देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है तो यूपी को जीतने के लिए पूर्वांचल को जीतना जरूरी माना जाता है. इसी फॉर्मूले से लगातार दो लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने वाली बीजेपी मिशन-2022 के लिए पूर्वांचल में पैठ बनाने की कोशिश में है. इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले पांच दिन में दो बड़े कार्यक्रम कर पूर्वांचल में चुनावी माहौल बनाने की कवायद करेंगे.
किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी कांड के बाद से पश्चिम यूपी, तराई बेल्ट और अवध के इलाके में सरकार के खिलाफ माहौल गर्म है. वहीं, पूर्वांचल बीजेपी का अभी भी मजबूत गढ़ माना जाता है, जिसकी सबसे बड़ी वजह पीएम नरेंद्र मोदी का वाराणसी का सांसद होना और गोरखपुर से सीएम योगी का होना है. ऐसे में पूर्वांचल में पांच दिन के अंदर ही प्रधानमंत्री मोदी अपने दो दौरे के जरिए बीजेपी के चुनावी अभियान का आगाज करेंगे. मोदी के कार्यक्रम को लेकर बीजेपी तैयारियों में जुटी है.
बुद्ध की धरती से मोदी देंगे सौगात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 अक्टूबर को भगवान बुद्ध की धरती कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शुभारंभ करेंगे, साथ ही मेडिकल कॉलेज की नीव रखेंगे. इस एयरपोर्ट से पहली अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट कोलंबो श्रीलंका से आएगी. इसके अलावा पीएम मोदी 478.74 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की भी सौगात देंगे, जिसमें 116.21 करोड़ से तैयार 11 परियोजनाओं का लोकार्पण और 362.53 की लागत से मेडिकल कॉलेज सहित तीन परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे.
25 को पीएम काशी-सिद्धार्थनगर में
वहीं, 25 अक्टूबर को सिद्धार्थनगर में पीएम मोदी यूपी को सात नए मेडिकल कॉलेज की सौगात देंगे. सिद्धार्थनगर के बाद पीएम मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाएंगे. पीएम काशी से ही आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना लॉन्च करने के साथ ही वाराणसी को पांच हजार दो सौ करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री मेहंदीगंज में सभा को संबोधित करने से साथ-साथ रिंग रोड-2 के पैकेज-1 सहित 32 परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे.
यूपी में चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूर्वांचल में करीब छह जनसभाएं कराने की रूप रेखा खींची गई है. प्रधानमंत्री इस दौरान विकास की सौगात देंगे. साथ ही केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाकर मिशन 2022 को सफल बनाने की अपील करेंगे. गोरखपुर के खाद कारखाना मैदान में जनसभा प्रस्तावित है. इसमें खाद कारखाना व गोरखपुर एम्स का लोकार्पण भी होना है, जिसके तरीखों का ऐलान नहीं हुआ है.
यूपी की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल में
पूर्वांचल की जंग फतह करने के बाद ही यूपी की सत्ता पर कोई पार्टी काबिज हो सकती है, क्योंकि सूबे की 33 फीसदी सीटें इसी इलाके की हैं. यूपी के 28 जिले पूर्वांचल में आते हैं, जिनमें कुल 164 विधानसभा सीटें हैं. 2017 के चुनाव में पूर्वांचल की 164 में से बीजेपी ने 115 सीट पर कब्जा जमाया था जबकि सपा ने 17, बसपा ने 14, कांग्रेस को 2 और अन्य को 16 सीटें मिली थी.
हालांकि, पिछले तीन दशक में पूर्वांचल का मतदाता कभी किसी एक पार्टी के साथ नहीं रहा. वह एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में एक का साथ छोड़कर दूसरे का साथ पकड़ता रहा है. यही वजह है कि बीजेपी 2022 के चुनाव में अपने गढ़ को मजबूत करने में जुट गई है.
बीजेपी का मजबूत समीकरण
पूर्वांचल में बीजेपी ने अपने समीकरण को मजबूत बनाए रखने के लिए जाति आधरित पार्टियों के साथ भी गठबंधन कर रखा है. अनुप्रिया पटेल की अपना दल (एस) और संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ बीजेपी मिलकर इस बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएगी. इन दोनों ही दलों का सियासी आधार पूर्वांचल के जिलों में है. अनुप्रिया पटेल की कुर्मी वोटों पर पकड़ है तो संजय निषाद का मल्लाह समुदाय पर असर है. इसके अलावा बीजेपी की नजर ओम प्रकाश राजभर की पार्टी पर भी है, जिनके साथ गठबंधन फिर से किए जाने की चर्चाएं तेज हैं. इस तरह पूर्वांचल के सियासी रण को बीजेपी ने मजबूत कर रखा है.