उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में राजधानी लखनऊ की सीटों पर भी वोटिंग होनी है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि लखनऊ को बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. लखनऊ की दोनों संसदीय सीट से लेकर विधानसभा की 9 में से 8 सीटों तक पर बीजेपी का कब्जा कायम है, लेकिन इस बार सपा, बसपा और कांग्रेस ने जिस तरह से चक्रव्यूह रचा है, वैसे में बीजेपी के लिए अपने मजबूत सियासी दुर्ग को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है.
लखनऊ की सियासत में अटल बिहारी वाजपेयी ने नब्बे के दशक में कदम रखा और 1991 से 2004 तक लगातार लखनऊ सीट से सांसद रहे. वाजपेयी के बाद उनकी सियासी कर्मभूमि से केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं. लखनऊ की दूसरी ग्रामीण सीट मोहनलालगंज सीट से केंद्रीय राज्यमंत्री कौशल किशोर सांसद हैं. इसके अलावा योगी सरकार में लखनऊ से 5 नेता मंत्री हैं. ऐसे में बीजेपी ने अपने सियासी किले को बचाए रखने के लिए मौजूदा तीन विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे हैं तो एक मंत्री की सीट बदल दी गई है.
राजधानी लखनऊ में कुल 9 विधानसभा सीट हैं. यह लखनऊ पूर्व, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ मध्य, लखनऊ कैंट, लखनऊ उत्तर, बख्शी का तालाब, सरोजनीनगर, महिलाबाद और मोहनलालगंज हैं. 2017 के चुनाव में सपा ने मोहनलालगंज सीट जीती थी जबकि बाकी आठों सीटें बीजेपी को मिली थी. इस बार के बदले हुए सियासी माहौल में बीजेपी के लिए लखनऊ में अपने पुराने प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो विपक्षी दल सेंधमारी के लिए बेताब हैं.
1. लखनऊ मध्य सीट पर सपा बनी चुनौती
लखनऊ मध्य सीट पर बीजेपी से रजनीश गुप्ता मैदान में हैं जिनके सामने सपा से पूर्व विधायक रविदास मेहरोत्रा ताल ठोंक रहे हैं. बीएसपी ने आशीष श्रीवास्तव को उतारा है तो कांग्रेस से सदफ जफर मैदान में है. पुराने लखनऊ क्षेत्र में आने वाली ये सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है. यहां 90 हजार मुस्लिम, 80 हजार वैश्य मतदाता हैं. 50 हजार ब्राह्मण, 40 हजार कायस्थ और 50 हजार के करीब दलित मतदाता हैं. 2017 में बृजेश पाठक ने यहां से जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी ने उनकी जगह वैश्य कार्ड खेला है और रजनीश गुप्ता को उतारा है. बीजेपी के वैश्य कार्ड के जवाब में सपा ने पंजाबी, बसपा ने कायस्थ, कांग्रेस ने मुस्लिम कैंडिडेट उतारा है. ऐसे में यहां पर सपा और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है.
2. लखनऊ पूर्वी सीट पर कांटे की टक्कर
लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. यहां 1991 से लेकर 2017 तक बीजेपी जीत दर्ज करती आ रही है. बीजेपी से आशुतोष टंडन एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं तो सपा ने अनुराग भदौरिया को उतारा है. कांग्रेस ने छात्र नेता रहे मनोज तिवारी और बीएसपी के टिकट पर आशीष सिन्हा ताल ठोक रहे हैं. यहां के सियासी समीकरण को देखें तो ब्राह्मण, ठाकुर और दलित वोटर लगभग बराबर हैं जबकि मुस्लिम 42 हजार, 25 यादव और 35 हजार कायस्थ वोटर निर्णायक माने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए यह सीट पर अपने जीत के सिलसिले को बरकरार रखने की चुनौती है जबकि सपा सेंधमारी के लिए बेताब है.
3. लखनऊ पश्चिमी सीट पर तीन मुस्लिम कैंडिडेट
राजधानी में मुस्लिम बहुल लखनऊ पश्चिम सीट पर बीजेपी ने अंजनी श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. सपा से अरमान खान, बीएसपी से कायम रजा और कांग्रेस से शाहना सिद्दीकी मैदान में है. 2017 के चुनाव में बीजेपी से सुरेश श्रीवास्तव विधायक चुने गए थे, लेकिन कोराना में निधन हो गया था. कभी इस सीट से लालजी टंडन विधायक हुआ करते थे, लेकिन परिसीमन के बाद यहां के सियासी समीकरण बदल गए हैं, जिसके बाद 2012 में सपा ने ये सीट जीती थी पर 2017 में बीजेपी ने कब्जा किया. ऐसे में तीन मुस्लिमों कैंडिडेट के बीच मुस्लिम वोटों का बिखराव होता है तो बीजेपी की राह आसान हो सकती है और अगर वोटों का बिखराव नहीं हुआ तो सियासी चुनौती होगी
4. सरोजिनी नगर सीट पर ठाकुर बनाम ब्राह्मण
लखनऊ की हाई प्रोफाइल सीट सरोजनी नगर पर सभी की निगाहें है. बीजेपी ने इस सीट पर मौजूदा विधायक स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे राजेश्वर सिंह को उतारा है, जिनके सामने सपा ने पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस से बबलू सिंह को तो बसपा ने जलीस खान को उतारा है. मुस्लिम और दलित वोट बैंक के सहारे जीत के लिए बसपा मैदान में तो सपा ने यादव-ब्राह्मण-मुस्लिम समीकरण के सहारे है. बीजेपी इस सीट पर ठाकुर और शहरी वोटों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए है. राजेश्वर सिंह और अभिषेक मिश्रा के चलते ब्राह्मण बनाम ठाकुर के बीच सियासी वर्चस्व की जंग हो रही.
