यूपी विधानसभा चुनावों में लगातार दिन कम होते जा रहे हैं. गुरुवार को पांचवे चरण के लिए अधिसूचना भी जारी हो गई. पांचवें चरण में 11 जिलों की 52 सीटों पर चुनाव होने हैं. अधिसूचना जारी होने के साथ ही इन सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. प्रत्याशी नौ फरवरी तक नामांकन कर सकते हैं. नामांकन पत्रों की जांच 10 फरवरी को होगी जबकि 13 फरवरी तक नाम वापस लिये जा सकेंगे. इन सीटों पर मतदान 27 फरवरी को होगा और गिनती 11 मार्च को होगी.
पांचवे चरण में 11 जिलों की 52 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. पांचवे चरण में बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकर नगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सुल्तानपुर और अमेठी में चुनाव होंगे.
अमेठी-रायबरेली की आठ सीट पर लड़ेगी कांग्रेस
रायबरेली और अमेठी जिले की 10 सीटों में से आठ सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी जबकि सपा बाकी 2 सीटों पर चुनावी मैदान पर उतरेगी. मुलायम के खास और मंत्री गायत्री प्रजापति को अमेठी से सपा का उम्मीदवार बनाया गया है. माना जा रहा है कि गठबंधन के इस फॉर्मूले से कांग्रेस और सपा अपने-अपने खेमे में फैली नाराजगी शांत कराने की कोशिश कर रहे हैं. आपको बता दें कि अमेठी में चुनाव पांचवे चरण में है जबकि रायबरेली में चौथे चरण में ही वोटिंग होनी है.
अभी तक साफ नहीं हुई गठबंधन की तस्वीर
पांचवे चरण की अधिसूचना जारी हो चुकी है लेकिन अभी तक सपा-कांग्रेस गठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. किस सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी और कहां से सपा मैदान में उतरेगी इस बात पर अभी भी संशय बरकरार है. अखिलेश यादव ने अपने नेताओं को स्थिति स्पष्ट न होने तक नामांकन न दाखिल करने का फरमान अलग से भेज दिया है.
कई सीटों पर असमंजस की स्थिति
सपा और कांग्रेस के बीच यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हुए गठबंधन में यह तय हुआ था कि सपा कुल 298 और कांग्रेस 105 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. दोनों ही पार्टियों के स्टार प्रचारक गठबंधन के लिए चुनाव प्रचार करेंगे न कि सिर्फ अपनी-अपनी पार्टियों के लिए. लेकिन, सीटों को लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है.
दरअसल, गठबंधन की शुरुआती बातचीत में यह तय हुआ था कि जिन सीटों पर जिस पार्टी का सिटिंग एमएलए है वह सीट उसी के खाते में रहेगी. लेकिन, सपा ने जब अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो उसमें कुछ सीटें ऐसी थीं जिन पर पिछला चुनाव कांग्रेस जीती थी. इसके बाद प्रियंका ने राहुल से अमेठी और रायबरेली की पूरी सीट मांग कर समस्या और विकट कर दी थी.
खड़ी हो सकती है मुश्किल
11 फरवरी से को पहले चरण की वोटिंग है, इसके बाद दूसरे चरण में 15 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. दोनों ही चरणों में नामवापसी की समय सीमा खत्म हो चुकी है. तीसरे चरण में मतदान 19 फरवरी को है, यहां नाम वापसी की आखिरी तारीख 4 फरवरी है हालांकि नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है. 403 विधानसभा सीटों में से 209 सीटें लॉक हो चुकी हैं. मतलब यूपी में चुनावी महाभारत की आधी सेना मैदान में उतर चुकी है. ऐसे में सपा-कांग्रेस का गठबंधन क्लियर न होना उनके लिए ही परेशानी का सबब बन सकता है.
जमीनी नेताओं ने बना रखी है दूरी
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक सपा-कांग्रेस गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों का शीर्ष नेतृत्व खुश है और प्रदेश की जनता में भी पॉजिटिव माहौल है. लेकिन, दोनों ही दलों के स्थानीय नेताओं में कोई खास उत्सुकता नजर नहीं आ रही है. स्थानीय नेता फिलहाल तो अपना टिकट कटने से परेशान हैं. कहीं सपा बाजी मार ले रही है तो कांग्रेसी परेशान हैं तो कहीं कांग्रेसी खेमे में खुशी नजर आ रही है और सपाई पाले में गम. जबकि जरूरत है दोनों दलों के नेताओं के एकसाथ आने की.
अच्छे लड़कों की एकजुटता भी पड़ी फीकी
गठबंधन का मजबूत संदेश देने के लिए राहुल और अखिलेश ने रविवार 29 जनवरी को पहले प्रेस कांफ्रेस और फिर रोड शो में हिस्सा लिया. प्रेस कांफ्रेस में सपा और कांग्रेस की समान सहभागिता नजर आई लेकिन रोड शो में सपा का जलवा छाया रहा. कांग्रेस के इक्का-दुक्का झंडे ही नजर आए. रोड शो के बाद सपा नेताओं में तो जोश भर गया लेकिन कांग्रेसियों का हाल वैसा का वैसा ही रहा.