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इत्र वाला काला धन, धर्म संसद में काली जुबान, नए साल में पार्टियों के लिए कैसे बदलेंगे चुनावी मुद्दे?

पिछले कुछ दिनों में चुनावी फिजा पूरी तरह बदल गई है. ये वो फिजा है जो यूपी की राजनीति की एक पुरानी पहचान है. यहां पर धर्म पर सियासत है, काले धन पर आरोप प्रत्यारोप है और जाति के नाम पर बंटवारा है.

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नए साल में पार्टियों के लिए कैसे बदलेंगे चुनावी मुद्दे?
नए साल में पार्टियों के लिए कैसे बदलेंगे चुनावी मुद्दे?
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नए साल में चुनावी मौसम में बदलने वाले हैं पार्टियों के मुद्दे
  • इत्र वाले काले धन पर चर्चा, धर्म संसद की काली जुबान पर बहस
  • बीजेपी की राजनीति, सपा-कांग्रेस ने भी की अपनी तैयारी

देश के पांच राज्यों में चुनावी बिसात बिछ चुकी है. हर राज्य के अपने मुद्दे, अपने विवाद और अपने समीकरण हैं. उत्तर प्रदेश को लेकर भी सभी पार्टियां मैदान में अपने दांव-पेंच लगा रही हैं. जो प्रचार शुरुआत में सिर्फ विकास और लोकार्पण पॉलिटिक्स तक सीमित दिखाई पड़ रहा था, पिछले कुछ दिनों में चुनावी फिजा पूरी तरह बदल गई है. ये वो फिजा है जो यूपी की राजनीति की एक पुरानी पहचान है. यहां पर धर्म पर सियासत है, काले धन पर आरोप प्रत्यारोप है और जाति के नाम पर बंटवारा है.

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नया साल आने को है, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने भी अपने मुद्दे सेट कर लिए हैं. अब अगले साल जब चुनावी मैदान में उतरा जाएगा तो उन्हीं मुद्दों के दम पर वोट भी मांगे जाएंगे और सियासत भी चमकाई जाएगी. इस समय यूपी की राजनीति में इत्र वाले काले धन ने सियासत गरमा दी है. बीजेपी ने फिर भ्रष्टाचार को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया है और सपा पर लगातार हमले जारी हैं. अब ये इत्र किस पार्टी की राजनीति को महका देगा और किस पार्टी के लिए बनेगा मुसीबत, इसके लिए ये पूरा कांड समझना जरूरी है.

इत्र वाला काला धान और उसकी सियासत

पीयूष जैन कानपुर का इत्र कारोबारी है. रहन-सहन काफी साधारण है, स्थानीय लोग भी बताते हैं कि ज्यादा हाई-फाई वाली जिंदगी नहीं है. लेकिन जब कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर छापेमारी हुई थी, पैसों की इतनी गड्डियां निकलनी शुरू हो गईं कि नीयत पर ही सवाल उठने लगे हैं. अभी के लिए इस छापेमारी के जरिए एजेंसियों ने 195 करोड़ रुपये की नकदी बरामद कर ली है. 10 करोड़ का सोना और 6 करोड़ का चंदन का तेल भी जब्त किया गया है. उसके पुश्तैनी घर से भी 19 करोड़ रुपये कैश बरामद हुआ है. 

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अब इस पूरे कांड के तार बीजेपी ने समाजवादी पार्टी से जोड़ दिए हैं. दावा है कि जिस समाजवादी इत्र का उद्घाटन अखिलेश यादव ने किया था, वो पीयूष जैन ने बनाया है. इसी आधार पर बीजेपी ने अपना चुनाव प्रचार वाली गाड़ी भ्रष्टाचार की ओर मोड़ दी है. पीएम मोदी ने तंज कसा है, अमित शाह ने चुटकी ली है और सीएम योगी ने गंभीर आरोप लगा दिए हैं. पहले उन बयानों पर नजर डालते, फिर सपा के पक्ष पर रोशनी डालेंगे. 

