यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नोएडा को लेकर रही अंधविश्वास को तोड़कर रख दिया है. योगी आदित्यनाथ ने ये साबित कर दिया है कि नोएडा को लेकर की जाने वाली बातें सिर्फ लोगों का अंधविश्वास था. गोरखपुर शहर से योगी आदित्यनाथ जीत के काफी करीब दिख रहे हैं. जबकि गौतमबुद्ध नगर में बीजेपी के तीनों प्रत्याशी की जीत लगभग पक्की ही है. गौतमबुद्ध नगर में नोएडा, दादरी और जेवर विधानसभा क्षेत्र आते हैं.
तीन दशकों से बना हुआ था अंधविश्वास
लगभग तीन दशकों से एक बात काफी प्रचलित थी कि उत्तर प्रदेश का कोई भी मुख्यमंत्री अगर गौतमबुद्ध बौद्ध जिले के नोएडा का दौरा करता है, वह सत्ता से बाहर हो जाता है. हाल के इतिहास में, मायावती, जिन्होंने मार्च 2007 में यूपी के सीएम के रूप में शपथ ली थी, उस साल नवंबर में अपने करीबी सतीश मिश्रा के रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए नोएडा गई थीं. हालांकि, तब बसपा सुप्रीमो के इस कदम को भ्रम तोड़ने के तौर पर देखा गया था, लेकिन 2012 में वे सत्ता से हटा दी गई थीं.
अखिलेश यादव भी इस पर काफी यकीन रखते थे
मायावती ग्रेटर नोएडा के बादलपुर गांव की रहने वाली हैं. समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, भाजपा के राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह ने भी अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में नोएडा जाने से परहेज किया था. 2012 में मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने भी नोएडा की व्यक्तिगत यात्रा से बचने का चलन जारी रखा था. 2013 में, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव नोएडा में आयोजित एशियाई विकास बैंक शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि थे.
नोएडा से लौटने के कुछ दिनों बाद, जून 1988 में मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को पद छोड़ना पड़ा था, जिसके बाद नोएडा को लेकर इस विश्वास ने अपनी जड़ें जमा ली थीं.
योगी कई बार नोएडा आए
2017 में यूपी की सत्ता में आए योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगभग एक दर्जन बार नोएडा का दौरा किया और इस क्षेत्र में अन्य विकास परियोजनाओं के बीच, नोएडा मेट्रो का शुभारंभ भी किया.
इस साल जनवरी में, योगी आदित्यनाथ ने कोविड -19 महामारी की स्थिति की समीक्षा करने के लिए गौतम बौद्ध नगर का दौरा किया था और मायावती और अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि यहां आना उनके लिए अहम हो जाता है क्योंकि उनके पहले के मुख्यमंत्री हमेशा जिले का दौरा करने से बचते रहे हैं.
आदित्यनाथ ने कहा था कि वे नेता डरते थे. उनका अपना जीवन और राजनीतिक शक्ति ही उनके लिए महत्वपूर्ण चीजें थीं. लेकिन उनके पास राज्य के लोगों की आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए कोई एजेंडा नहीं था और इसलिए वे गौतमबुद्ध नगर जाने से हिचकिचाते थे.
योगी जीत के करीब
योगी आदित्यनाथ ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और फिलहाल गोरखपुर शहर सीट से आगे चल रहे हैं. दोपहर 2.30 बजे तक हुई मतगणना में उन्हें 67 फीसदी से अधिक वोट मिले थे. जबकि सपा की निकटतम प्रतिद्वंद्वी शुभावती शुक्ला 22 फीसदी मतों से पीछे चल रही हैं. गौतमबुद्ध नगर जिले की बात करें तो, बीजेपी के पंकज सिंह, धीरेंद्र सिंह और तेजपाल नागर भी चुनावी रुझानों के मुताबिक, नोएडा, जेवर और दादरी से चुनावी जीत दर्ज करने के बिल्कुल तैयार हैं. चुनाव के अंतिम परिणाम घोषित होने बाकी हैं.