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सियासत का एक्सप्रेस-वेः माया-अखिलेश को नहीं मिली मंजिल, योगी तोड़ेंगे 'मिथक'?

मायावती से शुरू होकर, वाया अखिलेश और अब योगी आदित्यनाथ राज में भी उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे निर्माण के जरिए विकास की सियासी लकीर खींचने की होड़ है. सपा और बसपा सरकार में एक-एक एक्सप्रेस-वे बने तो योगी के कार्यकाल में तीन एक्सप्रेस-वे को अमलीजामा पहनाया गया है.

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अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, मायावती
अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, मायावती
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मायावती राज में यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण
  • अखिलेश ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बनवाया

उत्तर प्रदेश की राजनीति भले ही चुनावी दांव पेंच, वोट के हथकंडों के लिए बदनाम हो लेकिन पिछले दो दशकों से यहां एक्सप्रेस-वे के जरिए विकास की पटकथा लिखने की भी सरकारों में होड़ रही है. मायावती से शुरू होकर, वाया अखिलेश अब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे निर्माण के जरिए विकास की एक-दूसरे से बड़ी सियासी लकीर खींच रहे हैं. हालांकि मायावती और अखिलेश को तो ये एक्सप्रेस वे सत्ता की मंजिल पर नहीं पहुंचा सके लेकिन योगी का पूरा जोर पिछले कई मिथकों की तरह इस मिथक को भी तोड़ने पर है.

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सड़कें चौड़ी और चिकनी हों तो उसके इर्द-गिर्द के गांवों-कस्बों और शहरों के लोगों की जीवनशैली बदल जाती है. सूबे में 10 साल पहले तक सिर्फ एक यमुना एक्सप्रेस-वे था. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विस्तारित 165 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण मायावती के शासनकाल में हुआ था. साल 2012 में अखिलेश यादव सत्ता में आए तो उन्होंने लखनऊ से आगरा के बीच 302 किमी. लंबे आगरा एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया. इस एक्सप्रेस-वे से लड़ाकू विमानों को उड़ाकर उन्होंने देशभर की निगाहें अपनी तरफ खींची थीं. वहीं, अब योगी सरकार अगले दो महीने में दो एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने जा रही है तो एक एक्सप्रेस-वे की वो आधारशिला रखेगी. 

मायावती राज में यमुना एक्सप्रेस-वे

उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे बनाने का सपना सबसे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने देखा. 2002 में प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर ग्रेटर नोएडा से आगरा तक 165 किलोमीटर लंबा ताज एक्सप्रेस-वे (अब यमुना एक्सप्रेस-वे) के निर्माण का फैसला लिया गया. तत्कालीन सीएम मायावती ने सात फरवरी, 2003 को लखनऊ में यमुना एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था, जिसे बनाने का जिम्मा जेपी एसोसिएट लिमिटेड को दिया गया. हालांकि, एक साल बाद ही राज्य में सत्ता परिवर्तन हो गया. मायावती की जगह मुलायम सिंह की अगुवाई में सरकार बनने पर एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य बंद करा दिया गया. 

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2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा बसपा की सरकार बनी तो ताज एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य फिर शुरू हो गया. इसका नाम बदलकर ताज से यमुना एक्सप्रेस-वे कर दिया गया. ये 12 हजार 839 करोड़ रुपये में बनाकर तैयार हुआ. निर्माण करने पर जेपी को 38 साल तक टोल टैक्स वसूलने के अधिकार और नोएडा से आगरा के बीच एक्सप्रेस-वे के किनारे पांच स्थानों पर पांच-पांच हेक्टेयर जमीन दी गई. 

यमुना एक्सप्रेस-वे ग्रेटर नोएडा, जेवर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा जिले को जोड़ता है. बसपा सरकार ने इसे दिसंबर 2011 तक पूरा करने का टारगेट दिया था, लेकिन निर्धारित अवधि में निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया. 2012 के चुनाव में बसपा ने एक्सप्रेस-वे को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश किया, लेकिन पार्टी की सूबे की सत्ता में वापसी नहीं हो सकी. अखिलेश यादव ने सत्ता की कमान संभालते ही अगस्त 2012 में यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया. 165 किमी के यमुना एक्सप्रेस-वे पर जेवर, मथुरा और आगरा में टोल प्लाजा बनाए गए. 

अखिलेश राज में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे

मायावती ने नोएडा से आगरा तक के लिए 165 किमी का यमुना एक्सप्रेस-वे बनवाया तो आगरा से लखनऊ को जोड़ने के लिए अखिलेश यादव ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण का बीड़ा उठाया. छह लेन और 302 किमी वाले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए 10 जिलों के 232 गांवों में 3,420 हेक्टेयर भूमि 30,456 किसानों से हासिल की गई. तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने नवंबर 2014 में एक्सप्रेस-वे की बुनियाद रखी, जिसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनाया गया. 