कानपुर में मेट्रो की सौगात देने के दौरान पीएम मोदी जनता को ये याद दिलाना नहीं भूले की राज्य में एक जगह भर-भर कर नोट मिले हैं. कानपुर रेड पर वे बोले कि बीते दिनों जो बक्से भर-भरकर नोट मिला है, ये लोग उसमें भी कहेंगे कि यह भी बीजेपी ने किया है. पिछली सरकार ने भ्रष्टाचार का जो इत्र छिड़क रखा था, वह सबके सामने आ गया है. लेकिन अब वो मुंह पर ताला लगाकर बैठे हैं और इसका क्रेडिट नहीं ले रहे. नोटों का जो पहाड़ सबने देखा यही उनकी (सपा) उपलब्धि है. अब पीएम के हमले के बाद गृह मंत्री अमित शाह भी शांत नहीं बैठे. चुनावी रैली में उन्होंने भी इस इत्र कारोबारी के संबंध सपा संग जोड़ दिए. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले इनकम टैक्स विभाग ने रेड की तो भाई अखिलेश को पेट के अंदर मचलन होने लगी कि क्यों रेड हुई है, ये राजनीतिक फैसला है... और आज उनको जवाब देते नहीं बनता है कि समाजवादी इत्र बनाने वाले के यहां से 250 करोड़ रुपया कैश मिला है.

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अब सीएम योगी और दूसरे मंत्रियों ने भी इसी दिशा में अपने हमले किए और एक नरेटिव सेट कर दिया कि इत्र कारोबारी के संबंध सपा से हैं. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्ष को घेरना बीजेपी की पुरानी और सफल रणनीति का हिस्सा है. चाहे 2014 के लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर 2017 में हुए यूपी चुनाव, भ्रष्टाचार...काले धन पर प्राइम फोकस रखा जाता है और इसी के दम पर दूसरी पार्टियों को घेरने की तैयारी रहती है. लेकिन अब जब सपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं तो अखिलेश यादव ने भी जवाब दे दिया है. उन्होंने पीयूष जैन के तार बीजेपी से जोड़ दिए हैं.

उनकी तरफ से यहां तक कहा गया है कि जांच एजेंसियों ने गलत इंसान के यहां रेड मार ली. निशाना सपा को बनाना था, लेकिन उन्होंने बीजेपी के करीबी के यहां पर छापे मारे. अखिलेश ने अपनी पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि बीजेपी वालों ने गलती से अपने ही कारोबारी के खिलाफ छापे पड़वा दिए हैं. समाजवादी इत्र तो सपा एमएलसी पुष्पराज जैन ने लॉन्च किया था. इसका पीयूष जैन से कोई ताल्लुक नहीं है. ये सरकार, ये सीएम सबसे ज्यादा झूठ बोलते हैं. नोटबंदी पूरी तरह फेल हो गई है. बीजेपी को बताना चाहिए कि इतना सारा कैश कहा से आया है, ये कैश आखिर है किसका?

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धर्म संसद की काली जुबान, बीजेपी परेशान

अब अखिलेश ने पलटवार जरूर किया है लेकिन बीजेपी ने समय से पहले ही इस मुद्दे को लपक भी लिया और अब ये उनके चुनाव प्रचार का अहम हिस्सा बन गया है. वैसे इस चुनावी रण में अब धर्म संसद की काली जुबान पर भी चर्चा शुरू हो गई है. अगर इत्र वाले काले धन पर बीजेपी आक्रमक है तो धर्म संसद की काली जुबान ने विपक्ष को भी हमला करने का मौका दिया है. छत्तीसगढ़ में आयोजित की गई धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी को लेकर जो अभद्र टिप्पणी की, हिंदू राष्ट्र बनाने का जो रास्ता सुझाया, उससे ऐसा तूफान खड़ा हुआ कि अब बीजेपी  नेताओं को जवाब देना भी मुश्किल हो रहा है. पहले उस बयान पर नजर डालते हैं और फिर विपक्ष के हमले पर फोकस जमाएंगे.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 25 और 26 दिसंबर को धर्म सभा का आयोजन किया गया था. वहां पर जब कालीचरण महाराज को बोलने के लिए बुलाया गया, तो उन्होंने ऐसा जहर उगला कि मंच पर मौजूद दूसरे संत भी असहज हो गए. उन्होंने कहा कि इस्लाम का लक्ष्य राजनीति के माध्यम से राष्ट्र पर कब्जा करना है. हमारी आंखों के सामने उन्होंने 1947 में कब्जा कर लिया था... उन्होंने पहले ईरान, इराक और अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने राजनीति के माध्यम से बांग्लादेश और पाकिस्तान पर कब्जा कर लिया था... मैं नाथूराम गोडसे को नमन करता हूं कि उन्होंने उस .... को मार डाला.'

