चुनाव के समय नेता, वोटरों के दिल तक पहुंचने के लिए जमीन-आसमान एक कर देते हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव में जमीन पर चुनाव आयोग की सख्ती देखकर नेताओं ने आसमान के जरिए वोटरों के दिल तक पहुंचने की कोशिश की और इसका तरीका भी ढूंढ निकाला. लेकिन नेता हवा में उड़ते, उससे पहले ही चुनाव आयोग ने उनकी डोर काट दी.
नेताओं का बस चले तो शहर-गांव की तमाम सड़कों को पोस्टर बैनर से पाट दें. लेकिन पोस्टर और बैनरों के जरिए ताकत दिखाने के दिन लद गए. चुनाव आयोग कि सख्ती अब ऐसी है कि नए बैनर पोस्टर क्या लगेंगे पुराने भी हटा दिए गए हैं. उत्तर प्रदेश के शहरों में हर चौराहे पर कुछ दिनों पहले तक नेताओं के इतने पोस्टर लगे थे कि गिनना मुश्किल. लेकिन चुनाव घोषित होते ही सब के सब हटा दिए गए. तभी नेताओं को एक उपाय सूझा. मकर संक्रांति के समय पूरे उत्तर भारत में पतंग उड़ाने की परंपरा है. नेताओं ने सोचा कि क्यों ना इसी बहाने वोटरों के सिर पर मंडराया जाए.
नेताओं ने अपने समर्थकों को इशारा कर दिया और देखते ही देखते पतंग की दुकानें मोदी, मुलायम सिंह और अखिलेश यादव के पतंगों से पट गई. लेकिन नेता पतंगों पर सवार होकर हवा में उड़ते इससे पहले ही चुनाव आयोग को भनक लग गई. चनाव आयोग ने साफ कर दिया कि पतंगों की शक्ल में नेताओं के पोस्टर आसमान में नहीं लहरा सकते. कहा गया कि ये चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होगा और जो दुकानदार ऐसी पतंगें बेचता हुआ पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में तमाम दुकानों पर ऐसी पतंगों की भरमार लग चुकी थी. पतंगों के जरिए कहीं मोदी की फोटो के साथ सर्जिकल स्ट्राइक का गुणगान हो रहा था तो कहीं अखिलेश यादव अपनी एक्सप्रेस-वे के साथ मुस्कुरा रहे थे. बिक्री भी ठीक-ठाक हो रही थी लेकिन तभी चुनाव आयोग के आदेश पर छापा मारकर तमाम तमाम दुकानों से ऐसी बहुत सारी पतंगें जब्त की गईं. अब ऐसी सारी पतंगें कबाड़ में पड़ी हैं.
चुनाव आयोग की सख्ती से मायूसी लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश में ही पिछले विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग के आदेश पर मायावती के बनाए हुए तमाम पत्थर के हाथियों को ढक दिया गया था. हाथी बहुजन समाज पार्टी का चुनाव निशान है. लेकिन चुनाव आयोग के फरमान का सबसे मजेदार उदाहरण 2013 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था. तब कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने ये आदेश दे दिया था कि सड़कों के किनारे जितने ताल-तलैया में कमल के फूल खिले हैं सब को ढक दिया जाए क्योंकि यह बीजेपी का चिन्ह है.
एक पतंग विक्रेता के मुताबिक अभी तक मोदी की तस्वीर वाली पतंगों की सबसे ज्यादा मांग हो रही थी.