यूपी में अगले महीने से शुरू होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) अब सोशल मीडिया पर भी लड़ाई लड़ने जा रही है. मायावती अब तक सोशल मिडिया से न सिर्फ खुद दूर थी, बल्कि अपने काडर को भी इससे दूर रखती थी, लेकिन अह वह नए कलेवर और आक्रामक अंदाज में सोशल मीडिया पर छाने की तैयारी में हैं.
अब तक अपने वोटबैंक और सामाजिक समीकरणों के भरोसे चुनाव लड़ती रहीं मायावती के लड़ाके इस बार जमीन के साथ-साथ सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी लड़ाई लड़ रहे हैं. यह पहली बार है जब मायावती लीक से हटकर अपने कैंपेन को धार देने में जुटी हैं, जिसमें उनकी खुद की ब्रांड़िग भी शामिल है.
वाररूम का कोई 'खास रूम' नहीं
बीएसपी ने अपने वाररूम को नया कंसेप्ट दिया है, उसमें वार तो होगा, लेकिन किसी रूम से नहीं, बल्कि हर क्षेत्र से, हर इलाके से होगा. पार्टी के चुनिंदा लोग हर इलाके में अपने कंप्युटर और मोबाइल को ही अपना वाररूम बनाएंगे.
बीएसपी के युवा नेता और प्रवक्ता प्रवेश मिश्रा कहते हैं, 'हमारा वाररूम कुछ हद तक वर्चुअल है. बीजेपी और कांग्रेस के उलट हम किसी दफ्तर में अपना वाररूम बनाने में यकीन नहीं रखते, बल्कि हमारे करीब 400 चुनिंदा कार्यकर्ता विभिन्न इलाकों में अपना वाररूम चला रहे हैं और हमारी विचाधारा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
बीएसपी के वर्चउल वॉरियर्स में IIT, JNU और DU के छात्र
यूपी की मुख्य विपक्षी पार्टी का यह वर्चुअल वाररूम आईआईटी, जेएनयू और दिल्ली विश्वविधालय से पढ़ाई कर चुके छात्र चला रहे हैं. प्रवेश मिश्रा की मानें तो मायावती की प्रेरणा से इस मुहिम में जुड़े करीब 350 से 400 युवाओं में से ज्यादातर आईआईटी और दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेजों से पढ़े छात्र और टेकसैवी लड़के हैं. इनमें से कई छात्र जेएनयू, एएमयू और दिल्ली विश्वविधालय से पढ़ाई कर चुके है, जो यूपी, पंजाब और उत्तराखंड़ में बहनजी के लिए चुनावी मुहिम चला रहे हैं.
इस टीम में जिलों में चिह्नित लोगों के अलावा कई टीमें अलग-अलग जोन में हैं, जो वहां से सोशल साइट्स के लिए कंटेंट तैयार करती हैं और एक बार इजाजत मिलने के बाद उसे सोशल साइट्स पर डाल दिया जाता है. इस टीम की सबसे बड़ी फौज इस वक्त यूपी और दिल्ली के अलग-अलग जगहों से काम कर रही है.
बीएसपी नेता के घर पर बनती है रणनीति
वाररूम के लिए रणनीति कुछ हदतक राजधानी लखनऊ में बीएसपी के एक नेता के घर पर ही बनती है. मायावती की ब्रांड़िंग के लिए कैंपेन चला रहे ये लोग जिलों में अपने लोगों से लगातार संपर्क में रहते हैं, उनसे गांव और इलाके के मुद्दे पूछे जाते हैं, उनसे फोनकर फीड़बैक ली जाती है और फिर एक साथ फेसबुक, ट्विटर और वाट्सऐप पर प्रचार सामग्री जारी की जाती है. अपने वाररूम योजना के तहत इन लोगों ने हर जर जिले में हजारों लोगों को वाट्सऐप से जोड़ रखा है और उन तक ये चीजे पहुंचा दी जाती है.
मायावती या बीएसपी का अपना ट्विटर हैंडल नहीं
बीएसपी या पार्टी प्रमुख मायावती का अपना कोई आधिकारिक ट्वीटर हैंडिल नहीं है, लेकिन उनके मिलते जुलते नामों के कई ट्विटर हैंडल बने हैं. इसमें Mayawati for UP, Mayawati Sena, Mayawati fan club, Mayawati news, Voice of Mayawati सरीखे कई ट्विटर हैंडल हैं. इसके अलावा BSP social feed, Spokesperson BSP जैसे कई ट्विटर हैंडल से भी इनका प्रचार हो रहा है. सिर्फ मायावती ही नहीं सतीश चंद मिश्रा के समर्थक और फैनक्लब भी बने हैं, जबकि दलित और कांशीराम के नाम से भी कई पेज बनाकर प्रचार हो रहा है.
मायावती को भी ब्रांड बनाने की तैयारी
अखिलेश यादव जिस तरह से पूरे यूपी में ब्रांड बनकर उभरे हैं और लोगों में अखिलेश की कोई नाकरत्मक छवि नहीं दिखती, उससे सबक लेकर अब मायावती की ब्रांडिग की भी पूरी तैयारी है. बीएसपी के लिए कई गीत सामने आ चुके हैं और अगले दो-तीन दिनों मे 5 और गीत सामने आएंगे. ये सब कुछ मायावती को चुनाव में ब्रांड बनाकर पेश करने के लिए हो रहा है. 'मायावती को आने दो..' ये गीत ऐंथेम सॉग बनने जा रहा है...