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कहां हैं ममता, केजरीवाल और लालू... कब नोटबंदी के खिलाफ यूपी में करेंगे प्रचार?

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग संपन्न हो चुकी है. चौथे चरण के लिए चुनावी मैदान में उतरीं पार्टियां जोर-शोर से प्रचार में जुटी हैं. बीजेपी जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रही है.

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नोटबंदी के बाद बीजेपी के खिलाफ प्रचार का किया था वादा
नोटबंदी के बाद बीजेपी के खिलाफ प्रचार का किया था वादा

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग संपन्न हो चुकी है. चौथे चरण के लिए चुनावी मैदान में उतरीं पार्टियां जोर-शोर से प्रचार जुटी हैं. बीजेपी जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रही है, वहीं पटलवार करने में राहुल-अखिलेश भी कोई देरी नहीं कर रहे हैं. लेकिन चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ और अखिलेश का साथ देने का दम भरने वाली पार्टियां नजर नहीं आ रही हैं.हालांकि खबर है कि लालू मंगलवार और बुधवार को सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए प्रचार करेंगे, लेकिन शुरुआती तीन चरणों तक क्यों नजर नहीं आए ये बड़ा सवाल है. 

नोटबंदी के वक्त केंद्र के खिलाफ मोर्चा
दरअसल 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे जैसे ही देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के फैसले का ऐलान किया, विपक्ष एकजुट हो गया. जेडीयू को छोड़कर सभी पार्टियों ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पार्टियों ने नोटबंदी के फैसले को गलत बताते हुए सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक अपना विरोध जताया. इसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सबसे आगे थे.

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...क्या  हुआ तेरा वादा?
इन लोगों ने उस वक्त तो एक साथ यूपी चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की ठानी थी. ममता और लालू ने यहां तक कह दिया था कि वो यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ और अखिलेश के समर्थन में प्रचार करेंगे, जबकि केजरीवाल कहते थे कि वो सभाएं कर बीजेपी की हार सुनिश्चित करेंगे, और केंद्र सरकार की तमाम गलत नीतियों के बारे में यूपी की जनता को बताएंगे. शायद, इनकी धमकी से बीजेपी भी सहमी हुई थी. लेकिन यूपी में तीन चरण के मतदान हो चुके हैं. बीजेपी हर सभा में नोटबंदी के फैसले को सही साबित करने में जुटी है. लेकिन अखिलेश को साथ देने का वादा करने वाले ये चेहरे यूपी में कहीं भी चुनावी मंच पर नजर नहीं आ रहे हैं.

अखिलेश के समर्थन में वोट मांगने का किया था वादा
अगर बात ममता बनर्जी की करें तो इन्होंने नोटबंदी के फैसले को जनता के खिलाफ जोड़ते हुए कहा था कि इससे गरीब लोग परेशान हैं, और कालेधन पर लगाम की बात केवल हवा-हवाई है. उन्होंने इस फैसले के लिए कोलकाता से लेकर पटना, लखनऊ और दिल्ली में सभाएं की थीं. सभी सभाओं में ममता ने धमकी भरे अंदाज में कहा था, 'बीजेपी और मोदी जी के खिलाफ यूपी में वो अखिलेश के पक्ष में वोटरों से वोट करने की अपील करेंगी'.

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यूपी में कहीं नजर नहीं आ रही हैं दीदी
गौरतलब है कि नोटबंदी के खिलाफ लखनऊ सभा में ममता ने अखिलेश को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि अखिलेश खुद नहीं पहुंचे थे लेकिन पार्टी के एक मंत्री को जरूर भेजा दिया था. लेकिन अब जब यूपी में चुनावी सरगर्मी चरम पर है, तीन चरणों की वोटिंग भी हो चुकी है, लेकिन दीदी कहीं भी अखिलेश के साथ मंच पर नजर नहीं आ रही हैं, और शायद आगे भी नहीं आने वाली हैं. क्योंकि अभी तक उनकी यूपी चुनाव प्रचार में मौजूदगी को लेकर कोई खबर नहीं है. अब इसकी वजह क्या है ये तो दीदी या फिर अखिलेश ही बता सकते हैं.

