यूपी चुनाव में मुसलमानों के सामने फिर एक बड़ी दुविधा खड़ी हो गई है कि वो किसे वोट दें. लेकिन एक बात में दुविधा नहीं है कि किसे इस चुनाव में हराना है. मुसलमान वोटरों का मूल मंत्र है,जो बीजेपी को हराएगा वही मुस्लिम वोट पाएगा. यूं तो समाजवादी पार्टी पिछले ढाई दशक से मुसलमानों की पहली चाहती रही है. लेकिन केंद्र में मोदी सरकार की मौजूदगी और लगातार बढ़ती सांप्रदायिक माहौल ने मुसलमानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
किसे मिलेगा मुसलमानों का वोट?
समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन कर मुसलमानों के सामने सशक्त विकल्प देने की कोशिश की है, जिससे मुसलमानों की दुविधा खत्म हो सके और एकजुट करीब 20 प्रतिशत मुसलमान वोट इन्हें मिल जाए ताकि यह लोग बहुमत के आंकड़े को छू सकें. पर जमीनी हकीकत यह है कि मुसलमान बंटा हुआ है, खासकर मुसलमानों के गढ़ पश्चिमी और पूर्वी यूपी में मुसलमान अबतक तय नहीं कर पा रहे कि उनका एकजुट वोट कहां जाए. लेकिन एक हकीकत यह भी है कि ज्यादातर मुसलमान अखिलेश की सरकार को पसंद कर रहे हैं.
मुसलमानों के वोट के बगैर जीत मुश्किल
पूरे उत्तर प्रदेश में करीब 130 से 135 ऐसी सीटें है जहां मुसलमान हार-जीत सीधे-सीधे तय करता है जिसमें ज्यादातर सीटें पश्चिमी यूपी, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश है. मुसलमानों के वोटों के बगैर जीत किसी के लिए भी मुश्किल है.
अखिलेश से नराज हैं मुसलमान
यूं तो मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग अखिलेश सरकार से मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से ही नाराज था, मुसलमानों में नाराजगी की बड़ी वजह लव जिहाद, कैराना पलायन और धर्मांतरण को लेकर भी थी और खासकर जाट- मुसलमान दंगों ने तो अखिलेश यादव से मुसलमानों को पूरी तरह अलग कर दिया था. पिछले कुछ वक्त से मुसलमान और समाजवादी पार्टी का आधार पश्चिमी यूपी में थोड़ा कमजोर होने से मुसलमान कुछ समय पहले तक समाजवादी पार्टी के बजाए बीएसपी की तरफ खिसक चुका था लेकिन अब जबकि कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी का गठबंधन हो चुका है तो अब तस्वीर बदल सकती है.
बदल गये हैं समीकरण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ,बागपत, हापुड और गाजियाबाद जैसी सीटों पर अब समीकरण बदलते दिख रहे हैं और मुसलमानों का ज्यादा बड़ा तबका अखिलेश और कांग्रेस की तरफ जा सकता है. लेकिन सभी मुसलमान एक बात जरूर जोड़ रहे हैं कि भले ही वो सपा और कांग्रेस के समर्थक हो पर आखिरी दौर में जो भी बीजेपी को हराता दिखेगा मुसलमान उसकी ओर रूख करेगा. ऐसे में कई सीटों पर मुसलमान बीएसपी के साथ जाएगा. मसलन मेरठ के ज्यादातर मुसलमानों का रूख सपा-कांग्रेस की तरफ है. लेकिन हाजी याकूब की सीट पर मुसलमान बीएसपी को वोट करेगा. कई सुरक्षित सीटों पर जहां वीएसपी मजबूत वहां भी मुसलमान बीएसपी की तरफ जा सकते हैं.