5. लखनऊ उत्तरी सीट पर रोचक हुई लड़ाई
लखनऊ उत्तरी विधानसभा सीट बहुल मानी जाती है तो मुस्लिम वोटर अहम है. बीजेपी ने मौजूदा विधायक नीरज बोरा ताल ठोक रहे हैं तो सपा ने छात्र नेता पूजा शुक्ला को उतारा है. बसपा से मोहम्मद सरवर मलिक और कांग्रेस से अजय श्रीवास्तव उर्फ अज्जू मैदान में है. यहां से सियासी समीकरण देखें तो 80 हजार ब्राह्मण, 70 हजार मुस्लिम, 40 हजार यादव, 40 हजार कायस्थ हैं. ऐसे में लखनऊ उत्तरी सीट पर सपा और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला होता दिख रही है, लेकिन कांग्रेस ने बीजेपी की चिंता बढ़ा रही है तो बसपा ने सपा के लिए सिरदर्द बन रही है. ऐसे में यहां रोचक मुकाबला बन गया है.
6. लखनऊ कैंट सीट पर सभी की निगाहें
लखनऊ कैंट विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें है, यह बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. बीजेपी इस सीट पर अपने विधायक सुरेश तिवारी की जगह बृजेश पाठक को उतारा है तो सपा ने राजू गांधी को प्रत्याशी बना रखा है. बसपा ने ब्राह्मण व्यवसायी अनिल पांडेय हैं तो कांग्रेस से सिख समुदाय के दिलप्रीत सिंह विर्क को मैदान में है. चारों उम्मीदवार नए मैदान में है, लेकिन यहां के सियासी समीकरण के लिहाज से ब्राह्मण सबसे ज्यादा हैं तो सिंधी और मुस्लिम भी काफी है. ऐसे में देखना है कि लखनऊ कैंट सीट पर क्या नतीजे रहते हैं.
7. बख्शी का तालाब सीट पर रोचक लड़ाई
लखनऊ के ग्रामीण इलाके में आने वाली बख्शी तालाब सीट पर काफी रोचक लड़ाई होती नजर आ रही है. बख्शी तलाब सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक का टिकट काटकर योगेश शुक्ला को मैदान में उतारा है. सपा से गोमती यादव चुनाव लड़ रही हैं. कांग्रेस से ललन कुमार और बसपा ने सलाउद्दीन सिद्दीकी को किस्मत आजमा रहे हैं. इस ग्रामीण सीट पर सबसे ज्यादा दलित और ओबीसी वोटर हैं तो ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों की संख्या भी अच्छी खासी है. ऐसे में बख्शी तलाब सीट पर देखना है कि कौन जीत का परचम फहराता है.
8. मलिहाबाद में केंद्रीय मंत्री की साख दांव पर
लखनऊ की दलित बाहुल्य मलिहाबाद सीट पर बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर की पत्नी जय देवी पर एक बार फिर से चुनावी मैदान में है, सपा से सुरेंद्र कुमार, कांग्रेस से सपा के बागी इंदल रावत और बसपा जगदीश रावत मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. मलिहाबाद सीट पर किसी एक पार्टी का कब्जा कभी नहीं रहा, यहां सपा, कांग्रेस और बीजेपी तीनों ही जीत का स्वाद चख चुकी है. दलित, मुस्लिम, यादव, मौर्य, ठाकुर और ब्राह्मण वोट है. ऐसे में दो यहां के सियासी समीकरण को साध लेने से कब्जा हो जाता है,
9. मोहनलालगंज सीट पर सपा बनाम बीजेपी
लखनऊ के मोहनलालगंज सुरक्षित सीट पर 2017 की मोदी लहर में भी सपा के अमरीश पुष्कर जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं. सपा ने इस बार अमरीश पुष्कर के बजाए अपनी पूर्व सांसद सुशीला सरोज को मैदान में उतारा है. बीजेपी से अमरीश कुमार तो कांग्रेस से ममता चौधरी और बीएसपी से देवेंद्र कुमार मैदान में है. मोहनलालगंज सीट के सियासी समीकरण को देखें तो कुर्मी वोटर यहां सबसे ज्यादा है और उसके बाद मुस्लिम, यादव, लोध, कश्यप वोटर तो ठाकुर और ब्राहाण वोटर बड़ी संख्या में नहीं है. दलित सुरक्षित सीट पर यादव, मुस्लिम और कुर्मी वोटों के सहारे ही सपा यहां से जीत दर्ज करती रही है, लेकिन इस पर चुनौती तगड़ी है.