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UP Election: चार चरणों की तरह फिर घटा मतदान, जानिए पांचवें फेज का वोटिंग ट्रेंड किसका बिगाड़ेगा गेम?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 12 जिले की 61 सीटों पर रविवार को मतदान हुआ, जहां पर 57.32 फीसदी वोटिंग हुई. 2017 और 2012 के चुनाव की तुलना में मतदाताओं में कम उत्साह दिखा. इस फेज में कुर्मी और पासी समुदाय के वोटर काफी निर्णायक भूमिका में है. ऐसे में ये दोनों समुदाय के वोटिंग पैटर्न सियासी दलों के सियासी भविष्य को तय करेगा.

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पांचवें चरण में भी घटी वोटिंग
पांचवें चरण में भी घटी वोटिंग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी चुनाव के पांचवें चरण में भी वोटिंग फीसदी कम
  • अयोध्या से प्रयागराज तक वोटर्स में नहीं दिखा उत्साह
  • कुर्मी-पासी वोटर्स पांचवें चरण में सबसे अहम रहे

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के 12 जिलों में 61 सीटों पर उतरे 692 उम्मीदवारों की किस्मत अब ईवीएम में कैद हो गई है. अब तक के चारों चरण की तरह ही पांचवें चरण में भी वोटिंग परसेंटेज कम रही. रविवार को पांचवें फेज में अवध क्षेत्र के अयोध्या से लेकर बुंदेलखंड के चित्रकूट के इलाके की सीटों पर मतदान हुए, जहां कुर्मी वोटर अमह भूमिका में है. चुनाव आयोग के मुताबिक, पांचवें चरण की 61 सीटों पर 57.32 फीसदी  मतदान रहा जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन्हीं सीटों पर 58.24 फीसदी वोटिंग रही थी. 

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यूपी चुनाव के पांचवें चरण के वोटिंग ट्रेंड को देखें तो पिछले चुनाव से एक फीसदी वोटिंग कम हुई है. इस फेज में अयोध्या, प्रयागराज, चित्रकूट जैसे धार्मिक नगरी में मतदान हुए तो अमेठी, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बहराइच और कौशांबी की सीटों पर मतदान रहे. पिछली बार शहरी वोटर्स ने जिस भारी उत्साह के साथ वोट देने निकला था, अबकी बार बूथों पर वैसा न तो माहौल दिखा और न ही वैसा वोटिंग पैटर्न नहीं दिखा. 

किस जिले में कितना मतदान हुआ?

अवध से लेकर बुंदेलखंड की सीटों पर चुनाव हुए, जहां पर कुर्मी और पासी निर्णायक है. अमेठी में 55.86 फीसदी, अयोध्या में 58.01 फीसदी, बहराइच में 57.07 फीसदी, बाराबंकी में 54.65 फीसदी, चित्रकूट में 61.34 फीसदी और गोंडा में 56.03 फीसदी मतदान हुआ. कौशांबी में 59.56 फीसदी, प्रतापगढ़ में 52.65 फीसदी, प्रयागराज में 53.77 फीसदी, रायबरेली में 56.60 फीसदी, श्रावस्ती में 57.24 फीसदी और सुल्तानपुर में 56.42 फीसदी वोटिंग रही. 

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पांचवें चरण की 61 सीटों पर 57.32 फीसदी मतदान रहा जबकि 2017 इन्हीं सीटों पर 58.24 फीसदी और 2012 में 55.12 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस हिसाब से देखें तो 2012 की तुलना में 2017 में वोटिंग में 3 फीसदी का इजाफा हुआ था. वोटिंग फीसदी बढ़ने से बीजेपी को जबरदस्त फायदा और विपक्षी दलों का नुकसान हुआ था. वोटिंग पैटर्न का विश्वलेषण करने पर साफ पता चलता है कि वोटिंग फीसदी बढ़ने से विपक्ष को लाभ मिलता.  

बता दें कि 2017 के चुनाव में इन 61 में से 51 सीटों पर बीजेपी गठबंधन को जीत मिली थी जबकि सपा को 5, कांग्रेस को एक, बसपा को दो और निर्दलीय को एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं, 2012 विधानसभा चुनाव में इन 61 सीटों में से बीजेपी को 7, सपा को 41 बसपा को 7, कांग्रेस को 6 और अन्य को 2 सीटों पर जीत मिली थी. इस तरह से 2017 में बीजेपी को 42  सीटों का फायदा मिला था तो सपा को 36, कांग्रेस को 5 और बसपा को 5 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. 

प्रयागराज में सबसे कम मतदान

पांचवें चरण में प्रयागराज में सबसे कम प्रयागराज में वोटिंग हुई है जबकि चित्रकूट की दो सीटों पर भले ही औसत से ज्यादा 59 फीसदी वोट पड़े, लेकिन इस बार वोटर खामोशी अख्तियार कर रखा है. पांचवें फेज में बाराबंकी से लेकर चित्रकूट तक जिन जिलों में वोटिंग हुए है, वहां पर कुर्मी वोटर सबसे अहम रोल में है. बीजेपी ने 2017 में गैर-यादव ओबीसी का कार्ड चला था, जिसके चलते कुर्मी वोटर एकमुश्त उसके साथ गया था. हालांकि, इस बार कुर्मी वोटों को लिए विपक्षी दलों ने भी सियासी समीकरण बनाए हैं.

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पांचवें चरण की 61 में से 23 सीटें ऐसी थीं, जहां हार जीत का फर्क 500 से 20 हजार वोटों के बीच था. ऐसे में वोटों सियासी दलों के लिए पांचवें चरण का चुनाव बड़ा उल्टफेर कर सकता है.  पांचवें चरण में जिन 12 जिलों में वोटिंग हुए, उसमें औसत देखें तो दलित 24 फीसदी वोटर हैं, लेकिन चार जिले ऐसे हैं जहां 26 से 36 फीसदी तक हैं. इसमें जाटव और पासी सबसे अहम है. 

कौशांबी में 36 फीसदी दलित वोटर हैं, जिनमें पासी की संख्या ज्यादा है. रायबरेली, अमेठी, बाराबंकी में 30 फीसदी दलित जाति के वोटर हैं, जिसमें पासी समुदाय सबसे अहम है. इन पासी बहुल सीटों पर वोटिंग औसत से ज्यादा रही है. बहराइच और श्रावस्ती में मुस्लिम वोटर 30 फीसदी के करीब है. इन दोनों ही जिले की 9 सीटें हैं, जहां पर औसत से ज्यादा वोटिंग हुई है. 

 

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