उत्तर प्रदेश चुनाव अपने आखरी दौर में है. चुनावी रैलियों, सभाओं और रोड शो के माध्यम से हर पार्टी अपने पक्ष में हवा बहाने की कोशिश कर रही है.
वहीं पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग इलाकों में ऐसी कई घटनाएं घटीं जिससे बीजेपी को चुनाव प्रचार में एक तरह का पावर बूस्टर मिलता दिख रहा है. यहां हम ऐसी ही चार घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं.
कोर्ट के फैसले
बीजेपी के सभी नेताओं ने यहां तक कि पीएम मोदी ने भी चुनावी सभाओं में राज्य की कानून व्यवस्था पर हमला बोला है. अखिलेश सरकार पर हमलावर होने के लिए पार्टी 'महिला सुरक्षा’ का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रही है.
बीजेपी के इस आरोप को तब बल मिला जब अखिलेश सरकार के परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति पर एक नाबालिक लड़की ने रेप का आरोप लगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले में प्रजापति के खिलाफ गैतमपल्ली थाने में मुकदमा दर्ज किया गया.
वहीं बीजेपी चुनाव में बाहुबल और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर मायावती को घेरने की पूरी कोशिश कर रही है. ऐसे में बसपा के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी का दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पैरोल रद्द किया जाना पार्टी को प्रचार में बढ़त दिलाता दिख रहा है.
जीडीपी के आंकड़े
नोटबंदी के बाद हो रहे इस पहले विधानसभा चुनाव को सरकार के इस कड़े फैसले पर जनमत संग्रह भी माना जा रहा है . अखिलेश यादव और मायावती अपनी हर रैली में इस मुद्दे को उठा रहे हैं और इसके सहारे पीएम मोदी सहित पूरी बीजेपी को घेरने की कोशिश चल रही है.
इसी बीच केन्द्र सरकार के आंकड़ों वाले विभाग सांख्यकि (सीएसओ) विभाग ने जीडीपी के नए आंकड़े जारी करते हुए दिखा दिया कि नोटबंदी के फैसले से विकास दर को किसी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ा. नोटबंदी वाली तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में विकास दर 7 फीसदी रही वहीं इससे पहले की तिमाही (जुलाई-सितंबर) में यह 7.4 फीसदी रही और पूरे वित्त वर्ष (2016-17) के दौरान 7.1 फीसदी विकास दर का आंकलन है.
बीएमसी चुनाव के नतीजे
बीएमसी चुनाव के नतीजों का असर यूपी चुनाव प्रचार में दिख रहा है. जहां एक तरफ चुनाव नतीजों से पार्टी नेताओं का मनोबल बढ़ा वहीं दूसरी तरफ पार्टी इन नतीजों के सहारे यूपी में भी बढ़त लेने की उम्मीद लगाए हुए है. बीएमसी नतीजों में शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली हैं.
रामजस कालेज विवाद
दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कालेज में ABVP ने JNU के रिसर्च स्कलर और पिछले साल 9 फरवरी को लगाए गए कथित देश विरोधी नारों के आरोपी उमर खालिद को एक सेमिनार में बोलने से रोका.
यह विवाद तब और बड़ा हो गया जब डियू की छात्रा और शहीद कैप्टन मंदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर ने सोशल मीडिया पर ABVP के विरोध वाला एक पोस्टर लेकर अपनी तस्वीर पोस्ट किया. फिलहाल ABVP ने इस पूरे मामले को देशभक्त बनाम देशद्रोही का रूप दे दिया है.
पार्टी इस हालिया विवाद को यूपी चुनाव में उठा रही है और इसके सहारे मतदातों के एक वर्ग को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही है.