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Utraula Assembly Seat: बीजेपी तोड़ पाएगी पिछले चार चुनाव का ट्रेंड?

उतरौला विधानसभा सीट साल 1952 में अस्तित्व में आई. यहां से कांग्रेस को तीन बार, जनसंघ को तीन, जनता पार्टी को एक, जनता दल को दो, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को तीन, समाजवादी पार्टी (सपा) को भी तीन बार इस सीट पर जीत मिली है.

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यूपी Assembly Election 2022 उतरौला विधानसभा सीट
यूपी Assembly Election 2022 उतरौला विधानसभा सीट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी के टिकट पर राम प्रताप वर्मा हैं विधायक
  • पिछले 4 चुनाव से हर बार विधायक बदलती है जनता

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले की एक विधानसभा सीट है उतरौला विधानसभा सीट. जिले की सबसे पुरानी विधानसभा सीट होने के साथ ही सबसे पुरानी तहसील भी है. उतरौला विधानसभा सीट पहले बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र में आती थी. ये विधानसभा क्षेत्र अब गोंडा लोकसभा क्षेत्र में आता है. इस क्षेत्र की अच्छी आबादी महानगरों और अरब देशों में जाकर जीविकोपार्जन करती है.

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राप्ती नदी की बाढ़ भी हर साल इस क्षेत्र में भारी तबाही मचाती है. क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी नहीं है. अच्छे उच्च और तकनीकी शिक्षण संस्थाओं का भी इलाके में अभाव है. उतरौला नगर में प्राचीन दुखहरण नाथ का मंदिर है. ये शिवालय अतिप्राचीन है और इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र भी है. बजाज चीनी मिल और पावर प्लांट क्षेत्र को विशिष्ट बनाते हैं.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

उतरौला विधानसभा सीट साल 1952 में अस्तित्व में आई. यहां से कांग्रेस को तीन बार, जनसंघ को तीन, जनता पार्टी को एक, जनता दल को दो, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को तीन, समाजवादी पार्टी (सपा) को भी तीन बार इस सीट पर जीत मिली है. साल 1952 के पहले चुनाव में जहां कांग्रेस के शाहिद फकीरी विजयी रहे तो वहीं 1957 में अली जावेद जाफरी जीते. 1962 में जनसंघ के सूरजलाल गुप्ता ने जनसंघ से चुनाव लड़कर जीत हासिल की. साल 1967 में कांग्रेस के सफी अहमद खान विजयी रहे तो साल 1969 में फिर से जनसंघ के सूरज लाल गुप्ता जीते. साल 1974 और 1977 में जनसंघ से राजेंद्र प्रसाद चौधरी जीते तो साल 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के मसरूर जाफरी ने जीत दर्ज की.

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साल 1985 के विधानसभा चुनाव में जनता दल के फजलुर बारी जीते. 1989 और 1991 के विधानसभा चुनाव में एक बार निर्दलीय और एक बार जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे समीउल्लाह ने जीत दर्ज की. साल 1993 में बीजेपी के विश्वनाथ गुप्ता, साल 1996 में सपा के टिकट पर उतरे ओबैदुल रहमान जीते. सपा के टिकट पर साल 2002 में अनवर महमूद, 2007 में बीजेपी के श्याम लाल वर्मा और 2012 में सपा के आरिफ अनवर हाशमी जीते.

2017 का जनादेश

उतरौला विधानसभा सीट से साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राम प्रताप वर्मा पर दांव लगाया. राम प्रताप वर्मा ने पार्टी के भरोसे को सही साबित करते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के आरिफ अनवर हाशमी को करीब 21 हजार वोट के बड़े अंतर से हरा दिया. बीजेपी के राम प्रताप वर्मा को 85240 वोट मिले थे. आरिफ अनवर हाशमी को 56066 वोट मिले थे. बहुजन समाज पार्टी से परवेज उमर कुल 44799 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

सामाजिक ताना-बाना

उतरौला विधानसभा सीट पर चार लाख से ज्यादा वोटर हैं. यहां करीब डेढ़ दर्जन थर्ड जेंडर वोटर्स भी हैं. अनुमान के मुताबिक इस सीट पर सबसे ज्यादा तादाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटर्स की है. मुस्लिम समुदाय के मतदाता भी यहां प्रभावशाली भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. यहां सामान्य और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की भी अच्छी तादाद है.

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विधायक का रिपोर्ट कार्ड

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राम प्रताप वर्मा पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए. 44 साल के राम प्रताप वर्मा मूल रूप से इसी विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं. इनके पिता श्याम लाल वर्मा भी क्षेत्र से विधायक रहे थे. राम प्रताप वर्मा की गिनती सरल, सौम्य और मृदुभाषी नेता के रूप में होती है.

 

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