मंगलवार को मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि बहुजन समाज पार्टी के बैंक अकाउंट में 104 करोड़ रुपए पकड़े जाने की असली वजह ये है कि मायावती ने एक दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस करके समाजवादी पार्टी और बीजेपी के गुप्त गठजोड़ का पर्दाफाश कर दिया था और वह लगातार नोट बंदी का जोरदार तरीके से विरोध कर रही थीं. 104 करोड़ रुपए नगद बहुजन समाज पार्टी के दिल्ली ऑफिस में इसलिए रखे थे क्योंकि मायावती ज्यादातर समय लखनऊ में थीं और उन्हें पैसे जमा कराने का मौका नहीं मिला. अब आप इन बातों पर यकीन करें या ना करें लेकिन मायावती को भरोसा है कि यूपी के वोटर उनके इस बात पर यकीन करेंगे और बीजेपी को एक दलित को परेशान करने की सजा भी देंगे.
सोमवार को इस बात का खुलासा हुआ था की नई दिल्ली के करोल बाग इलाके में यूनियन बैंक के अकाउंट में नोटबंदी के बाद बीएसपी की तरफ से 104 करोड़ रुपए नगद में जमा कराए गए थे. यही नहीं, मायावती के भाई आनंद के अकाउंट में भी एक करोड़ 43 लाख, रुपए पुराने नोट पर जमा कराए गए थे.
इस खुलासे के बाद मायावती मंगलवार को लखनऊ में मीडिया से रूबरू हुईं और कहा कि यह पैसे देशभर में उनके कार्यकर्ताओं ने चुनाव के लिए जमा किया था लेकिन यह पैसा पहले बैंक में जमा इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि वह ज्यादातर लखनऊ
में रहीं. मायावती ने कहा कि यह देश भर में उनके कार्यकर्ताओं द्वारा जमा किया गया चंदे का पैसा है जिसे चुनाव के लिए इकट्ठा किया गया था. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और जितना पैसा जमा है सबका उनके पास हिसाब है. उन्होंने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती भी दी कि बीएसपी के अकाउंट की जांच कराने से पहले अगर उन्हें हिम्मत है तो बीजेपी के खातों का भी ब्यौरा देना चाहिए और बताना चाहिए कि इन खातों में नोटबंदी के पहले और नोटबंदी के बाद कितना पैसा जमा
कराया गया.
वहीं अपने भाई आनंद के द्वारा जमा कराए गए रुपयों के बारे में भी मायावती ने कहा कि ये कारोबार से सही तरीके से जमा कराया गया रूपया है और इसमें छुपाने की कोई बात नहीं है. मायावती ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वो बीएसपी
की यूपी में सरकार बनता देख कर घबरा गयी है और इसलिए उन्हें परेशान करने में लग गई है. वहीं नोटबंदी के खिलाफ विपक्ष की बैठक में शामिल होने पर मायावती ने कहा कि इस बाबत वो पहले ही अपना रुख साफ कर चुकी है.