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ये 5 वजहें जो बनीं समाजवादी पार्टी-आरएलडी गठबंधन में रोड़ा

आरएलडी के नेताओं ने गठबंधन के सिलसिले में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से बातचीत भी की थी. करीब 5 दिन पहले अखिलेश यादव और अजीत सिंह के पुत्र जयंत यादव के बीच भी फोन पर इस बारे में चर्चा हुई थी. इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने आखिरी वक्त पर अपना रुख बदल लिया.

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समाजवादी पार्टी ने खींचे गठबंधन से हाथ?
समाजवादी पार्टी ने खींचे गठबंधन से हाथ?

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आरएलडी ने यूपी चुनाव में अकेले उतरने का एलान किया है. पार्टी का कहना है कि अजीत सिंह ने 2 महीने पहले ही सेक्युलर ताकतों को एकजुट करने की पहल की थी.

समाजवादी पार्टी ने किया किनारा?
आरएलडी के नेताओं ने गठबंधन के सिलसिले में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से बातचीत भी की थी. करीब 5 दिन पहले अखिलेश यादव और अजीत सिंह के पुत्र जयंत यादव के बीच भी फोन पर इस बारे में चर्चा हुई थी. इसके बावजूद समाजवादी पार्टी ने आखिरी वक्त पर अपना रुख बदल लिया. आरएलडी के महासचिव त्रिलोक त्यागी ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी बीजेपी के दबाव में आकर गठबंधन से मुकरी है. उनका आरोप था कि यादव सिंह प्रकरण के चलते समाजवादी पार्टी के नेता बीजेपी से डरे हुए हैं. उनके मुताबिक रामगोपाल यादव इस गठजोड़ के खिलाफ थे. त्यागी ने दावा किया कि उनकी पार्टी चुनाव में भारी जीत हासिल करेगी.

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कहां फंसा पेंच?

-आरएलडी गठबंधन में 40 सीटें मांग रही थी. सूत्रों की मानें तो 25 सीटों पर समझौता हो सकता था. लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस पर भी राजी नहीं हुए.

-समाजवादी पार्टी ने आखिरी वक्त पर गठबंधन से कन्नी काट ली. अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच फोन पर बातचीत के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की लीडरशिप ने इस मुद्दे पर आरएलडी नेताओं ने कोई बात नहीं की.

- समाजवादी पार्टी ने आरएलडी के हिस्से में आने वाली संभावित सीटें कांग्रेस के खाते में डाल दीं. कांग्रेस 20 से ज्यादा सीटें आरएलडी को देने के लिए तैयार नहीं थी.

-आरएलडी नेताओं के मुताबिक सपा नेता यादव सिंह प्रकरण को लेकर बीजेपी के दबाव में थे.

-आरएलडी नेतृत्व ये भी मानता है कि रामगोपाल यादव के विरोध के चलते गठबंधन मुमकिन नहीं हो सका.

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