लालू रिश्ते कब निभाएंगे?
नोटबंदी के वक्त लालू ने भी केंद्र के खिलाफ खूब मोर्चा खोला था, और यूपी में अखिलेश के लिए वोट मांगने का वादा भी किया था. वैसे लालू तो मुलायम के रिश्तेदार भी हैं, लोगों की उम्मीद थी कि लालू जरूर अखिलेश और हाथ के पक्ष में माहौल बनाने के लिए चुनावी मंच पर नजर आएंगे. बता दें, जब मुलायम परिवार में 'साइकिल' को लेकर जंग छिड़ी थी तो सुलह की लालू ने भी खूब कोशिश की थी. उन्होंने मुलायम को यहां तक सलाह दी थी कि वो अखिलेश को 'साइकिल' सौंप दें.

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लालू के बिना चुनावी मंच सूना
अब जब अखिलेश को साइकिल मिल गई है और वो उसे यूपी में दोबारा दौड़ाने के लिए दम भर रहे हैं, तो ऐसे में लालू उनके साथ नजर नहीं आ रहे हैं. वैसे तो लालू के बेटे कांग्रेस के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रहे हैं. लेकिन अभी तक यूपी के चुनावी मंच से लालू गायब हैं. यूपी में चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही खुद लालू ने अखिलेश के लिए प्रचार करने की बात कही थी. हालांकि खबर हैं कि लालू मंगलवार और बुधवार को लेकर सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए वोट मांगेंगे. 

केजरीवाल भी भूले गए वादे
नोटबंदी के खिलाफ राजनीति में तीसरा सबसे बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल का था. अब भी वो नोटबंदी से कालाधन बढ़ने की बात कहते हैं. उन्होंने पंजाब-गोवा में तो बीजेपी से खूब लोहा लिया. लेकिन यूपी की राजनीति से आम आदमी पार्टी के साथ-साथ उनके नेता भी दूर हैं. नोटबंदी के दौरान केजरीवाल-ममता ने तो दिल्ली के आजादपुर में एक सभा के दौरान कहा था कि वो दोनों यूपी में पीएम मोदी के खिलाफ प्रचार करेंगे. उन्होंने बताया था कि जनसभा करने का मेरा एक ही एजेंडा होगा नोटबंदी के पीछे का षड्यंत्र लोगों को बताया जाए. केजरीवाल ने यहां तक कहा था कि वो जगह-जगह सभाएं करके लोगों से बीजेपी को वोट नहीं करने की अपील करेंगे. लेकिन दिल्ली में होने के बावजूद केजरीवाल यूपी में कहीं बीजेपी के खिलाफ मैदान में नहीं दिख रहे हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर वो बीजेपी के खिलाफ लगातार कमेंट्स कर रहे हैं.

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क्या बीजेपी के खिलाफ मोर्चा दिखावा था?
जिस तरह से यूपी चुनाव प्रचार से ममता, लालू और केजरीवाल ने किनारा कर लिया है. इससे तो यही लगता है कि नोटबंदी को लेकर बीजेपी के खिलाफ इनका नारा केवल दिखावा था, क्योंकि अगर ये सभी राजनीति के बड़े खिलाड़ी यूपी के मंच पर अखिलेश के साथ या फिर पीएम मोदी के खिलाफ खड़े होते तो शायद बीजेपी को मुकाबले के लिए रणनीति बदलनी पड़ती. या फिर ये हो सकता है कि नोटबंदी के वक्त हड़बड़ी में लिए फैसले को अब इन नेताओं ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है. यानी चुनावी मैदान पर अखिलेश को आगे भी अकेले ही बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी.

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