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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे को 22 महीने में बनाने का लक्ष्य अखिलेश सरकार ने रखा, लेकिन इसे पूरी तरह से तैयार होने में 36 महीने लग गए. हालांकि, अखिलेश यादव ने आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन 21 नवंबर, 2016 को कर दिया और दिसंबर 2016 में एक्सप्रेस-वे को जनता के लिए पूरी तरह से खोल दिया गया. 302 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 13,200 करोड़ रुपये की लागत आई. 

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद देश की राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सीधे जुड़ गए. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे आगरा जिले के एत्मादपुर मदरा गांव से प्रारंभ होकर लखनऊ के मोहान रोड स्थित सरोसा-भरोसा गांव पर समाप्त होता है. ये एक्सप्रेस-वे प्रदेश के 10 जिलों से होकर गुजरता है. आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, शिकोहाबाद, औरैया, कन्नौज, कानपुर, हरदोई, उन्नाव और लखनऊ जैसे शहर इससे जुड़ते हैं. इस एक्सप्रेस वे पर सिर्फ दो टोल प्लाजा बनाए गए हैं. एक लखनऊ में और दूसरा आगरा के पास. इसके अलावा बाकी टोल सब साइड वे पर बने हैं. अखिलेश यादव ने 2017 के चुनाव में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश किया था, लेकिन सत्ता में उनकी वापसी नहीं हो सकी. 

योगी राज में यूपी को 3 एक्सप्रेस-वे मिले

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मायावती और अखिलेश सरकार के कार्यकाल में एक-एक एक्सप्रेस-वे से विकास की लकीर खींची गई तो योगी आदित्यनाथ की सरकार ने तीन एक्सप्रेस-वे की सौगात दी है. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस-वे के जरिए योगी सरकार 2022 की चुनावी जंग फतह करने का सपना संजोये है. इस लिहाज से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की लांचिंग योगी सरकार के लिए काफी अहम है, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 नवंबर को उद्घाटन करेंगे. हालांकि, इस पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बनवाने का सपना सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सूबे की सत्ता में रहते हुए देखा था, लेकिन उसे जमीन पर उतारने का काम योगी सरकार ने किया. 

यूपी में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे सबसे लंबा

सीएम योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे बनकर तैयार है. इसका उद्घाटन पीएम मोदी 16 नवंबर को सुल्तानपुर से करेंगे. यूपीडा के मुताबिक 22494.66 करोड़ रुपये की लागत से तैयार 340.82 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे सूबे का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे है. यह लखनऊ के चांदसराय से शुरू होकर गाजीपुर के हैदरिया गांव में जाकर खत्‍म होगा. यह सूबे के 9 जिलों को जोड़ेगा, जो लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर हैं. जुलाई 2018 में पीएम मोदी ने आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की बुनियाद रखी थी और अब 40 महीने के बाद उद्घाटन वे ही इसका उद्घाटन करेंगे. 

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बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे लखनऊ से जुड़ेगा

पूर्वांचल के साथ-साथ बुंदेलखंड को भी राजधानी लखनऊ से सीधे जोड़ने के लिए योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे बनवा रही है. इसे दिसंबर तक पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. 29 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे की आधारशिला रखी थी, जिसका उद्घाटन 2022 के चुनाव से पहले किए जाने का प्लान है. बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे धार्मिक नगरी चित्रकूट से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, महोबा, औरैया, जालौन और इटावा में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़ जाएगा. 7766.80 करोड़ रुपये अभी तक इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर लग चुके हैं जबकि 15 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने का अनुमान था.

गंगा एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास

मेरठ से प्रयागराज तक के लिए योगी सरकार गंगा एक्सप्रेस-वे बना रही है. इसके निर्माण में कुल 36 हजार 230 करोड़ की लागत का अनुमान है. मेरठ-बुलंदशहर के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज के जुदापुर डांडो पर ये सड़क समाप्त होगी.  गंगा एक्सप्रेस-वे की प्रस्तावित लंबाई 594 किमी की है, जो यूपी के 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज को जोड़ेगी. इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने पर लखनऊ से मेरठ की दूरी 5 घंटे की रह जाएगी जबकि प्रयागराज तक की दूरी महज 7 घंटे की होगी. गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लगभग पूरा हो गया है और माना जा रहा है कि दिसंबर में पीएम मोदी इस एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास करेंगे.

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