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अब इस विवादित बयान के बाद से ही विपक्ष ने कालीचरण की गिरफ्तारी की मांग तो उठाई ही, इसके अलावा बीजेपी की 'हिंदुत्व वाली राजनीति' पर भी चोट की. सबसे पहला हमला छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा ही किया गया. उन्होंने राहुल गांधी की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए एक ट्वीट किया. ट्वीट में लिखा गया कि चूहों के बिल में अगर पानी डालो तो एक साथ छटपटा कर बाहर भागते हैं, अफरा तफरी मच जाती है. राहुल गांधी जी ने देश के सामने 'हिन्दू' और 'हिंदुत्ववादी' का जबसे अंतर स्पष्ट किया है, हिंदुत्ववादियों की टोली में अफरा-तफरी मच गई है. इन पाखंडियों की वर्षों की नफरत की दुकान बंद हो रही है.

कांग्रेस ने इस मुद्दे को यूपी की राजनीति में उछाल दिया. इसे बीजेपी की विचाधारा से जोड़ते हुए प्रियंका गांधी ने बड़ा हमला बोला. कांग्रेस महासिचव के मुताबिक देश में एक ऐसा वातावरण पैदा किया गया है जहां पर जानबूझकर महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द बोले जाते हैं, जहां पर उनके विचारों को चोट की जाती है. फिरोजाबाद में प्रियंका ने कहा कि ऐसा वातावरण तो जानबूझकर बनाया गया है. सत्ता में जो पार्टी है वो खुले आम महात्मा गांधी के सिद्धांतों को गाली देती है. ना पीएम मोदी कुछ बोलते हैं और ना ही यूपी के सीएम आपत्ति दर्ज करवाते हैं.

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मालेगांव ब्लास्ट और हिंदू आतंकवाद पर सियासत

ऐसे में एक तरफ बीजेपी अगर मंदिर राजनीति के जरिए वोटों का ध्रुवीकरण चाहती है तो दूसरी तरफ कालीचरण के विवादित बयान ने विपक्ष को भी एक बड़ा मौका दे दिया है. प्रियंका के फिरोजाबाद में एक बयान ने रूपरेखा खींच दी है. अब आने वाले दिनों में दूसरे दल भी इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की तैयारी कर सकते हैं. वैसे हिंदू धर्म और इसके इर्द-गिर्द घूमने वाली राजनीति काफी बड़ी है. सिर्फ एक मुद्दे तक इसे सीमित नहीं रखा जा सकता. इसी वजह से यूपी के चुनाव में बीजेपी ने अब हिंदू आतंकवाद का मुद्दा भी उठा दिया है. फिर कांग्रेस पर निशाना है, तुष्टीकरण वाली राजनीति पर सवाल है और एक धर्म विशेष समाज को अपने पाले में लाने की कवायद है.

