्तान का वीडियो पोस्ट किया

ऐसा ही एक मामला और सामने आया, जब 19 जनवरी 2022 को गोरखपुर में एक युवती पर एसिड अटैक की घटना tweet की गई. यूपी पुलिस की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टीम ने जब इस वीडियो की असलियत का पता लगाया तो वीडियो पाकिस्तान का निकला.

यह 2 मामले बताते हैं कि कैसे सोशल मीडिया के जरिए अफवाह और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. उत्तर प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लगने के बाद से सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाहों वाले ट्वीट, वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. यूट्यूब, फेसबुक, टि्वटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर आचार संहिता लगने के बाद इस तरह की अफवाहें और फेक न्यूज की बाढ़ सी आ गई है. पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस में 20 चुनौती से निपटने के इंतजाम किए हैं.

डीजीपी मुख्यालय ने सोशल मीडिया पर चुनावी माहौल बिगाड़ने वालों से निपटने के लिए 10 पुलिसकर्मियों से सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल की शुरुआत की. लेकिन लगातार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए आज इस सेल में 40 से ज्यादा पुलिसकर्मी सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर नजर रखने के लिए तैनात किए गए हैं. यूपी पुलिस ने जनता से भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही किसी तस्वीर, वीडियो की सत्यता परखने के लिए @uppolicefact check के ट्विटर हैंडल का प्रयोग करने की अपील की है.

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आंकड़ों में समझिए स्थिति

कुल मिली शिकायतें 773
टि्वटर  728
फेसबुक  05
व्हाट्स ऐप  32
अन्य प्लेटफार्म  08

इन शिकायतों में 165 एफआईआर दर्ज हुईं. 471 मामले की जांच की जा रही है. 120 शिकायतों को निस्तारित किया जा चुका है. यह आंकड़े बता रहे हैं कि कैसे चुनावी माहौल के बीच सोशल मीडिया को हथियार बनाकर अफवाहों का बाजार गरमाया जा रहा है, कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है। यूपी के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक माहौल खराब करने की नियत से लगातार कोशिशें की जा रही हैं. पुलिस लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. वहीं, डीजीपी मुकुल गोयल के मुताबिक सभी जिलों के पुलिस अफसरों को सोशल मीडिया पर नजर रखने का निर्देश पहले ही दे दिए गए हैं. 

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