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यूपी में महागठबंधन की सुगबुगाहट, बीएसपी और भाजपा को क्यों है टेंशन?

बिहार की तर्ज पर यूपी में भी महागठबंधन बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर की सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मंगलवार को हुई मुलाकात महागठबंधन बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

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जनता परिवार
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बिहार की तर्ज पर यूपी में भी महागठबंधन बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर की सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मंगलवार को हुई मुलाकात महागठबंधन बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस सहित समान विचारधारा वाले सियासी दलों के इस गठजोड़ से बीजेपी और बसपा को नुकसान हो सकता है.

सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी अपने परिवार के भीतर की अंदरूनी कलह से उबरने और अपने वोट बैंक को खिसकने से बचाने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही है. सपा ने इसके लिए नीतीश कुमार की जदयू, लालू यादव की आरजेडी और अजित सिंह की आरएलडी से संपर्क किया है.

कांग्रेस के पास कुछ दलित वोट और कुछ अगड़ों का वोट है. इसमें गैर जाटव दलित जातियां और कुछ अगड़े आते हैं. महागठबंधन से अल्पसंख्यक मतों का वोट कम से कम बंटेगा. बीएसपी इस बार अपने परंपरागत दलित वोटरों के अलावा अल्पसंख्यक वोटरों पर भी नजर गड़ाए हुए हैं. अगर मुसलमानों को एक मजबूत महागठबंधन का विकल्प मिल जाता है तो अल्पसंख्यक वोटर वापस नेताजी के पाले में आना पसंद करेंगे.

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नीतीश कुमार के पास अति पिछड़े समुदाय के वोटरों को रिझाने का दमखम है तो 9 फीसदी यादव और 18 फीसदी मुस्लिम वोट यूपी में मुलायम सिंह यादव की ताकत है. अगर सपा मुखिया बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाने में कामयाब रहे तो अगले साल के शुरू में होने वाले चुनाव में अपने परिवार की फूट का फायदा बीजेपी को नहीं मिल सकता.

अजीत सिंह जाटों के कुछ वोट जोड़ सकते हैं जो कई सीटों पर जीत के लिए निर्णायक हो सकता है. अजित सिंह अगर महागठबंधन का हिस्सा बनते हैं तो जाट वोटरों खासकर पश्च‍िमी उत्तर प्रदेश में जनाधार में मजबूती मिलेगी जहां बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सेंध लगा दी थी.

हालांकि, लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद 2014 में समाजवादी पार्टी, आरजेडी, जेडीयू, जेडीएस, इनेलो और समाजवादी पार्टी को मिलकर ग्रैंड अलायंस बनाने की कोशिश हुई थी. लेकिन बिहार चुनाव से पहले यह गठजोड़ टूट गया. अगर इस बार यह गठजोड़ कामयाब रहा तो आने वाले आम चुनाव के लिहाज से बीजेपी विरोधी नेताओं के लिए बड़ी जीत होगी जो पीएम बनने का सपना देख रहे हैं.

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