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कांग्रेस-सपा के गठबंधन की आहट से मायावती को मुस्लिम वोट खिसकने का डर!

मायावती गठबंधन की चिंता में इस कदर परेशान है कि सोमवार को लखनऊ में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में वह नोटबंदी से ज्यादा इस गठबंधन के खिलाफ बोलीं. मुसलमानों का वोट पाने के लिए ये आजमाया हुआ नुस्खा है कि मुसलमानों को इस बात का डर दिखाओ की अगर उसे वोट नहीं दिया तो बीजेपी सत्ता में आ जाएगी.

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माया को मुस्लिम वोट का टेंशन !
माया को मुस्लिम वोट का टेंशन !

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उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की खबरों ने मायावती की नींद उड़ा दी है. मायावती को डर है कि अगर यह दोनों पार्टियां साथ आ जाती हैं तो यूपी के मुसलमान पूरी तरह से समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन की तरफ चले जाएंगे और बीएसपी का बंटाधार हो सकता है. मायावती की चिंता वाजिब है क्योंकि इस बार बहुजन समाज पार्टी ने दलित और मुस्लिम गठबंधन पर दांव लगाया है और सवा सौ से ज्यादा मुसलमानों को टिकट दिया है. अगर मुसलमान बीएससी के पाले में नहीं आए तो बीएससी का खेल खराब होना तय है.

मायावती गठबंधन की चिंता में इस कदर परेशान है कि सोमवार को लखनऊ में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में वह नोटबंदी से ज्यादा इस गठबंधन के खिलाफ बोलीं. मुसलमानों का वोट पाने के लिए ये आजमाया हुआ नुस्खा है कि मुसलमानों को इस बात का डर दिखाओ की अगर उसे वोट नहीं दिया तो बीजेपी सत्ता में आ जाएगी. मायावती ने भी अपने प्रेस कांफ्रेंस में इसी नुस्खे को अपनाया, मायावती ने साबित करने की कोशिश की कि जब भी उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार रही है, तो बीजेपी कमजोर हुई है और जब भी समाजवादी पार्टी की सरकार रही है, बीजेपी मजबूत हुई है.

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2009 का दिया उदाहरण

अपनी बात साबित करने के लिए मायावती ने कहा 2009 लोकसभा चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार थी और बीजेपी को सिर्फ 9 सीटें मिली. लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के समय यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और बीजेपी ने 73 सीटों पर कब्जा कर लिया. हांलाकि मायावती ने यह नहीं बताया की 2009 लोकसभा चुनाव के समय बीजेपी की जीत के नायक मोदी पिक्चर में नहीं थे.

मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन हुआ तो चुनाव हारने के बाद समाजवादी पार्टी पार्टी हार का ठीकरा कांग्रेस के सर पर ही फोड़ेगी. इसीलिए कांग्रेस को इस गठबंधन से दूर रहना चाहिए. लेकिन यह बात किसी के लिए भी समझ के परे है कि मायावती को अचानक बीएसपी से ज्यादा चिंता कांग्रेस के इमेज कि क्यों होने लगी. बात बिल्कुल साफ है वह किसी भी कीमत पर इस गठबंधन को नहीं होने देना चाहती हैं.

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