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ममता-केजरीवाल के फॉर्मूले पर प्रियंका-माया-अखिलेश, क्या जीत पाएंगे उत्तर प्रदेश?

पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने सूबे में हिंदुत्व का ऐसा सियासी एजेंडा सेट किया है जिसकी विपक्षी दलों के पास न तो कोई काट दिख रही है और न रणनीति. ऐसे में तमाम विपक्षी दल बीजेपी के हिंदुत्व के हथियार की धार को कुंद करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेते दिखाई देते हैं.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • हिंदुत्व पॉलिटिक्स की काट की कोशिश में विपक्ष
  • मंदिर-मंदिर जाकर पूजा कर रहे अखिलेश यादव
  • प्रियंका-मायावती भी हिंदुत्व के रंग में दिख रहीं

उत्तर प्रदेश में चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी बीजेपी और विपक्ष के बीच घमासान शुरू हो गया है. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने सूबे में हिंदुत्व का ऐसा सियासी एजेंडा सेट किया है जिसकी विपक्षी दलों के पास न तो कोई काट दिख रही है और न रणनीति.

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ऐसे में तमाम विपक्षी दल बीजेपी के हिंदुत्व के हथियार की धार को कुंद करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेते दिखाई देते हैं. विपक्षी दलों के तमाम नेता आज वही पैंतरे आजमाते दिखते हैं जिनके लिए वे कभी बीजेपी को निशाना बनाया करते थे. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत इसमें उनका हौसला बढ़ाने का काम कर रही है.  

प्रियंका गांधी का त्रिपुंड और दुर्गा स्तुति

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार को वाराणसी में मिशन-2022 का आगाज किया. एयरपोर्ट से उतरकर सीधे प्रियंका काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने बाबा काशी विश्वनाथ का षोडशोपचार पूजन किया. उन्होंने दुर्गाकुंड स्थित कुष्मांडा देवी के मंदिर में भी जाकर आराधना की. प्रियंका गांधी माथे पर त्रिपुंड, कलाई में तुलसी की माला, रुद्राक्ष और मौली (लाल रंग का रक्षासूत्र) बांधे हाथों में तलवार लिए काशी की रैली में नजर आईं. यही प्रियंका गांधी ने लोगों को बताया कि वो नवरात्र का व्रत रखे हुए हैं. अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने देवी मां की स्तुति से करते हुए 'जय माता दी' का जयकारा भी लगाया. 

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प्रियंका गांधी

ये पहली बार नहीं है जब प्रियंका गांधी हिंदुत्व के रंग में नजर आई हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रियंका कई मंदिरों में पूजन-अर्चन करती नजर आईं थी. प्रयागराज में माघ मेले के दौरान उन्होंने त्रिवेणी में स्नान किया था. मिर्जापुर और सहारनपुर में माता के मंदिर में माथा टेकते, मथुरा में बांके बिहारी मंदिर की पूजा अर्चना करते उन्हें सबने देखा है. 

मायावती का भी अयोध्या-मथुरा-काशी पर वादा

बीएसपी संस्थापक कांशीराम के 15वें परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने अपने चुनावी मुद्दे गिनाए. इस दौरान मायावती ने 2022 चुनाव के लिए बीएसपी की रणनीति भी बता दी. मायावती ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर भी काशी, मथुरा और अयोध्या में कराए जा रहे विकास कार्य को रोका नहीं जाएगा. वे यथावत जारी रहेंगे. बसपा ने यूपी में ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत भी अयोध्या से की थी, जहां पार्टी महासचिव सतीष चंद्र मिश्रा ने रामलला के दर्शन किए थे. 

भगवान गणेश की मूर्ती के साथ मायावती

लखनऊ में बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन के समापन पर मायावती का मंच पूरी तरह हिंदुत्व की रंग में रंगा नजर आया. ब्राह्मण शंख बजे रहे थे, मंत्रोच्चार हो रहा था और मायावती हाथों में त्रिशूल लिए देवी की तरह लहरा रही थी. वो भगवान गणेश की प्रतिमा भी लिए नजर आईं. मायावती का रणनीति साफ है. हिंदुत्व की हवा में बहकर बीजेपी के पक्ष में जा रहे अधिक से अधिक वोटों को हाथी के पक्ष में मोड़ना. 

