मऊ सदर विधायक मुख्तार अंसारी को बसपा में शामिल करने के साथ ही उनको बेगुनाह बताने के मामले में अब मायावती की मुश्किल बढ़ सकती हैं मऊ सदर से भाजपा नेता और टिकट के दावेदार रहे मन्ना सिंह के भाई अशोक सिंह ने इस मामले में बीएसपी सुप्रीमो मायावती को कानूनी नोटिस भेजा है. अब वे इस बात की शिकायत चुनाव आयोग से भी करने की तैयारी में हैं. अशोक सिंह के इस कदम से मऊ सीट पर राजनीति और गर्म होने की संभावना है.
आपको बता दें कि 26 जनवरी 2017 को मायावती ने कहा था कि बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है. उन्हें राजनीतिक द्वेष के चलते गलत मुकदमों में फंसाया गया था.
आपको यह भी बता दें कि अशोक सिंह मऊ विधानसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाह रहे थे लेकिन बीजेपी ने यह सीट गठबंधन के खाते में डालते हुए ओम प्रकाश राजभर के नाम की घोषणा की थी. ताजा जानकारी के मुताबिक ओम प्रकाश ने यहां से महेन्द्र राजभर को मैदान में उतारा है जो मुख्तार अंसारी के सामने काफी कमजोर प्रत्याशी साबित हो सकते हैं.
क्या कहते हैं बीजेपी नेता अशोक सिंह
बीजेपी नेता अशोक सिंह का कहना है कि मुख्तार अंसारी मर्डर के दो मामलों में मुख्य अभियुक्त हैं. पहला मामला पूर्वी यूपी के कांट्रेक्टर और अशोक सिंह के बड़े भाई मन्ना सिंह का है. यह मुकदमा अपने आखिरी दौर में है. जल्द ही इसमें फैसला होने की संभावना है. जबकि दूसरा मामला सतीश कुमार (सिपाही, उत्तर प्रदेश पुलिस) का है. इस मामले में आखिरी गवाही होने वाली है.
अशोक सिंह का कहना है कि ऐन चुनावों के वक्त बीएसपी सुप्रीमो मायावती का मुख्तार अंसारी को बेगुनाह बताने से उनके मुकदमे का फैसला प्रभावित हो सकता है. यही नहीं अन्य मुकदमे में गवाही और चुनावों में मतदाता भी प्रभावित हो सकते हैं.
अशोक सिंह का कहना है कि मेरी लड़ाई अपराधी से है, मैं मऊ वालों के साथ मिल कर लड़ रहा हूं. मायावती अपने बयान की खातिर सार्वजनिक माफी मांगे अन्यथा हम उन पर मुकदमे की तैयारी कर रहे हैं.
डे लाइट मर्डर में मुख्य अभियुक्त हैं मुख्तार
आपको बता दें कि 29 अगस्त 2009 को (अपराध संख्या 1866/2009) शाम 6 बजे के करीब गाजीपुर तिराहा (फातिमा तिराहा) पर यूनियन बैंक के सामने मन्ना सिंह की गाड़ी रुकती है. गाड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग होती है. तीन लोगों को गोली लगती है. मन्ना सिंह, राजेश राय और गाड़ी के ड्राइवर सब्बीर को. घटना में मन्ना सिंह और राजेश राय (बाद में) जिंदगी की जंग हार जाते हैं. जबकि ड्राइवर सब्बीर मुकदमे के दौरान अपने बयान से मुकर जाता है.
दूसरा मामला है (अपराध संख्या 399/2010) 19 मार्च 2010 का जब यूपी पुलिस के सिपाही सतीश कुमार और पहले मामले के चश्मदीद गवाह रामसिंह मौर्य की दिन-दहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में मुकदमा चल रहा है. जल्द ही कुछ गवाही होनी हैं. आपको बता दें कि सतीश कुमार को रामसिंह मौर्य की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था.
इन दोनों ही मामलों में मुख्तार अंसारी का हाथ माना जा रहा था. मुख्तार मामलों में मुख्य अभियुक्त हैं.
सोमवार को होगी चुनाव आयोग से शिकायत
अशोक सिंह के वकील सुधीष्ट कुमार के मुताबिक वे सोमवार को चुनाव आयोग को इस मामले में नोटिस देंगे और इलाहाबाद कोर्ट में कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज कराएंगे. वकील का कहना है कि कौन बेगुनाह है और कौन नहीं यह कोर्ट तय करेगी कोई राजनेता नहीं. जब मुख्तार उनकी पार्टी में थे तो वे दोषी थे जब वे उनके साथ हैं तो निर्दोष.
वकील के मुताबिक ऐसे ही एक हाईप्रोफाइल मर्डर केस (कृष्णानंद राय हत्याकांड) में मायावती के खिलाफ अलका राय द्वारा 2009 में कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज करवाया था. उस वक्त मायावती मुख्यमंत्री थीं और उन्होंने अंसारी को निर्दोष बताया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मायावती को उस वक्त चेतावनी दी थी कि इस तरह की बयानबाजी न करें. न्यायिक प्रकिया में हस्तक्षेप न करें. आपको बता दें कि मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से अलका राय चुनावी मैदान में हैं.
कृष्णानंद राय हत्याकांड: मारे गए थे 7 लोग
29 नवम्बर 2005 को अपराधियों ने एक-47 एवं अन्य स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग करके बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय व उनके छह साथियों की हत्या कर दी थी. हत्याकांड में मरने वालों में मुहम्मदाबाद के पूर्व ब्लाक प्रमुख श्यामशंकर राय, भांवरकोल ब्लाक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, अखिलेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके अंगरक्षक निर्भय नारायण उपाध्याय शामिल थे.
स्वर्गीय कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय ने पति के हत्या करने के आरोप में बाहुबली मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, माफिया डान मुन्ना बजरंगी, अताहर रहमान उर्फ बाबू, संजीव महेश्वरी उर्फ जीवा, फिरदौस, राकेश पाण्डेय आदि पर मुकदमा दर्ज कराया था और बाद में सीबीआई जांच की मांग की थी.