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यूपी के चुनावी घमासान में पहली बार 'डॉन की बेटी'!

अखिलेश सिंह पर हत्या, लूट, अपहरण और हत्या की साजि़श समेत तमाम मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन, क्षेत्र में उनकी छवि रॉबिन हुड जैसी है, जो अमीरों को लूट कर गरीबों की मदद करता है. अखिलेश जेल में बंद रहकर निर्दलीय भी चुनाव जीत जाते हैं.

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अदिति सिंह
अदिति सिंह

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एकदम दुबली-पतली, प्रिंट का सलवार कु्र्ता और दुपट्टा पहने, चेहरे पर काला चश्मा और सौम्य सी मुस्कान, बातचीत में सरलता और अपनापन- 28 साल की अदिति पड़ोस की किसी लड़की सी लगती है. इन दिनों टोयटा फॉर्चूनर से रात-दिन चुनाव प्रचार में जुटी अदिति सिंह में बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखकर लोगों को यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि वे हैं कौन. चर्चा है कि जब वे पहली बार कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलीं तो उन्हें भी यकीन नहीं हुआ कि वे किसकी बेटी हैं!

अदिति ने अमेरिका के ड्यूक यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. अब राजनीति ही उनका बिजनेस है और चुनाव प्रचार का मैनेजमेंट ही उनकी असली परीक्षा. अदिति रायबरेली सदर से कांग्रेस की उम्मीदवार होने जा रही हैं. यह वही सीट है जिस पर उनके पिता और बाहुबली नेता अखिलेश सिंह पांच बार विधायक रह चुके हैं. अखिलेश इसी सीट से मौजूदा विधायक भी हैं.

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अखिलेश सिंह पर हत्या, लूट, अपहरण और हत्या की साजि़श समेत तमाम मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन, क्षेत्र में उनकी छवि रॉबिन हुड जैसी है, जो अमीरों को लूट कर गरीबों की मदद करता है. अखिलेश जेल में बंद रहकर निर्दलीय भी चुनाव जीत जाते हैं. हर कोई मानता है कि इस सीट पर अखिलेश सिंह को हराना आसान नहीं है. गिरते स्वास्थ्य और उम्र की वजह से इस बार अखिलेश सिंह ने अपनी राजनैतिक विरासत अपनी बेटी को सौंपने का फैसला कर लिया है.

डॉन की बेटी !
ये सुनना शायद ही किसी लडकी को पसंद आए. लेकिन ये पूछे जाने पर अदिति हंसते हुए कहती हैं कि उन्हें अब ये सुनने की आदत हो चुकी है, अब वे इसका बुरा भी नहीं मानतीं. अदिति कहती हैं कि राजनीति में उतरने का फैसला उनका खुद का था. उनके माता-पिता ने उन्हें अच्छी शिक्षा दी लेकिन जब उनके पिता ने कहा कि उनकी सेहत ऐसी नहीं है कि इतनी भाग-दौड कर सकें तो उन्होंने फौरन ये तय कर लिया कि रायबरेली लौट कर पिता का हाथ बंटाना है.

अदिति कहती हैं कि उनके पिता की इमेज ऐसी है कि लोगों को यकीन नहीं होता कि वे और उनकी छोटी बहन दोनों ने विदेश में जाकर उच्च शिक्षा हासिल की. लेकिन, असलियत ये है कि अपनी खतरनाक इमेज के बावजूद अखिलेश सिंह घर पर एक ऐसे पिता हैं जो बच्चों से बहुत प्यार करते हैं और पढाई-लिखाई को लेकर बेहद गंभीर हैं.

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क्या पिता ने कभी बंदूक चलाना नहीं सिखाया?
हंसते हुए अदिति कहती हैं कि उन्हें कभी बंदूकों का शौक नहीं रहा लेकिन मौका मिला तो सीखना जरूर चाहेंगी. अदिति को ड्राइविंग का, घूमने-फिरने का शौक है इसके अलावा समय मिलने पर वे किताबें पढना पसंद करती हैं.

शुरुआत में अखिलेश सिंह खुद कांग्रेस पार्टी में रहे और पार्टी के टिकट पर विधायक भी बने. कुछ साल पहले कांग्रेस से अलग होने के बाद रायबरेली में उन्होंने राहुल-प्रियंका और सोनिया गांधी के नाक में दम कर दिया था. हालत यह थी कि पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश सिंह के डर के मारे लोग प्रियंका की सभा में नहीं जाते थे. और तो और इलाके में कांग्रेस पार्टी के पोस्टर तक नहीं लग पाते थे. कांग्रेस की तरफ से उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज कराए गए. इसके बावजूद अदिति ने कांग्रेस पार्टी कैसे ज्वाइन कर ली और अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव कैसे लड़ने जा रही हैं यह एक बड़ा सवाल है.

क्या यह बूढ़े होते अखिलेश सिंह और कांग्रेस पार्टी के बीच में मजबूरी का समझौता है?
अदिति बड़ी साफगोई से कहती हैं कि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है. दरअसल बात उस वक्त शुरू हुई जब उनकी मुलाकात प्रियंका गांधी से हुई और प्रियंका उनको देखकर काफी प्रभावित हुईं.

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राजनीति के बारे में उनके डॉन पिता ने उन्हें सबसे काम की कौन सी सलाह दी?
अदिति कहती हैं कि सबसे काम की सलाह उन्होंने यह दी कि राजनीति बहुत मेहनत का काम है और कभी भी किसी पर गुस्सा मत करो भले ही लोग तुम पर नाराज हों.

क्या वह विधायक बन गई तो अपने पिता की पहचान बदलना चाहेंगी?
अदिति कहती हैं कि उनके पिता में बहुत कुछ ऐसा है जो सीखने लायक है. खास तौर पर उनके पिता कि यह सीख बेहद काम की है कि सबसे ज्यादा उनका ख्याल रखो जो सबसे गरीब हैं. लेकिन वह मानती हैं कि हर आदमी के काम करने का अपना तरीका होता है और कई मामलों में वह अपने पिता से अलग हैं. अदिति कहती हैं कि अपने पिता की वजह से उन्हें चुनाव प्रचार में दिक्कत नहीं आ रही है और ज्यादातर लोगों ने बेटी की तरह प्यार दे रहे हैं.

टिकट दिलाएगी कांग्रेस हाईकमान
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बावजूद इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतार रखा है. लेकिन अदिति को इसकी ज्यादा चिंता नहीं है और वह कहती हैं कि उसकी फिक्र कांग्रेस हाईकमान करेगा वह सिर्फ चुनाव पर ध्यान दे रही हैं.

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