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सपा के लिए यह महज एक सीट नहीं बल्कि 'परिवार की इज्जत' का मामला

कैंट सीट से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव चुनावी मैदान में हैं. उनकी लड़ाई इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं रीता बहुगुणा जोशी से है. रीता पिछले चुनावों में कैंट सीट से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं. अब उनके साथ बीजेपी का भी वोट बैंक है यही वजह है कि अपर्णा को जिताने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी कमर कस ली है.

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कैंट विधानसभा सीट से रीता और अपर्णा मैदान में
कैंट विधानसभा सीट से रीता और अपर्णा मैदान में

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यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर 19 फरवरी को मतदान होना है. इन चरण में सपा का गढ़ माना जाने वाला इटावा और उसके आसपास के जिले भी हैं. आपको बता दें कि तीसरे चरण में फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर में वोटिंग होनी है. लेकिन सबकी नजर गड़ी है लखनऊ जिले की कैंट विधानसभा सीट पर. सपा के लिए यह महज एक सीट नहीं है बल्कि 'परिवार की इज्जत' का मामला है.

दरअसल कैंट सीट से मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव चुनावी मैदान में हैं. उनकी लड़ाई इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं रीता बहुगुणा जोशी से है. रीता पिछले चुनावों में कैंट सीट से ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीती थीं. अब उनके साथ बीजेपी का भी वोट बैंक है यही वजह है कि अपर्णा को जिताने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपनी कमर कस ली है.

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पूरा परिवार आया आगे
बुधवार को अपर्णा की खातिर मुलायम सिंह ने प्रचार किया और रैली में हिस्सा लिया. मुलायम सिंह ने कहा था, "अपर्णा मेरे लड़के की बहू है, इसलिए मेरे सम्मान की बात है. उसे जिता देना." मुलायम ने आगे यह भी कहा था कि अपर्णा अगर जीतेगी तो वहां बहुत काम करेंगी.

मुलायम सिंह के बाद बारी आई अपर्णा की जेठानी और अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव की. डिंपल और अपर्णा ने पहली बार संयुक्त जनसभा को संबोधित किया. यह जनसभा आयोजित हुई थी कैंट विधानसभा सीट के अंतर्गत आने वाले नाका हिंडोला में. रैली में डिंपल और अपर्णा के अलावा कांग्रेस की ओर से शोभा ओझा ने भी शिरकत की. रैली में मुलायम परिवार की दोनों बहुएं काफी सामान्य नजर आईं. अपर्णा ने डिंपल के पैर भी छुए.

डिंपल ने अपर्णा को चुनाव में जिताने की अपील के साथ कहा था कि, "अगर मैं योजनाएं गिनाउंगी तो सुबह से शाम हो जाएगी." रैली में अपर्णा ने कहा था कि, "हमारी पार्टी ने बहुत काम किया है. अलायंस तो इसलिए किया, क्योंकि तोड़ने वालों को रोकना था."

गुरुवार को अखिलेश यादव भी कैंट विधानसभा सीट में अपर्णा के पक्ष में माहौल बनाने की खातिर रैली करने वाले हैं.

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शिवपाल के लिए केवल मुलायम गए थे
गौरतलब है कि शिवपाल के लिए चुनाव प्रचार करने केवल मुलायम सिंह यादव गए थे जबकि अपर्णा यादव के लिए प्रचार-प्रसार पूरे कुनबे ने संभाल रखी है.

दोनों में है कॉमन फैक्टर
- रीता बहुगुणा जोशी और अपर्णा यादव दोनों ही उत्तराखंड से ताल्लुक रखती हैं.
- क्षेत्र के पहाड़ी वोटों पर है दोनों की नजर.
- रीता बहुगुणा जोशी के पिता हेमवंती नंदन बहुगुणा यूपी के नौवें मुख्यमंत्री रह चुके हैं. जबकि अपर्णा यादव के ससुर मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी की सत्ता संभाल चुके हैं.

क्या है सीट का जातीय समीकरण
इस विधानसभा सीट में करीब 3.5 लाख वोटर हैं. इनमें सबसे ज्यादा करीब 60 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. उसके बाद पहाड़ी मतदाताओं की संख्या है जोकि 30 हजार के आस-पास है. अन्य जातिगत मतदाताओं में तकरीबन 50 हजार दलित, 40 हजार वैश्य, 30 हजार पिछड़े वर्ग के लोग, 25 हजार क्षत्रिय और 20 हजार मुस्लिम हैं.

क्या कहता है चुनावी गणित
इस क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाता की चुनावों में अहम भूमिका मानी जाती रही है. रीता बहुगुणा ने पिछले चुनाव में यहां के सिंधी और पहाड़ी वोट बैंक के साथ-साथ ब्राह्मण वोट बैंक में भी सेंध लगाई थी. वोटिंग प्रतिशत की बात करें तो पिछले चुनाव में कांग्रेस को 38.95, बीजेपी को 25.51 और सपा को 13.93 प्रतिशत वोट मिले थे. रीता बहुगुणा इस बार बीजेपी से हैं, पिछली बार वे कांग्रेस की उम्मीदवार थीं. अब देखना होगा कि रीता अपना वोट शेयर बरकरार रख पाती हैं या फिर अपर्णा को कांग्रेस के वोट शेयर का फायदा होगा.

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सात बार कांग्रेस और पांच बार भाजपा की जीत
कैंट से अब तक जीते प्रत्याशियों की बात करें तो 1957 में कांग्रेस से श्याम मनोहर मिश्रा, 1962 में कांग्रेस से बालक राम वैश्य, 1967 में निर्दलीय बीपी अवस्थी, 1969 में भारतीय क्रांति दल से सच्चिदानंद, 1974 में कांग्रेस से चरण सिंह, 1977 में जनता पार्टी से कृष्णकांत मिश्रा, 1980, 1985 और 1989 में कांग्रेस से प्रेमवती तिवारी, 1991 और 1993 में भाजपा से सतीश भाटिया, 1996, 2002, 2007 में बीजेपी से सुरेश चंद्र तिवारी, 2012 में कांग्रेस से रीता बहुगुणा जोशी.

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