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सही मायने में धर्म की नगरी काशी में आजादी के बाद से अगर आपसी प्रेम और भाईचारे वाला कोई विधानसभा रहा है तो वह शहर उत्तरी का ही रहा है क्योंकि भारी तादाद में मुस्लिम आबादी होने के बाद भी यहां ज्यादातर भगवा ब्रिगेड का ही परचम लहराया है. शुरू में जनसंघ के साथ कांग्रेस की टक्कर यहां होती रही तो फिर बीजेपी के साथ. आधा दर्जन से ज्यादा बार यहां भगवा ब्रिगेड का ही कब्जा रहा है.
हालांकि 2012 में काफी मुस्लिमों की काफी आबादी कटकर दक्षिणी विधानसभा में चली गई, लेकिन अभी भी यहां काफी संख्या में मुस्लिम आबादी मिलजुलकर रहती है और पिछले दो बार से मोदी लहर के पहले से ही शहर उत्तरी पर पिछड़ी जाति से भाजपा के भरोसेमंद जिताऊ नेता रवींद्र जायसवाल का ही कब्जा है. बीजेपी विधायक रवींद्र जायसवाल के पास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग है.
वाराणसी में कुल 8 विधानसभाएं
वाराणसी या काशी की दुनिया के सबसे प्राचीन नगरी में गिनती होती है और वाराणसी में कुल 8 विधानसभाएं है. जिनमें से एक उत्तरी विधानसभा भी शहर का मुख्य विधानसभा है. जो न केवल शहरी इलाकों के साथ वरुणा के भी काफी हिस्सों को समेटे हुए है. इस विधानसभा में भरलाई, तरना, महेशपुर, भोजूबीर, भरतपुर, चुप्पेपुर शहरी, शिवपुर, इंद्रपुर, ठिठोरी महाल, सिकरौल, ताजपुर, विन्ध्यवासिनी नगर, टकटकपुर, मकबूल आलम रोड, खजूरी, हुकुलगंज, पांडेयपुर, लालपुर, पिसनहरिया, दौलतपुर, प्रेमचंदनगर, पहड़िया, रमरेपुर, हालगांव, अकथा, मवईयां, रुप्पनपुर, दानियालपुर, चकवीही, सारनाथ, परशुरामपुर, अशोकविहार कालोनी, मीरापुर बसनी, नदेसर, तेलियाबाग, कैंट, इंग्लिशियालाइन, चौकाघाट, काजीसादुल्लापुरा, रसुलपुरा, नवापुरा, अलईपुर, जगतगंज, तेलियाबाग, नाटीइमली, धूपचण्डी, चौकाघाटस कमालपुरा, सरैया, कोनिया सरैयां, लल्लापुरा और लहरतारा इलाके आते हैं. यहां 76 मतदान केंद्र हैं जिसमें 378 मतदान स्थल आते हैं और इसमें भी 40-60 मतदान स्थल बढ़ सकता है.
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राजनीतिक पृष्ठभूमि
वाराणसी शहर उत्तरी विधानसभा के राजनीतिक पृष्ठभूमि को समझना है तो ऐसे समझा जा सकता है कि आजादी के बाद से ही इस सीट पर भगवा ब्रिगेड का कब्जा है. 1951 से 2017 के बीच हुए 19 विधानसभा चुनाव में 3 बार भारतीय जनसंघ तो पांच बार बीजेपी का कब्जा इस सीट पर रहा है. तो वहीं 5 बार कांग्रेस और 4 बार लगातार 1996-2007 तक लगातार समाजवादी पार्टी काबिज रही है. सपा के काबिज रहने के दौरान यह सीट सपा की पक्की सीट मानी जाती रही है, लेकिन 2012 से लगातार भाजपा के रवींद्र जायसवाल इस तिलिस्म को तोड़ते चले आ रहे हैं.
1951 से लगातार 3 बार कांग्रेस ने यहां पर जीत हासिल की फिर भारतीय जनसंघ ने भी जीत की हैट्रिक लगाई. शफीउर रहमान अंसारी ने कांग्रेस के टिकट पर 3 बार जीत हासिल की है. लेकिन 1980 में शफीउर रहमान अंसारी के रूप में कांग्रेस को यहां से अंतिम बार जीत मिली और तब से जीत की तलाश है.
सामाजिक ताना-बाना
2021 के रिकार्ड के मुताबिक वाराणसी शहर उत्तरी की कुल आबादी 5 लाख 39 हजार 449 है, जिसमें पुरुष आबादी 2 लाख 90 हजार 487 है तो महिला आबादी 2 लाख 55 हजार 145 है. वाराणसी के शहर उत्तरी में कुल 4 लाख 3 हजार 325 मतदाता हैं जिसमें 2 लाख 22 हजार 125 पुरुष तो महिला मतदाता 1 लाख 81 हजार 162 हैं. जबकि अन्य 40 मतदाता हैं. मतदाता का जेंडर रेसियो 816 है. जातीय समीकरण की बात करें तो शहर उत्तरी में हिंदू वोटर्स की संख्या 2 लाख 55 हजार और मुस्लिम 1 लाख 45 हजार हैं. यहां वैश्य 60 हजार, ठाकुर 50 हजार और कायस्थ 30 हजार और अन्य शामिल हैं.
2017 का जनादेश
यूपी विधानसभा चुनाव, 2017 में वाराणसी उत्तर सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार रवींद्र जायसवाल को 1,16,017 वोट मिले जबकि कांग्रेस के अब्दुल समद अंसारी को 70,515 वोट मिले. बसपा के सुजीत कुमार मौर्य 32,574 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे. रवींद्र को 45,502 मतों से जीत मिली थी.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
भाजपा विधायक रवींद्र जायसवाल दो बार से लगातार वाराणसी के शहर उत्तरी विधानसभा से विधायक होते चले आ रहे हैं. खास बात यह है कि इनका अपने क्षेत्र में दबदबा मोदी लहर के पहले से ही कायम है. वर्तमान योगी सरकार में रवींद्र जायसवाल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग हैं. इनका जन्म 1 सितंबर 1966 में वाराणसी में हुआ है. इनका धर्म हिंदू और जाति पिछली (कलवार) है.
विधायक जायसवाल के पास स्नातकोत्तर की डिग्री है और इनका व्यवसाय वकालत और अन्य है. इनके कई स्कूल और कालेज भी हैं. विधायक रवींद्र जायसवाल का इस साल के विधायक निधि में से एक करोड़ 76 लाख बचा हुआ है. बाकी अब तक की सारी विधायक निधि खर्च हो गई है.
ये उस वक्त चर्चा में आए जब इन्होंने बतौर विधायक वेतन नहीं लेने का ऐलान किया था और अभी तक नहीं ले रहे हैं. शहर उत्तरी खासतौर पर कारोबारी क्षेत्र भी माना जाता है. इसलिए भाजपा विधायक रवींद्र जायसवाल की पकड़ अपने क्षेत्र के लगभग 60 हजार वैश्य वोटरों में तो है ही बाकी अन्य जाति-बिरादरी के व्यवसाइयों में भी है. वैश्य समाज से होने के चलते इनकी पकड़ वैश्यों में ज्यादा है. इनको बड़े व्यापारी नेता के तौर पर भी देखा जाता है.