उत्तर प्रदेश के छह चरणों में 349 विधानसभा सीटों पर चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब बारी अंतिम और फाइनल चरण की है. 7वें फेज में पूर्वांचल के आजमगढ़ से वाराणसी तक के 9 जिलों की 54 विधानसभा सीटों पर 7 मार्च को मतदान होना है, जहां पर 613 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. बीजेपी और सपा के साथ-साथ उनके सहयोगी दलों की असल परीक्षा इसी चरण में होनी है. यूपी में सत्ता के लिहाज से यह सबसे अहम है, जिसके चलते बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
आजमगढ़ से वाराणसी तक
यूपी के सातवें चरण में पूर्वांचल के आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की 54 सीटें शामिल हैं. आजमगढ़ और जौनपुर जिले को सपा का गढ़ माना जाते हैं तो मऊ और गाजीपुर में उसके सहयोगी सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और जनवादी पार्टी के प्रमुख संजय चौहान का असर है. वहीं, बाकी जिले में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल (एस) का प्रभाव माना जाता है.
बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था
बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में सातवें चरण इन 54 सीटों में से बीजेपी और उसके सहयोगियों ने 36 सीटें जीती थीं, जिनमें बीजेपी को 29, अपना दल (एस) को 4 और सुभासपा को 3 सीटें मिली थी. वहीं, सपा ने 11 सीटें, बसपा ने 6 सीटें और निषाद पार्टी ने एक सीट जीती थी. कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी थी. हालांकि, इस बार ओम प्रकाश राजभर ने बीजेपी से नाता तोड़कर सपा के साथ हाथ मिला लिया है तो निषाद पार्टी ने बीजेपी से गठबंधन कर रखा है.
आजमगढ़ की 10 सीटों में से सपा ने 5, बसपा ने 4 और बीजेपी ने 1 सीट पर कब्जा जमाया था. मऊ जिले की 5 सीटों में से 4 बीजेपी और 1 बसपा ने जीती थी. जौनपुर जिले की 9 में से 4 बीजेपी, एक अपना दल(एस), 3 सपा और 1 बसपा को मिली थी. गाजीपुर की 7 में से 3 बीजेपी, सुभासपा, दो सपा ने जीती थी. चंदौली की चार में से 3 बीजेपी और 1 सपा के खाते में गई थी. वाराणसी की 8 में से 6 सीटें बीजेपी, एक अपना दल (एस) और एक सुभासपा ने जीती थी. भदोही की 3 में से दो बीजेपी और एक निषाद पार्टी को मिली थी. मिर्जापुर की पांच में से 4 बीजेपी और एक अपना दल (एस) तो सोनभद्र जिले की 4 में से 3 तीन बीजेपी और एक अपना दल (एस) ने कब्जा जमाया था.
इस बार पूर्वांचल के बदले हालात
हालांकि, इस बार पूर्वांचल के सियासी हालात थोड़े बदले हुए हैं. छोटे दलों में सुभासपा ने इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है. सातवें चरण में बसपा का भी अपना अच्छा खासा जनाधार है, जिसके दम पर जीत की आस लगाए हैं. सातवें चरण में जिन सीटों पर चुनाव हैं, वहां पर 2017 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें, तो जातिगत समीकरण चरण 90 के दशक से हमेशा प्रभावी रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आखरी चरण के चुनावों में सपा और बसपा के साथ-सथ राजभर, संजय, निषाद और अनुप्रिया की परीक्षा होनी है.
पूर्वांचल में आक्रमक प्रचार
पूर्वांचल के इस फाइनल जंग में सभी पार्टियों ने अपने दिग्गजों को चुनावी प्रचार में पूरी तरह से उतार दिया है और आक्रामक तौर पर सभी प्रचार कर रहे हैं. राज्य में सातवें चरण के लिए चुनाव प्रचार कल यानि शनिवार को समाप्त होगा. सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी मतदान होना है. इसके साथ ही अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ की विधानसभा सीटें भी इसी चरण में हैं. वहीं, पीएम मोदी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है और अब दो दिनों तक काशी में डेरा जमाए रखेंगे.
बीजेपी की नजर 7वें चरण की सीटों पर है और उसने अपना चुनाव प्रचार तेज कर दिया है. बीजेपी पूर्वांचल के जिलों में माफियाराज के मुद्दे के जरिए जनता को साधने की कोशिश कर रही है. क्योंकि पूर्वांचल के जिले खासतौर पर मऊ, गाजीपुर में सातवें चरण में मतदान हो रहा है. वहीं पीएम मोदी और सीएम योगी माफिया और गुंडागर्दी के मुद्दे पर विपक्षी दलों को साध रहे हैं तो विपक्ष ने बीजेपी के पांच साल के कामकाज पर सवाल खड़े कर रही है. रोजगार और महंगाई पर घेर रहे हैं तो आवारा पशु एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
इन 54 सीटों पर सोमवार को मतदान
सातवें चरण में रॉबर्ट्सगंज, ओबरा, दुद्धी, दीदारगंज, अतरौला, गोपालपुर, सकलडीहा, सागरी, शिवपुर, मुबारकपुर, सेवापुरी, भदोही, ज्ञानपुर, औराई, मधुबन, घोसी, मोहम्मदाबाद गहना, मऊ, मोहम्मदाबाद, सैयदपुर, चकिया, अजगर,रोहनियां, मछली शहर, मरियाहू, छांबी, मिर्जापुर, मझवां, चुनार, शाहगंज, जौनपुर, मल्हानी,बदलापुर, पिंडारा, आजमगढ़, निजामाबाद, जमानिया, मुगलसराय, फूलपुर- पवई, लालगंज, मेहरगढ़, जाफराबाद, सैदपुर, मरिहां, घोरावल, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट, गाजीपुर, जंगीपुर, जहूराबाद और मुंगरा बादशाहपुर.