एक वक्त था जब मुलायम सिंह यादव कंप्यूटर और अंग्रेजी के विरोधी थे. लेकिन आज लखनऊ में समाजवादी पार्टी के चमचमाते वॉर रूम की झलक ये बताने के लिए काफी है कि वो दौर अब बदल चुका है.
लखनऊ के कालिदास मार्ग पर जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट की पहली मंजिल पर बने इस वॉर रूम में दिन-रात 'ब्रांड अखिलेश को चमकाने का काम चल रहा है.
प्रोफेशनल संभाल रहे कमान
वॉर रूम का इंचार्ज कोई समाजवादी कार्यकर्ता नहीं, बल्कि डेढ़ दशक तक बीबीसी समेत दुनिया की कई नामचीन कंपनियों में काम कर चुके आशीष यादव हैं. यादव के मुताबिक सर्वेक्षणों में अखिलेश यादव को मिली बढ़त उनके प्रचार को आसान बनाती है. बतौर वॉर रूम इंचार्ज आशीष यादव का काम है टीवी, अखबार, सोशल मीडिया, आउटडोर कैंपेन और बैनर-पोस्टर के जरिए मुख्यमंत्री की खूबियों को वोटरों तक पहुंचाना.
जीत के लिए जिंगल
इसी वॉर रूम में काम करने वाले मनोज यादव नए-नए गाने और जिंगल के लिखने के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं. यादव रईस, पीकू, नील बटे सन्नाटा जैसी फिल्मों में गीत लिख चुके हैं. अखिलेश यादव के लिए लिखा गया उनका गीत 'काम बोलता है' पार्टी कार्यकर्ताओं में खासा हिट साबित हुआ था. मनोज का कहना है कि सीएम के काम को गीतों में पिरोने के लिए उन्हें लगातार सरकार के कामकाज और योजनाओं की जानकारी जुटानी पड़ती है.
यादव की मानें तो उनके काम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद दिलचस्पी लेते हैं. जब बुंदेलखंड के आल्हा लोकगीत पर आधारित एक नए जमाने का जिंगल बनाया जा रहा था तो अखिलेश ने गिटार के इस्तेमाल की टिप्स दी थी.
ऐड एजेंसी चमकाएगी 'ब्रांड अखिलेश'
GoZoop के नाम से समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता कम ही वाकिफ होंगे. मुंबई की ये विज्ञापन कंपनी कई बड़ी ब्रांड्स के लिए काम कर चुकी है. पिछले एक महीने से कंपनी के 20 मुलाजिम इस वॉर रूम में काम कर रहे हैं. डिजिटल ऐड कैंपेन के इंचार्ज अहमद आफताब बताते हैं कि वोटिंग के हर फेज से पहले कुछ नई चीज लोगों के सामने लाई जाएगी.
मसलन, पूर्वी यूपी में चुनाव के वक्त अखिलेश यादव की शान में भोजपुरी गीत रिलीज किये जाएंगे. अहमद की टीम सोशल मीडिया पर अखिलेश के ऐड कैंपेन का फीडबैक लेने का भी काम करती है.
रिसर्च टीम रख रही उम्मीदवारों पर नजर
वॉर रूम के एक कोने में रिसर्च टीम के लोग मसरूफ नजर आते हैं. इस टीम की अगुवाई करने वाले अंशुमन शर्मा हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने के बाद बीबीसी में काम कर चुके हैं. उनकी टीम को पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जीत की संभावना पर जानकारी जुटाना है. इस जानकारी के आधार पर प्रत्याशियों को 'मजबूत' और 'कमजोर' श्रेणियों में बांटा जा रहा है.