scorecardresearch
 

दलित... ब्राह्मण और अब शहरी महिलाएं, यूपी फतेह की 'मायावती रणनीति'

अब इस बार बहुजन समाज पार्टी हर वो कदम उठा रही है जो उसने 2007 में उठाया था. ब्राह्मणों को साधा जा रहा है, फिर से दलितों को एकजुट करने का प्रयास जारी है. इस सब के ऊपर महिला वोटरों पर भी बसपा की खास नजर है.

Advertisement
X
बसपा प्रमुख मायावती
बसपा प्रमुख मायावती
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनाव में बसपा की नजर अब महिला वोटरों पर
  • यूपी फतेह के लिए 'मायावती रणनीति' तैयार
  • कई शहरों में महिला सम्मेलन आयोजित की जा रही

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. एक तरफ बीजेपी को 2017 वाला प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद है तो वहीं सपा फिर से अखिलेश यादव की अगुवाई में सत्ता में आना चाहती है. तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बसपा फिर 2007 वाला दांव चल यूपी की सियासत में अपना दमखम दिखाना चाहती है.

Advertisement

बसपा की नजर महिला वोटरों पर

अब इस बार बहुजन समाज पार्टी हर वो कदम उठा रही है जो उसने 2007 में उठाया था. फिर ब्राह्मणों को साधा जा रहा है, फिर दलित को एकजुट करने का प्रयास है. इस सब के ऊपर महिला वोटरों पर भी बसपा की खास नजर है.यही वजह  है कि ब्राह्मण सम्मेलन के बाद अब बहुजन समाज पार्टी यूपी के कई जिलों में महिला सम्मेलन कर रही है. इस सम्मेलन में भी खास जोर शहरी महिलाओं को दिया जा रहा है. ये वो महिलाएं हैं जो बाहर काम करती हैं., जिन्हें कई बार देर रात भी बाहर जाना पड़ता था.

क्या है पीछे की रणनीति?

बसपा का तर्क है कि ये समाज का वो वर्ग है जो मायवाती के कार्यकाल के दौरान बिल्कुल सुरक्षित था. इसी वजह से अब बीएसपी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा ने जगह-जगह महिला सम्मेलन आयोजित करना शुरू कर दिया है. जानकारी मिली है कि लखनऊ के अलावा गाजियाबाद, इलाहाबाद और वृंदावन में भी ऐसे आयोजन किए जाएंगे.

Advertisement

इस बारे में बीएसपी प्रवक्ता एमएच खान के मुताबिक महिलाओं के सम्मान के लिए बसपा ही एकमात्र पार्टी है जो शहरी महिलाओं का दर्द समझती है. शहरी महिलाओं के विकास के बारे में बात करती है. इसके साथ ही महिलाएं देर रात किस तरीके से बसपा के शासन में बाहर नौकरी पर जा सकती थीं, ये बात भी वे भूली नहीं हैं.

बसपा संगठन में भी हिस्सेदारी

वहीं इस बार बसपा का ये भी प्रयास है कि अपनी पार्टी में महिलाओं को कई अहम पदों पर बैठाया जाए. फिर उन्हें चेयरमैन बनाया जाए या फिर संगठन में कोई महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए. कोशिश की जा रही है कि बसपा में महिलाओं को समान हिस्सेदारी दी जाए. ऐसा कर यूपी चुनाव में संदेश देने का प्रयास है कि महिलाओं के हित के बारे में सिर्फ और सिर्फ मायावती सोचती हैं.

Advertisement
Advertisement