उत्तर प्रदेश चुनाव में लैपटॉप भी एक मुद्दा है. छात्रों को लैपटॉप वितरण को जहां मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सरकार की उपलब्धि बताते नहीं थक रहे. वहीं, बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार की अगुआई करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लैपटॉप वितरण को 'झुनझुना' बता कर खारिज कर रहे हैं. मोदी के मुताबिक ये लैपटॉप दोयम दर्जे के थे इसलिए बेकार पड़े हैं. मोदी का ये आरोप भी है कि इन लैपटॉप को जाति विशेष को ही बांटा गया.
समाजवादी पार्टी सांसद और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने बीजेपी की ओर से लगाए जाने वाले लैपटॉप वितरण में भेदभाव के आरोपों को जोर देकर खारिज किया. डिंपल यादव ने गुरुवार को कानपुर मे कहा, 'वो कहते हैं मतभेद किया गया, हमने लैपटॉप अपने युवाओं के भविष्य बनाने के लिए दिए हैं जबकि जुमले वाली सरकार कहती है ये झुनझुना है. क्या ये झुनझुना है?'
टीवी टुडे नेटवर्क (TVTN) ने यूपी में अखिलेश सरकार की ओर से छात्रों को बांटे गए लैपटॉप का रियलिटी चेक कराया. ग्राउंड जीरो रिपोर्ट हासिल करने के लिए पांच शहरों- वाराणसी, हमीरपुर, मुगलसराय (चंदौली), फिरोजाबाद और हाथरस में छात्रों से बात की गई. इस पूरी कवायद में ये निष्कर्ष सामने आए :
*सभी जातियों और वर्गों के छात्रों, यानी यादव, कायस्थ, क्षत्रिय, वैश्य, मुस्लिम, दलित छात्रों आदि को लैपटॉप वितरित किए गए.* सभी छात्रों (18) ने लैपटॉप को बहुत उपयोगी पाया. कुछ ने दावा किया कि इनकी मदद से ही वे 80% से ज्यादा अंक हासिल कर पाए.
* लैपटॉप पाने वाले कुछ लाभार्थियों ने 12वीं पास करने के बाद इनकी मदद से अपना ऑनलाइन कारोबार शुरू कर लिया.
* कई छात्रों को इन लैपटॉप से ऑनलाइन ट्यूशन लेने में मदद मिली.
* जिस छात्र को लैपटॉप मिला तो आस-पड़ोस के दूसरे छात्रों को भी उस लैपटॉप से मदद मिली.
* सभी लैपटॉप काम करते दिखाई दिए. सिर्फ चंदौली में एक छात्र के लैपटॉप में समस्या दिखी. इसलिए लैपटॉप के बेकार पड़े होने के आरोप में कोई दम नहीं दिखाई दिया.
* फिरोजाबाद में लैपटॉप को खोलने पर अखिलेश-मुलायम की फोटो सेवर के तौर पर दिखाई दी.