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मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं अखिलेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी यूपी में मंदिर-मंदिर घूम रहे हैं और पूजा अर्चना करते नजर आ रहे हैं. माघ मेले में संगम में सपा प्रमुख ने डुबकी लगाई. हनुमान मंदिर में माथा टेका तो चित्रकूट में भरतकूप में स्नान करने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना की. मिर्जापुर पहुंचे तो मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर पूजा अर्चना की और काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर में माथा टेका. अखिलेश यादव आयोध्या में राममंदिर निर्माण होने के बाद पूरे परिवार के साथ जाकर रामलला का दर्शन करने का ऐलान कर चुके हैं. अखिलेश ने इटावा के सैफई में भगवान श्री कृष्ण की 51 फीट ऊंची प्रतिमा लगवाई. भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित करने का वादा पार्टी कर ही रही हैं.

पूजा करते अखिलेश यादव

विपक्षी दलों के बदले मिजाज की वजह

बीजेपी के हिंदुत्व की सवारी कर सबसे आगे निकल जाने के बाद यूपी के सभी विपक्षी दल यह समझ गए हैं कि अगर उन्हें ध्रुवीकरण की राजनीति से बचना है तो मुस्लिम समर्थक दल होने की छवि से बाहर निकलना होगा. यूपी में 2022 चुनाव में बीजेपी सूबे की तीनों धार्मिक नगरी खासकर अयोध्या को चुनावी मुद्दा जरूर बनाएगी. इसीलिए अयोध्या सभी सियासी दलों के चुनावी एजेंडे में शामिल है, जहां सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भव्य राममंदिर का निर्माण हो रहा है. बीजेपी यह बताने की कोशिश कर रही है कि उसी के प्रयासों के चलते आज अयोध्या में राममंदिर का सपना साकार हो रहा है. दूसरी ओर विपक्षी दल अयोध्या से चुनावी अभियान का आगाज कर यह बता रहे हैं कि अब यह उनका भी एजेंडा है. 

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सॉफ्ट हिंदुत्व के फॉर्मूले को कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के चुनाव में आजमाया था और सत्ता के वनवास को खत्म करने में पार्टी कामयाब रही थी. राहुल के बाद प्रियंका गांधी भी सॉफ्ट हिंदुत्व पर कदम बढ़कर सियासत में अपनी जगह बनाना चाहती हैं. 

ममता-केजरीवाल की सफलता से बढ़ा जोश

हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल चुनाव में बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. जय श्री राम का नारा ममता के खिलाफ एक तरह से बीजेपी का युद्धघोष बन गया था. इसके जवाब में ममता दुर्गा पूजा पंडाल में नजर आईं. मंच से दुर्गास्तुति पाठ उनके चुनावी अभियान का हिस्सा बन गया. अपने घर में पूजा पाठ करते उनकी तस्वीरें खूब वायरल हुईं. विपक्ष बहुत हद तक ममता का वो विनिंग फॉर्मूला ही अपनाने की जुगत में दिखाई दे रहा है. हालांकि उसे ममता जैसी सफलता मिलेगा या नहीं ये चुनावी नतीजों से साफ होगा. 

ममता से पहले दिल्ली में सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी बीजेपी की यही रणनीति थी लेकिन केजरीवाल ने भी राम के नाम की राजनीति की काट के लिए हनुमान मंदिरों का सहारा लिया. वो मंदिर मंदिर पूजा अचर्ना करते नजर आए. आम आदमी पार्टी के एजेंडे में सुंदरकांड का पाठ आ गया और बीजेपी धराशायी हो गई.

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यूपी के वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं कि भारतीयों में ईश्वर के प्रति बहुत आस्था है. इसी सियासी नब्ज को बीजेपी ने बखूबी तरीके से पकड़ा और चुनाव में लगातार वो इसका लाभ भी उठा रही है. 2014 लोकसभा चुनाव के बाद देश की सियासत में एक बड़ा बदलाव हुआ है कि बहुसंख्यक केंद्रित राजनीति होने लगी है. यूपी की सियासत में आस्था की पॉलिटिक्स हावी रही है.

वह कहते हैं कि बीजेपी सूबे में मतदाताओं को ये संदेश देती रही हैं उसे छोड़कर अन्य राजनीतिक पार्टियां हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान नहीं करती हैं. यही वजह है कि तमाम विपक्षी पार्टियां बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व से मुकाबला करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की सियासी लकीर खींच रही हैं. एक प्रयास यह भी होता है कि आप अपने जिस मतदाता वर्ग के लिए काम कर रहे हैं वो अगर बीजेपी का मतदाता है तो उसको भी भ्रमित करें कि हममें और उनमें कोई फर्क नहीं है.

 

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