बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने अपने विवादित बयान पर सफाई दी है. एएनआई को दिये बयान में साक्षी महाराज ने दावा किया कि उनका इरादा किसी समुदाय की भावनाओं को चोट पहुंचाने का नहीं था. उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने अपने बयान में किसी भी समुदाय का नाम नहीं लिया था और वो सिर्फ बढ़ती आबादी पर चिंता जाहिर कर रहे थे.
EC का नोटिस
इससे पहले साक्षी महाराज को चुनाव आयोग ने आचार संहिता तोड़ने के आरोप में नोटिस भेजा था. उन्हें जवाब देने के लिए 11 जनवरी तक का वक्त दिया गया है. साक्षी महाराज के मुताबिक उन्होंने आयोग से नोटिस की हिंदी कॉपी मांगी है. उत्तर प्रदेश में 4 जनवरी से चुनावी आचार संहिता लागू है. यहां सात चरणों में चुनाव होने वाले हैं. पहले फेज की वोटिंग 11 फरवरी को होगी.
क्या है नोटिस में?
नोटिस में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि नेता जाति या संप्रदाय से जुड़ी भावनाएं नहीं भड़का सकते. आयोग ने जनप्रतिनिधि कानून, 1951 के अनुच्छेद 125 का भी हवाला दिया है जिसके तहत अलग-अलग समुदायों के बीच चुनावी फायदे के लिए वैमनस्य फैलाना अपराध करार है. नोटिस में चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रथम दृष्टया साक्षी महाराज सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले के उल्लंघन के भी दोषी जिसके मुताबिक जातिगत या सांप्रदायिक भावनाएं भड़काकर वोट नहीं मांगे जा सकते.
साक्षी महाराज के विवादित बोल
अपने बयानों के लिए अक्सर विवादों में रहने वाले साक्षी महाराज ने 6 जनवरी को मुस्लिम समुदाय पर इशारों में तंज कसा था. मेरठ में संत समागम में उनका कहना था कि देश में आबादी बढ़ाने के लिए 4 पत्नी और 40 बच्चे वाले जिम्मेदार हैं.
दर्ज हुई थी FIR
इस बयान पर कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने कड़ा ऐतराज जताते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की थी. इसके बाद साक्षी महाराज पर FIR दर्ज हुई थी. उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी ने इस सिलसिले में रिपोर्ट भी तलब की थी. बीजेपी उनके बयान से पहले ही किनारा कर चुकी है.