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UP Chunav 2022: जानें, हॉट सीट करहल से BJP के SP बघेल खुद को अश्वमेध का घोड़ा क्यों बता रहे हैं

एक तरफ जहां करहल के चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के लिए आश्वस्त हैं तो वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी मैदान में अपने कद्दावर नेता सत्यपाल सिंह बघेल को उतारा है.

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करहल विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल.
करहल विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी एसपी सिंह बघेल.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर रह चुके हैं एसपी सिंह बघेल
  • बसपा से सपा और फिर अब भाजपा में सक्रिय हैं बघेल

Vidhan Sabha Chunav 2022: मैनपुरी जिले का करहल विधानसभा सीट शुरुआत से ही समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. मुलायम सिंह यादव ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत इसी विधानसभा सीट से की थी और अब उनके बेटे अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से चुनाव लड़ रहे हैं.

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बघेल बताते हैं कि वे एक समय में उत्तर प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर हुआ करते थे. जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब वे उनकी सुरक्षा में तैनात रहे. फिर नौकरी छोड़ राजनीति मे कदम रखा. वैसे तो राजनीति की शुरुआत बहुजन समाज पार्टी से हुई थी. उसके बाद वे समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और अब भारतीय जनता पार्टी में हैं. वे कहते हैं कि जिंदगी की सूझ-बूझ और अनुशासन उन्होंने इसी दौरान सीखा है.

एसपी सिंह बघेल का कहना है कि सियासी कुरुक्षेत्र में राजनीति गुरु मुलायम सिंह चाहते हैं कि जीत अर्जुन यानी उनके शिष्य एसपी सिंह की ही हो. उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य की ये परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है.

करहल में जनता को संबोधित करते एसपी सिंह बघेल.

एसपी बघेल कहते हैं कि वे अपने जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं. उन्हें पूरा यकीन है कि करहल की जनता उन्हें जिताएगी ही और साथ ही साथ उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी 300 से ज़्यादा सीटे जीतने वाली हैं. वे कहते हैं कि पार्टी ने उन पर पूरा भरोसा करके करहल से प्रत्याशी बनाया है और उन्हें यकीन है कि वे पार्टी के भरोसे पर खरा उतरेंगे.

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करहल को सपा का गढ़ माना जाता है, इस बात पर बघेल ने कहा कि 1947 यानी कि आजादी के बाद किसी को भी गढ़ कहने का हक नहीं है, लेकिन यदि समाजवादी पार्टी करहल को अपना गढ़ मान बैठी है तो उन्हें बता दें कि पहले भी हमने ऐसे कई किले और गढ़ ढहाए हैं. वे कहते हैं कि समाजवादी पार्टी तो फिरोजाबाद, बदायूं या फिर कन्नौज को भी अपना गढ मानती आ रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता वोट की चोट से सभी गढ़ ध्वस्त कर देने की तैयारी में है. यादव परिवार हमेशा ही टॉप सीटों पर हारता रहा है.

करहल में जातीय समीकरण

इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो करहल में सर्वाधिक 1.35 लाख यादव वोटर, 18 हजार बघेल, 35 हजार शाक्य, 12 हजार लोधी, 18 हजार मुस्लिम, 18 हजार ब्राह्मण, 25 हजार दलित वोटर हैं. इस पर बघेल कहते हैं कि भले ही यहां पर यादव वोटरों की तादाद ज्यादा हो लेकिन भूलना नहीं चाहिए कि बाकी समुदाय के लोग भी हैं जो करहल में बाजी पलट देंगे.

काफिले पर हमले के बारे में भी अपनी राय रखी

काफिले पर होने वाले हमले को लेकर सत्यपाल सिंह बघेल कहते हैं कि हमले बताते हैं कि समाजवादी पार्टी कितनी डरी हुई है. वे समझ गए हैं कि अब जहां पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने वाली है और इसलिए उनकी बौखलाहट है जो उन्हें बार-बार परेशान कर रही है.

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उन्होंने कहा कि करहल की जनता को बहुत दिनों बाद उनके मिजाज के मुताबिक प्रत्याशी मिला है. मेरे लिए कहा जा रहा है कि अश्वमेध का घोड़ा है, मोदी जी ने छोड़ा है तो निश्चित ही मोदी जी की मुहर लगने के बाद मैं करहल की जनता की सेवा के लिए यहां पर आया हूं और मुझे पूरा भरोसा है कि करहल की जनता मुझे बहुत प्रेम देगी. 

 

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