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रियलटी चेक: लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर अभी ना ही जाएं तो बेहतर!

इसमें कोई शक नहीं कि जो हिस्से बनकर तैयार हो गए हैं वहां पर यह एक्सप्रेस-वे शानदार दिखती है. लेकिन लखनऊ से निकलकर कुछ किलोमीटर ही आगे जाने पर यह बात समझ में आ जाती है कि एक्सप्रेस-वे को चुनाव के चक्कर में जल्दबाजी में खोल दिया गया है

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लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे

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जिस एक्सप्रेस-वे पर सुखोई और मिराज जैसे लड़ाकू विमान उतरते हों, उस पर गाड़ी दौड़ाने का आनंद क्या होगा. यह सवाल बहुत से लोगों के मन तब से है जबसे उन्होंने महीने भर पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करते अखिलेश यादव को देखा था. लेकिन ये चर्चित एक्सप्रेस-वे उद्घाटन के समय लोगों के लिए नहीं खोला गया था. आम लोगों के लिए यह हाईवे शुक्रवार को खोला गया. अखिलेश यादव सरकार का दावा है कि इस एक्सप्रेस-वे से आप आगरा से लखनऊ की दूरी सिर्फ 4 घंटे में पूरी कर सकते हैं. लेकिन आम जनता के लिए एक्सप्रेस से खुलने के बाद जब आजतक ने जाकर स्थिति का जायजा लिया तो सच्चाई कुछ और नजर आयी.

इसमें कोई शक नहीं कि जो हिस्से बनकर तैयार हो गए हैं वहां पर यह एक्सप्रेस-वे शानदार दिखती है. लेकिन लखनऊ से निकलकर कुछ किलोमीटर ही आगे जाने पर यह बात समझ में आ जाती है कि एक्सप्रेस-वे को चुनाव के चक्कर में जल्दबाजी में खोल दिया गया है. ज्यादातर हिस्सों में सड़क सिर्फ एक तरफ ही बन कर तैयार हुई है. दूसरी तरफ काम चल रहा है. वायदे के मुताबिक, कई जगहों पर डायल 100 पुलिस की गाड़ियां और एंबुलेस तो दिखे लेकिन पहले ही दिन एक्सिडेंट की शिकार गाडि़यां भी दिखीं.

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स्ट्रीट लाइट का का कहीं अता पता नहीं है. कई जगहों पर सड़क को चिकना बनाने वाली लेयर अभी डाली ही जा रही है. चलते चलते सड़क अचानक खत्म हो जाती है और सामने सड़क बनाने वाली गाड़ियां दिखने लगती हैं. सड़क के दोनों तरफ मिट्टी का काम अभी भी हो रहा है इसीलिए धूल का गुबार कई जगह दिखता है. एक्सप्रेस-वे पर तेजी से जाती हुई गाड़ी के सामने से दूसरी गाड़ी आ रही हो धूल की वजह से सामने दिखाई न दे तो नतीजा खतरनाक हो सकता है.

आस-पास वालें गांव भी परेशान

सड़क के दोनों तरफ लगने वाली रेलिंग भी अभी लगाना बाकी है जिसकी वजह से बीच एक्सप्रेस-वे पर जानवर घूमते दिखे. एक्सप्रेस-वे के किनारे जो गांव बसे हैं उनकी तकलीफ कुछ और है. जाहिदपुर गांव के लोग सड़क पर खड़े हैं क्योंकि सड़क बनाने में उनके गांव की जमीन तो चली गई लेकिन एक्सप्रेस वे पर आने के लिए उन्हें कोई रास्ता नहीं दिया गया है. पहले दिन एक्सप्रेस वे पर आए प्रदीप चौहान का अनुभव भी कुछ खास अच्छा नहीं था. उन्होंने कहा कि एक्सप्रेस पर देखने के लिए वह आ तो गए लेकिन इस पर चलना भी खतरनाक है क्योंकि बहुत काम होना बाकी है. एक्सप्रेस-वे पर गश्त कर रहे इंस्पेक्टर खुद यह बताते हैं कि अभी काफी काम होना बाकी है लेकिन लोग तेज रफ्तार से गाड़ियां भगा रहे हैं जो खतरनाक हो सकता है.

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पहले दिन एक्सप्रेस से की हालत देख कर यह लगता है कि अगर आप सही सलामत इस पर सफर करना चाहते हैं तो आपको कुछ महीनों का इंतजार करना चाहिए.


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