पहले चरण के चुनाव अभियान के लिए अखिलेश यादव ने समाजवादियों का गढ़ कहे जाने वाले एटा जिले को चुना है, जहां उन्होंने ताबड़तोड़ पांच चुनावी सभाएं की हैं.
अपने पिता और परिवार के इस गढ़ चुनने की चाहे जो वजह रही हो लेकिन यहां से अखिलेश ने साफ कर दिया कि मुलायम पिता हैं तो सम्मान रहेगा लेकिन पार्टी में उनकी ही चलेगी.
सभा शुरू होने से पहले कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा मुलायम के उस बयान पर थी जिसमें मुलायम ने न सिर्फ कांग्रेस से गठबंधन का विरोध किया था बल्कि कांग्रेस की सीटों से पुराने कार्यकर्ताओं को लड़ने की अपील भी कर दी थी. अखिलेश की सभा के बाद 'आजतक' ने वहां मौजूद लोगों से मुलायम के नए तेवर पर रुख जानने की कोशिश की तो पता चला कि कार्यकर्ता भी अखिलेश की ही पीछे हैं.
एटा में मौजूद कार्यकर्ताओं ने कहा कि वक्त अखिलेश का है तो फिलहाल सभी उनके ही साथ हैं. लेकिन ये भी माना कि नेताजी का असर कम नहीं है और पार्टी में कोई मुलायम सिंह यादव के खिलाफ नहीं बोल सकता.
यादव परिवाद के गढ़ में मुलायम-अखिलेश के प्रत्याशी आमने सामने
अखिलेश यादव ने चुनाव अभियान की शुरुआत एटा और कासगंज जिले से की. जहां की 6 में से 5 सीटें समाजवादी पार्टी के पास है लेकिन एटा सदर की सीट जहां से अखिलेश ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की
उस सीट पर मुलायम के समर्थक लोकदल से और अखिलेश के समर्थक समाजवादी पार्टी से ताल ठोक रहे हैं.
अखिलेश ने सोमवार को जहां से अपनी सभा की शुरुआत की वो सीट मुलायम समर्थक विधायक आशीष यादव की थी. आशीष यादव के पिता रमेश यादव मुलायम के करीबी हैं. इस बार अखिलेश यादव ने उनकी टिकट काटकर जोगिंदर यादव को दे दी. जिससे मुलायम खासे खफा हुए लेकिन अखिलेश ने एक नहीं सुनी. अखिलेश ने न सिर्फ जोगिंदर यादव को टिकट दिया बल्कि उसी के क्षेत्र से चुनावी अभियान का श्रीगणेश भी कर दिया.
सभा के बाद आज तक ने अखिलेश के उम्मीदवार जोगिंदर यादव से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके नेता अखिलेश हैं और लोग अब अखिलेश को नेता मानकर आगे निकल भी चुके हैं. उधर वर्तमान विधायक आशीष यादव भले ही लोकदल से लड़ रहे हैं लेकिन वो मुलायम के बैनर और पोस्टर के साथ अपने कैंपेन में जुटे हैं.
आशीष अखिलेश के उम्मीदवार जोगिंदर यादव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने हजारों लोगो की जमीनें हड़पी हैं. वो न सिर्फ इलाके के भू माफिया हैं बल्कि उनके ऊपर गंभीर आपराधिक आरोप भी है. दरअसल मुलायम के इस बयान के बाद की कांग्रेस के सभी 105 सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़े अब उस तबके में जोश आ गया है जो मुलायम गुट का है. अब कई सीटों पर मुलायम और शिवपाल के लोग नामांकन कर सकते हैं.
पिता पुत्र की लड़ाई अब घरों से निकलकर मैदान में आ गई है. मुलायम सिंह के पास अब ज्यादा कुछ खोने को बचा नहीं है लेकिन देखना है कि पिता का यह बागी रूख अखिलेश यादव को कितना नुकसान पंहुचाता है.