उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में बीजेपी ने एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने का वादा किया है. पार्टी के मुताबिक ये स्क्वॉड 'कॉलेज जाने वाली लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने' और 'महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकने' के लिए बनाए जाएंगे और इन्हें कॉलेजों के पास तैनात किया जाएगा.
बीजेपी के पूरे घोषणापत्र की जो शैली है, उससे आसानी से समझा जा सकता है कि पार्टी का निशाना कहां है? चुनाव घोषणापत्र में राम मंदिर, तीन तलाक और कैराना 'पलायन' जैसे मुद्दों को भी जगह दी है. ये देखना मुश्किल नहीं है कि बीजेपी एंटी रोमियो स्क्वॉड बनाने की बात कह कर किस तरह के उकसावे का संकेत दे रही है.
1.क्या ये 'लव जिहाद' की वापसी है?
'लव जिहाद' जुमले का पहली बार 2009 में केरल और कर्नाटक में इस्तेमाल किया गया था जब हिंदू और ईसाई समूहों की ओर से आरोप लगाया गया था कि उनकी लड़कियों को मुस्लिम युवाओं की ओर से फुसला कर शादी की जाती है और फिर इस्लाम धर्म कबूल करा दिया जाता है..
'लव जिहाद' का जुमला फिर जल्दी ही भुला दिया गया. 2014 में इसे फिर सुना गया, खास तौर पर उत्तर प्रदेश में, जहां जाति और धर्म मतदाताओं के लिए निर्णायक भूमिका निभाते हैं. राष्ट्रीय स्तर पर 'लव जिहाद' 2014 में तब सुर्खियों में आया जब मेरठ में एक महिला ने आरोप लगाया कि मुजफ्फरनगर में उसके साथ एक मदरसे में गैंगरेप किया गया और फिर इस्लाम धर्म जबरन कबूल कराया गया. ये आरोप भी लगाया गया कि मदरसे में और लड़कियों को बंधक बना कर रखा गया था..
महिला के आरोप लगाने के बाद दक्षिणपंथी समूहों ने प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े धर्म जागरण मंच ने 'लव जिहाद' से 'लड़ने' के हिंदुओं का आह्वान करते हुए अभियान छेड़ दिया था. उत्तर प्रदेश में 2014 में उपचुनाव से पहले आरएसएस ने अपने मुखपत्रों- पांचजन्य और ऑर्गनाइजर के कवर पर 'लव जिहाद' को जगह दी थी..
2. नैतिक पुलिस क्या अब औपचारिक पुलिस?
बीजेपी की ओर से एंटी रोमियो स्कवॉड के गठन का वादा किए जाने के बाद से मॉरल पुलिसिंग के समर्थन में बहस फिर सतह पर आ गई है. हिंदुत्व का नारा देने वाले कुछ ग्रुप फिर से 'संस्कारी' भारत का नाम लेकर इस मुद्दे पर सामने आ सकते हैं.
अक्टूबर 2014 में बीजेपी के युवा विंग, भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने केरल के कोझिकोड में एक रेस्त्रां में तोड़फोड़ की थी. उनका दावा था कि रेस्त्रां में 'अनैतिक गतिविधियां' होती हैं. इसके एक साल बाद मंगलौर में हिंदू लड़की के साथ मौजूद एक मुस्लिम लड़के पर हमला किया गया था. इस घटना में भी दक्षिणपंथी कार्यकताओं पर शक जताया गया था. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति सीधे इस बात पर निर्भर करती है कि ऐसे मामलों में दोषियों पर पुलिस-प्रशासन की ओर से क्या कार्रवाई की जाती है.
वेलेन्टाइन्स डे से पहले चुनाव घोषणा पत्र में 'कॉलेज जाने वाली छात्राओं की सुरक्षा' की बात किए जाने का एक और असर सामने आ सकता है. इससे कुछ संगठनो को 'नैतिक पुलिस' बनने का बहाना मिल सकता है. .
3. रोमियो का नाम देने से पहले शेक्सपीयर को कुछ पढ़ लेते
रोमियो को शेक्सपीयर की महान साहित्यिक रचनाओं में से एक माना जाता है. सादे शब्दों में कहा जाए तो रोमियो वो दु:खांत प्रेमी है जिसे जूलिएट के साथ शादी कर खुशी से फिर पूरी जिंदगी बिताने का मौका नहीं मिला. ऐसे में बखेड़ा करने वाले और गुंडा तत्वों को रोमियो के नाम के साथ जोड़ना वाकई त्रासदी है.
इसी तरह शोहदे किस्म के लड़कों को मजनू का नाम दिए जाना भी गलत है. पार्टी को महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए जाने वाले स्क्वॉड को रोमियो के नाम से जोड़ने से पहले बेहतर होता कि शेक्सपीयर को कुछ पढ़ लिया जाता.