सहारा और बिरला की डायरी के ज़रिये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे. उधर, राहुल थम नहीं रहे थे, इधर यूपी में कांग्रेस की सीएम उम्मीदवार शीला दीक्षित के क़दम दिल्ली में अपने निजामुद्दीन निवास पर थम गए थे. 26 दिसंबर को उनको यूपी में प्रचार कार्यक्रम में जाना था, लेकिन शीला नहीं गयीं. नाराज़गी तब और बढ़ गई, जब कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से सहारा डायरी की एंट्रियां ट्वीट कर दीं, निशाने पर तो मोदी थे, पर उसमें नाम शीला का भी था.
शीला हुईं और नाराज
इसके बाद तो शीला की नाराज़गी और बढ़ गई, तो दूसरी तरफ शीला का ये कहना कि डायरी में कोई किसी का नाम लिख दे, उससे क्या? मुझे तो कुछ याद नहीं पड़ता, राहुल के दावों पर सवाल खड़े कर रहा था. ऐसे में राहुल कैंप का बेचैन होना लाजमी था. साथ ही 27 दिसम्बर को राहुल को मीडिया के सामने मुखातिब भी होना था, जिसमें इस सवाल का उठना लाज़मी ही था।. ऐसे में इस बीच शीला का कोई क़दम या बयान राहुल की साख पर चोट कर सकता था.
राहुल-प्रियंका के करीबी कनिष्क ने निभाई भूमिका
इन हालात में राहुल की जॉइन्ट प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन पहले राहुल-प्रियंका के करीबी कनिष्क सिंह को ज़िम्मा सौंपा गया, शीला को समझाने का. कनिष्क सिंह अरसे से राहुल से जुड़े रहे हैं, नेशनल हेराल्ड मामले में भी उनकी अहम भूमिका रही है. साथ ही कनिष्क सिंह के शीला परिवार से पारिवारिक रिश्ते रहे हैं. तब 26 दिसंबर कनिष्क सिंह, शीला के घर जाकर उनसे मिले. कनिष्क के समझाने के बाद शीला मान गयीं. शीला को ये बताया गया कि, आप जब बोल रही हैं कि आपको याद नहीं और आप गलत नहीं, तो यही बात राहुल पीएम से सुनना चाहते हैं. आप जांच की मांग कर दीजिये, आपकी इमेज ठीक रहेगी और वैसे भी पीएम का नाम सहारा के साथ साथ बिरला के कागजों में भी है.
तब जाकर मानी आंटी शीला और खत्म हुई राहुल की चिंता
फिर क्या था? गांधी परिवार की वफादार रहीं शीला मान गयीं, राहुल की खातिर मानना भी था. वैसे भी राहुल, प्रियंका से लेकर कनिष्क तक शीला को आंटी पुकारते रहे हैं, तो आंटी ने भी अपने बच्चों को निराश नहीं किया. जांच की बात का ट्वीट करके राहुल के लिए रास्ता खोल दिया, साथ ही 28 दिसंबर को यूपी के सियासी कार्यक्रम में जाने का ट्विटर के ज़रिये ऐलान करके ये जताने की कोशिश भी कर दी कि, सब कुछ ठीक-ठाक है.