विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत और बेहतर प्रदर्शन के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को श्रेय दिया. शाह ने कहा कि ये नतीजे नरेन्द्र मोदी की नीतियों की जीत है. अब इसे मोदी की लहर कहें या हिंदुत्व कार्ड का सफल होना, बीजेपी ने सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 300 से अधिक सीट जीतकर पूर्ण बहुमत पा लिया है. आजतक और इंडिया टुडे सर्वे ने सबसे पहले राज्य में बीजेपी के क्लीन स्वीप का दावा किया था. वह दावा बिलकुल ठीक साबित हुआ है.
जानिए ऐसी क्लीन स्वीप के क्या हैं अहम कारण
अभी जारी है मोदी लहर
उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि वहां 2014 में शुरू हुई मोदी लहर अभीतक थमी नहीं है. 2017 के नतीजे पूरी तरह से मोदी लहर के नाम रहे. 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और सहयोगी अपना दल ने 80 में से 73 सीट जीतकर लहर का पहला परिणाम देखा था. अब एक बार फिर बीजेपी और सहयोगी अपना दल साथ मिलकर पूर्ण बहुमत ले रहे हैं तो यह मोदी लहर के जारी रहने का दूसरा बड़ा उदाहरण है. गौरतलब है कि बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में मिली जीत के बावजूद प्रदेश के चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद के किसी दावेदार को सामने करने की जगह पीएम मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा.
अमित शाह की सोशल इंजीनियरिंग
मोदी लहर के अलावा उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की सट्रैटजी ने बड़ा काम किया. पार्टी अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद से ही अमित शाह उत्तर प्रदेश में कई जातियों के वृहद गठजोड़ पर काम करते रहे. इसके लिए शाह ने पहले केशव प्रसाद मौर्य को राज्य में पार्टी प्रमुख बनाया, बीएसपी से नाराज हुए स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी में शामिल किया. ज्यादा से ज्यादा जातियों को चुनाव में जोड़ा जा सके इसके लिए शाह ने पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री पद के लिए किसी चेहरे को प्रोजेक्ट नहीं किया जिससे जातियों का वृहद गठजोड़ बनने में किसी तरह की बाधा का सामना न करना पड़े.
अमित शाह ने अपने निशाने पर समाजवादी पार्टी के खेमे से गैर-यादव और बहुजन समाज पार्टी से गैर-जाटव वोट पर नजर रखते हुए अपने कैंडिडेट मैदान में उतारे. इसके चलते ही बीजेपी ने 150 सीट से गैर-यादव ओबीसी उम्मीदवार उतारे. वहीं अपना दल और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन से पार्टी ने पटेल, कुर्मी और राजभर वोटों को अपनी ओर खींचने में सफलता पाई.
नोटबंदी बना ट्रंप कार्ड
उत्तर प्रदेश चुनावों की घोषणा से ठीक पहले देश में 8 नवंबर, 2016 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया. इस ऐलान के बाद विपक्ष ने इसे अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए एक गलत कदम बताया. साथ ही विपक्ष में उत्तर प्रदेश चुनावों में जमकर इस फैसले के खिलाफ प्रचार किया गया. लेकिन आज जब चुनाव का नतीजा आया तो साफ हो गया कि नोटबंदी का फैसला मोदी सरकार के लिए ट्रंप कार्ड बन गया और वह प्रदेश में पूर्ण बहुमत लेने में सफल हो गया.
गौरतलब है कि नोटबंदी के फैसले को टेस्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश अपनी सबसे बड़ी जनसंख्या के साथ सबसे आदर्श राज्य था. लिहाजा इस राज्य से बीजेपी को मिला यह बहुमत नोटबंदी के फैसले पर मुहर लगाने के लिए भी है.
हिंदुत्व
मोदी लहर और शाह की सोशल इंजीनियरिंग प्रदेश के इन चुनावों में इतनी कारगर नहीं होती अगर अगर बीजेपी अपने हिंदू कार्ड का इतना सधा हुआ इस्तेमाल न करती. क्योंकि बीजेपी के लिए किसी भी उस सीट को जीतना मुश्किल हो जाता जहां बड़ी संख्या में मुसलिम वोटर मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश की भी यही हकीकत है. उत्तर प्रदेश में मुसलमान वोटरों की बड़ी संख्या है. शहरी इलाकों के विधानसभा क्षेत्र में 32 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं तो ग्रामीण इलाकों में 16 फीसदी मुसलमान वोटर हैं. प्रदेश में मुस्लिम वोट पहले कांग्रेस का पुख्ता वोट बैंक हुआ करता था वहीं बीते दो दशक से वह समाजवाजी पार्टी को लगातार सत्ता में बैठाने में कारगर हो रहा है.
सर्जिकल स्ट्राइक
इसे काउंटर करने के लिए बीजेपी ने कभी सर्जिकल स्ट्राइक, तो कभी बीफ का सहारा लिया. नतीजा आपके सामने है कि मौजूदा चुनावों में बीजेपी ने उन सीटों पर भी कब्जा किया है जहां उसके लिए जीतना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन समझा जाता था. वह भी तब जब पार्टी ने एक भी मुसलमान उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था.