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कौन हैं सुभाष पासी, जिनके आने से बीजेपी को कई फायदे, जानिए क्या है इनका मुंबई कनेक्शन?

भाजपा कई वजहों से सुभाष पासी को लाकर बेहद खुश हैं. पहला सुरेश पासी गाजीपुर आजमगढ़ और जौनपुर के कुछ इलाकों में दलितों के वोट के ख्याल से बेहद ही मुफीद हो सकते हैं क्योंकि मोदी लहर के बावजूद सुभाष पासी यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. दूसरा पूर्वांचल में बीजेपी के पास दलितों के इस समुदाय से कोई बड़ा चेहरा नहीं था.

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 सुभाष पासी ने पत्नी समेत भाजपा का दामन थामा
सुभाष पासी ने पत्नी समेत भाजपा का दामन थामा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गाजीपुर के सैदपुर से दो बार के विधायक सुभाष पासी भाजपा में हुए शामिल
  • इस दौरान भोजपुरी स्टार निरहुआ भी रहे मौजूद

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले दलबदल का खेल शुरू हो गया. मंगलवार को गाजीपुर के सैदपुर से दो बार के विधायक सुभाष पासी ने पत्नी समेत भाजपा का दामन थाम लिया. इस दौरान भोजपुरी फिल्म अभिनेता और भाजपा नेता दिनेश लाल निरहुआ और कभी मुंबई में कांग्रेस का उत्तर भारतीय चेहरा रहे कृपाशंकर सिंह मौजूद थे. 

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दरअसल, भाजपा कई वजहों से सुभाष पासी को लाकर बेहद खुश हैं. पहला सुरेश पासी गाजीपुर आजमगढ़ और जौनपुर के कुछ इलाकों में दलितों के वोट के ख्याल से बेहद ही मुफीद हो सकते हैं क्योंकि मोदी लहर के बावजूद सुभाष पासी यहां से चुनाव जीतते रहे हैं. दूसरा पूर्वांचल में बीजेपी के पास दलितों के इस समुदाय से कोई बड़ा चेहरा नहीं था. तीसरा यह कि भाजपा इस इलाके में राजभर के नुकसान को दलितों के इस सबसे बड़े तबके को अपने पाले में करके थोड़ा भरपाई कर सकती है. 

सुभाष पासी सपा से दो बार विधायक बने. उनकी पत्नी महिला विंग की राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं. सुभाष पासी विधायक होने के साथ-साथ पार्टी के बड़े दलित चेहरे थे, लेकिन बीजेपी ने इन्हें तोड़ लिया और इन्हें तोड़ने में जिन लोगों की बड़ी भूमिका रही, उसमें कृपाशंकर सिंह और दिनेश लाल निरहुआ का रोल रहा.

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सुरेश पासी का क्या है मुंबई कनेक्शन, निरहुआ का क्या था रोल?

दरअसल सुभाष पासी की पहली पहचान मुंबई से ही बनी, सुरेश पासी काफी वक्त तक सुनील दत्त के परिवार से बहुत करीब से जुड़े रहे. परिवार के खिदमतगार के तौर पर सुरेश पासी की पहचान थी. सुरेश पासी ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में बनाई अपनी पहचान को सियासत में इस्तेमाल किया और कहा जाता है कि दत्त परिवार की गरीबी की वजह से ही कांग्रेस ने 2007 में सुरेश पासी को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन कांग्रेस के टिकट पर सुभाष पासी चुनाव हार गए. 2012 में सपा ने उन्हें टिकट दिया और यह जीत कर आए. 2017 में भी मोदी लहर के बावजूद सुरेश पासी गाजीपुर के सैदपुर सीट से दोबारा विधायक बने. 

सुभाष पासी की एक पहचान इलाके में लोगों की निस्वार्थ सेवा करने की भी बनी रही, चाहे मुंबई में पूर्वांचल के मजदूरों की मदद करनी हो या फिर मुंबई में अगर किसी मजदूर की मौत हो गई तो उसे घर तक भिजवाने की, मुफ्त एंबुलेंस चलवाने जैसे कामों ने भी उन्हें अपने इलाके में लोकप्रिय किया है. 

अभी 4 दिन पहले जब अखिलेश यादव आजमगढ़ के दौरे पर थे तो सुभाष पासी और उनकी पत्नी की बड़ी-बड़ी तस्वीरें और होर्डिंग शहर भर में लगे थे. लेकिन रातों-रात बीजेपी ने सुभाष पासी को तोड़ लिया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा दफ्तर में उनकी खूब तारीफ की. सुभाष पासी भी सपा छोड़ने के बावजूद अखिलेश के खिलाफ बोलने से बचते रहे सिर्फ इतना कहा कि जब सम्मान नहीं मिला तो बीजेपी चला आया.   

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