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अपनी बेबाक बयानबाजी की खातिर जाने जाते थे बालासाहेब

ठाकरे ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था. पहले वे अंग्रेजी अखबार फ्री प्रेस जर्नल के लिए कार्टून बनाया करते थे. लेकिन, 1960 में उन्होंने 'मार्मिक' नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया था.

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बाल ठाकरे
बाल ठाकरे

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बालासाहेब केशव ठाकरे यानि बाल ठाकरे, ठाकरे महाराष्ट्र के एक हिन्दूवादी नेता थे. इन्होंने ही 1966 में शिवसेना जैसे प्रखर राष्ट्रवादी पार्टी का गठन किया था. ठाकरे को लोग प्यार से बालासाहेब भी बुलाते थे. ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में हुआ था. 17 नवंबर 2012 को ठाकरे ने मुंबई में अपने मातुश्री आवास पर दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर अंतिम सांस ली थी. बालासाहेब का विवाह मीना ठाकरे से हुआ था. उनके तीन बेटे हुए- बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे. उद्धव ठाकरे फिलहाल शिवसेना के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं.

सामना में करते थे 'मन की बात'
बाल ठाकरे मराठी भाषा में सामना नाम का एक अखबार भी निकालते थे. इस अखबार के माध्यम से वे अपने मन की बात लोगों तक पहुंचाया करते थे. उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने संपादकीय में लिखा था- "आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूं?"

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कार्टूनिस्ट थे ठाकरे
ठाकरे ने अपना करियर एक कार्टूनिस्ट के रूप में शुरू किया था. पहले वे अंग्रेजी अखबार फ्री प्रेस जर्नल के लिए कार्टून बनाया करते थे. लेकिन, 1960 में उन्होंने 'मार्मिक' नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया था. अखबार की मदद से उन्होंने अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित करने की कोशिश की.

हमेशा सुर्खियों में रहे ठाकरे
मराठी भाषा में सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी भाषा में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला. इस प्रकार महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे. खरी-खरी बात कहने और विवादास्पद बयानों के कारण वे मृत्यु पर्यन्त अखबार की सुर्खियों में बराबर बने रहे. बाल ठाकरे अपने उत्तेजित करने वाले बयानों के लिये जाने जाते थे और इसके कारण उनके खिलाफ सैकड़ों की संख्या में मुकदमे दर्ज किए गए थे.

शिवसेना को शिखर पर पहुंचाया ठाकरे ने
शुरुआती दौर में शिवसेना को अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन अंततः ठाकरे ने पार्टी को सत्ता की सीढ़ियों पर पहुंचा ही दिया. 1995 में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई. हालांकि 2005 में उनके बेटे उद्धव ठाकरे को अतिरिक्त महत्व दिये जाने से नाराज उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नई पार्टी 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' बना ली.

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