उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे हरदोई जिले में नरेश अग्रवाल के परिवार का खासा दबदबा माना जाता है. यहां जिला पंचायत, नगर पालिका से लेकर हरदोई विधानसभा में 40 साल से उनका कब्ज़ा है.
हरदोई में उनके दबदबे का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की साल 1975 के चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काटा, तो उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराकर फिर कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद 1997 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को तोड़कर अपनी अलग पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर कल्याण सिंह की सरकार को बचाया तो पॉवर मिनिस्टर बने.
इसके बाद से यूपी की सता में अग्रवाल की पॉवर बरक़रार है. चाहे सरकार किसी की भी रही. जब समाजवादी पार्टी के पास सत्ता होती है, तो वह मुलायम सिंह परिवार के साथ खड़े दिखाई देते हैं और जब बीएसपी की सरकार आती है, तो वह बीएसपी सुप्रीमो मायावती का गुणगान करते नज़र आते हैं.
मौसम विज्ञानी अग्रवाल
जब इस बारे में नरेश अग्रवाल से सवाल किया गया, तो उनका कहना था कि वह मौसम विज्ञानी हैं और अभी तक समाजवादी पार्टी में हैं, तो इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत पक्की है.
हरदोई से बेटे की किस्मत दांव पर
हरदोई सदर सीट से इस बार नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. अखिलेश सरकार में मंत्री नितिन तीसरी बार इस सीट से अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं. हालांकि इस बार यहां बीजेपी के उम्मीदवार राजाबक्श सिंह से उन्हें कड़ी टक्कर मिलती दिख रही हैं. पिछली बार राजाबक्श सिंह बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और दूसरे स्थान पर रहे थे. वहीं इस बार उनके विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद वह अपनी जीत पक्की मान रहे हैं.