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UP: 'अब्बाजान' को लेकर छिड़ी राजनीतिक जंग, बीजेपी और विपक्ष के बीच वार-पलटवार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एक रैली में समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते वक्त ‘अब्बाजान’ शब्द का इस्तेमाल किया गया. उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब इसी पर जंग छिड़ गई है और विपक्ष-पक्ष में तकरार चल रही है.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (PTI)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी चुनाव से पहले गर्म हुआ राजनीतिक पारा
  • योगी के बयान पर भड़की विपक्षी पार्टियां

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) से पहले राजनीतिक दंगल शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर जमकर निशाना साधा गया.

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इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने मुलायम सिंह यादव के लिए ‘अब्बाजान’ शब्द का इस्तेमाल कर तंज कसा, तो इसपर बवाल हो गया. 

समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया और योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर सवाल खड़े किए. तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष पर ही हमला तेज़ कर दिया है. इस पूरे विवाद पर किसका क्या कहना है, एक नज़र डालिए...

योगी आदित्यनाथ पर बरसे मनोज झा

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने विरोध जताते हुए कहा कि यह एक घटिया बयान है. ये उस व्यक्ति का बयान है, जिसकी संकीर्ण सोच है और बीजेपी आलाकमान भी उससे परेशान है. मनोज झा ने कहा कि इस प्रकार के बयान बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ के पास लोगों को ऑफर करने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी खुद योगी को हटाना चाहती है, लेकिन वह अपनी वैकल्पिक राजनीति चला रहे हैं. 

‘सांप्रदायिक दंगा कराना चाहता है विपक्ष’ 

राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि यह किसी धर्म से नहीं जुड़ा है, बल्कि इसके अलग-अलग मतलब होते हैं. अब्बाजान का पर्यायवाची पिता-फादर होता है, तो क्या नाम से ही धर्म हो जाएगा. राकेश सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार ने जो गरीबों तक पहुंचने के लिए एक रास्ता ढूंढा है, उनकी नीतियां पहुंची है. उन्होंने कहा कि यह विपक्ष की बौखलाहट का कारण है, विपक्ष सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना चाहता है. विपक्षी पार्टियां उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सांप्रदायिक दंगा कराना चाहती हैं.

‘आचार संहिता का पालन जरूरी’ 

बिहार में भाजपा (BJP) की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के केसी त्यागी ने भी इस विवाद पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि राजनीति में व्यंग्य और हास्य चलता है, लेकिन किसी को व्यक्तिगत तौर पर इसे नहीं स्वीकारना चाहिए. साथ ही बड़े पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयानों से परहेज़ करना चाहिए. केसी त्यागी ने कहा कि सभी को आचार संहिता का पालन करना चाहिए. 

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कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने इस पूरे विवाद पर योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा. गौरव वल्लभ ने कहा कि मुख्यमंत्री को कोलकाता और लखनऊ के बीच का अंतर भी नहीं पता है, ऐसे में उन्हें सीरियसली नहीं लिया जाना चाहिए. बीजेपी चुनाव से पहले अब्बाजान, कब्रिस्तान जैसा मसला उठाती है लेकिन हर बार ये काम नहीं करेगा. 

समाजवादी पार्टी के नेता अभिषेक मिश्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर कहा कि वह चैलेंज देते हैं कि अगर ये साबित कर सकें कि सपा के शासन में किसी तरह की गड़बड़ी हुई थी. कौन-किसे किस नाम से बुलाता है ये व्यक्तिगत बात है. लेकिन आज बीजेपी यूपी में कमजोर है, इसलिए तस्वीरों में गड़बड़ी हो रही है. अभिषेक मिश्रा ने कहा कि यूपी में सिर्फ बीजेपी-सपा की चर्चा है, बाकि किसी का कुछ नहीं है.


किस बात पर छिड़ा बवाल?

दरअसल, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला. यूपी सीएम ने कहा कि अब्बाजान कहने वाले सभी गरीबों का राशन हड़प लेते थे, तब यहां का राशन कहीं और पहुंच जाता था. योगी आदित्यनाथ के इसी बयान पर बवाल हुआ है. समाजवादी पार्टी के अलावा यूपी सीएम ने कांग्रेस पार्टी को आतंकवाद की जननी करार दिया था. 

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