अब ये हिंदू आतंकवाद का मुद्दा यूपी की राजनीति में मालेगांव ब्लास्ट की वजह से उठ गया है. दरअसल हाल ही में NIA कोर्ट में जब इस हमले पर सुनवाई हो रही थी, तब एक गवाह ने दावा कर दिया कि उसने दवाब में आकर सीएम योगी का नाम लिया था. यहां तक कहा गया कि महाराष्ट्र ATS ने उनके परिवार को प्रताड़ित किया था. लेकिन अब वो कोर्ट में जजों के सामने ही अपने बयान से मुकर गए और चुनावी मौसम में बीजेपी को बड़ा हथियार मिल गया. इसकी शुरुआत सीएम योगी ने ही अपने चुनाव प्रचार में कर दी. मौका देखते ही उन्होंने विपक्ष के कई बड़े नेताओं पर आरोप लगा दिया कि ये हिंदू धर्म को बदनाम करना चाहते हैं.

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फरूर्खाबाद में जन विश्वास यात्रा को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस ने इस देश में सबसे ज्यादा राज किया है. उसका इतिहास रहा है कि कई हिंदू नेताओं, संतों को आतंकी हमलों में फंसाया गया है. उनके खिलाफ हमेशा षड्यंत्र रचा गया है. ये पार्टी जो आतंकवाद को पोषित करती है, इसे अब देश से माफी मांगनी चाहिए. अब आने वाले दिनों में इस 'हिंदू आतंकवाद' वाली थ्योरी पर और बवाल देखने को मिलने वाला है. 

चुनावी मौसम में गाय पर राजनीति

अब धर्म संसद पर बात हो गई, हिंदू आतंकवाद पर भी विवाद समझ लिया लेकिन यूपी की राजनीति में इस बार गाय को लेकर पॉलिटिक्स भी खूब होने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि लंबे समय बाद पीएम मोदी ने खुद इस मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रख दिए हैं. पीएम ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कहा है कि गाय उनके लिए पूजनीय है, माता है. विपक्ष पर भी तंज कसते हुए कहा गया कि कुछ लोग गाय-भैंस का मजाक बनाते हैं. पीएम ने बोला कि हमारे देश में अगर गाय, गोबरधन की बात कर ली जाए, तो इसे भी कुछ लोग गुनाह मानने लगते हैं. हमारे लिए गाय हमेशा से पूजनीय रही है, हमारी माता रही है. इन गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग भूल जाते हैं कि कई परिवारों की आजीविका इन्हीं की वजह से चलती है.

पीएम मोदी का ये बयान सिर्फ गाय तक सीमित करकर नहीं देखा जा सकता है. इस बयान से जुड़े कई ऐसे भावनात्मक पहलू हैं जो एक विशेष धर्म को आकर्षित भी करेंगे और बीजेपी की सियासी पिच को मजबूत करने का काम भी. अब ऐसे में धर्म की राजनीति में बीजेपी आगे रहेगी, इत्र वाले काले धन पर दो पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर रहेगा, लेकिन एक मुद्दा ऐसा भी है जहां पर बीजेपी की टेंशन हाई रहेगी और पूरा विपक्ष उसे घेरने की तैयारी कर सकता है- कोरोना की तीसरी लहर.

कोरोना कहर बढ़ना, बीजेपी को नुकसान?

कोरोना अभी तक एक चुनावी मुद्दा नहीं बना है. वजह काफी सिंपल है, मामले कुछ कंट्रोल में हैं और अस्पतालों में भी बेड की कमी नहीं है. लेकिन अब ये ट्रेंड धीरे-धीरे बदल रहा है. जिन राज्यों में चुनाव हैं, वहां भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और पूरे देश में भी ओमिक्रॉन का नया वैरिएंट दहशत फैला रहा है. ऐसे में इसके परिणाम आने वाले कुछ दिनों में देखने को मिल सकते हैं. अब दूसरी लहर के दौरान सरकारी स्तर पर हुई बदइंतजामी ने विपक्ष को हमला करने का पूरा मौका दिया था. ऐसे में इस बार सरकार और ज्यादा मुस्तैद रहने वाली है क्योंकि एक भूल बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनेगी और उस पर खूब सियासत भी देखने को मिलेगी.

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