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UP Election: 'बाहुबली' पिता जेल में... इंग्लैंड रिटर्न बेटी को सपा ने दिया टिकट, फतेहाबाद सीट से चुनाव लड़ेंगी रुपाली

रुपाली ने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी की हैं. वे 2016 में राजनीति में आईं और 2017 में भाजपा की सदस्यता ली. अशोक दीक्षित की बेटी होने की वजह से भाजपा में शामिल होने पर रुपाली को काफी विरोध भी झेलना पड़ा था. 2017 बीजेपी से टिकट मांगा, लेकिन टिकट नहीं मिला जिसकी वजह से रुपाली चुनाव नहीं लड़ पाईं.

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फतेहाबाद से सपा प्रत्याशी रुपाली दीक्षित.
फतेहाबाद से सपा प्रत्याशी रुपाली दीक्षित.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बाहुबली अशोक दीक्षित की बेटी हैं रुपाली
  • घोषित प्रत्याशी का टिकट काट सपा ने दिया मौका

यूपी के सियासी रण में आगरा की फतेहाबाद सीट से चुनाव लड़ रही रुपाली दीक्षित बहुबली अशोक दीक्षित की बेटी हैं. अशोक दीक्षित जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. रुपाली समाजवादी पार्टी जॉइन करने से पहले बीजेपी में थीं, लेकिन 2017 में टिकट नहीं मिल पाने के कारण उन्होंने इस बार समाजवादी पार्टी का हाथ थाम लिया. असल में रुपाली जब समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिलीं, तब उन्होंने सपा सुप्रीमो को बताया कि अगर वे जीत जाती हैं तब कैसे अगले 5 साल अपने क्षेत्र का विकास करेंगी. रुपाली ने इंग्लैड के कार्डिफ यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है.

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सपा सुप्रीमो से मिलने और जीत के बाद 5 साल का प्लान बताने के बाद अखिलेश यादव ने रुपाली का टिकट फाइनल कर दिया. रुपाली कहती हैं कि मुझे अखिलेश यादव से मिलने का बस 3 मिनट का समय मिला था. मैंने उन्हें बताया कि आखिर वो मुझे टिकट क्यों दें. मेरे चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र मैं क्या काम कर सकती हूं और उन्होंने पहले से घोषित उम्मीदवार का टिकट काट कर मुझे मौका दिया. 

रुपाली ने कई बड़ी कंपनियों में नौकरी भी की हैं. वे 2016 में राजनीति में आईं और 2017 में भाजपा की सदस्यता ली. अशोक दीक्षित की बेटी होने की वजह से भाजपा में शामिल होने पर रुपाली को काफी विरोध भी झेलना पड़ा. 2017 बीजेपी से टिकट मांगा, लेकिन टिकट नहीं मिला जिसकी वजह से रुपाली चुनाव नहीं लड़ पाईं. इस बार सपा ने पहले घोषित प्रत्याशी की टिकट काटकर रुपाली को मैदान में उतारा है. रुपाली दीक्षित कहती हैं कि महिलाएं अगर राजनीति में आगे आएंगी तो शायद उस परिस्थितियों में महिलाओं के विकास की राह आसान होगी. 

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रुपाली कहती हैं कि महिलाओं को मौका मिलना चाहिए. अगर मान लीजिए कि महिला प्रत्याशी चुनाव हार भी जाती है तो पार्टी को उसे दोबारा जरूर मौका देना चाहिए. साथ ही प्रत्याशी का भी कर्तव्य बनता है कि जीत या हार के बाद वह पार्टी और जनता के साथ खड़ा रहे. रुपाली कहती हैं कि इस विधानसभा में मैं अकेली महिला प्रत्याशी हूं, इसलिए यूथ और महिलाओं का साथ मिलना मेरे लिए आसान होगा. 

 

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