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उत्तर प्रदेश चुनाव : जानें...चौथा चरण खास क्यों है?

उत्तर प्रदेश में अब तक 209 विधान सभा सीट में पिछले तीन चरणों में चुनाव हो गए हैं. सबकी नजर अब चौथे चरण के चुनाव पर है, जब 23 फरवरी को 12 जिलों की 53 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस चरण में जिन जिलों में वोट डाले जाएंगे वो हैं, निचले दोआब क्षेत्र के प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, रायबरेली और फतेहपुर जिले और साथ ही साथ बुंदेलखंड के सात जिले-जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट.

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चौथे चरण में होगी तगड़ी लड़ाई
चौथे चरण में होगी तगड़ी लड़ाई

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उत्तर प्रदेश में अब तक 209 विधान सभा सीट में पिछले तीन चरणों में चुनाव हो गए हैं. सबकी नजर अब चौथे चरण के चुनाव पर है, जब 23 फरवरी को 12 जिलों की 53 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इस चरण में जिन जिलों में वोट डाले जाएंगे वो हैं, निचले दोआब क्षेत्र के प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, रायबरेली और फतेहपुर जिले और साथ ही साथ बुंदेलखंड के सात जिले-जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट. इस चरण में 1 .84 करोड़ मतदाता 680 उम्मीदवारों का भाग्य तय करेंगे.

यह मध्य प्रदेश से लगा हुआ क्षेत्र करीब 500 किलोमीटर में फैला हुआ है. झांसी जहां पश्चिम में स्थित है तो इलाहाबाद पूर्व में. झांसी जहां 1857 क्रांति का केंद्र था, वही इलाहाबाद आजादी के आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र था. इसी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का सबसे आबादी वाला जिला इलाहाबाद आता है तो वही दूसरी और सबसे छोटा जिला महोबा भी आता है.

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इस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की संख्या कम है पर दलितों की संख्या अधिक है. बुंदेलखंड के ललितपुर और चित्रकूट में जनजातियों की भी कुछ संख्या है. दोआब जिलों में भी दलितों की उपस्थिति देखने को मिलती है. रायबरेली में तो दलित 30 प्रतिशत के करीब है.

 

 

बुंदेलखंड के इलाकों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. यहां पर मतदाता जाति के आधार पर ही वोट करते हैं. नरेंद्र मोदी ने जालौन की रैली में बसपा को बहनजी संपत्ति पार्टी करार दिया तो मायावती ने मोदी पर आक्रमण करते हुए उन्हें नेगेटिव दलित मैन कहा था. स्पष्ट है की दलितों को लुभाने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ा.

 

 

इस दौर में कुल 116 उम्मीदवार यानी 17 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी के 40 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. बीजेपी के 48 उम्मीदवार इस चरण में भाग्य आजमा रहे हैं. सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी के हैं. इस पार्टी के 45 उम्मीदवार यानि 85 फीसदी करोड़पति हैं.

 

 

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए भी ये फेज काफी महत्वपूर्ण है. इलाहाबाद और रायबरेली कांग्रेस लीडरशिप की जन्मस्थली और कर्मस्थली रही है. कांग्रेस इन दोनों जिलों में इस बार अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. सोनिया गांधी ने इस बार जहां प्रचार तक नहीं किया, वही प्रियंका गांधी ने सिर्फ एक दिन रायबरेली में प्रचार किया. अब देखना ये है की यहां के मतदाता इसको किस रूप में लेते हैं.

 

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2012 विधान सभा के चुनाव में तो समाजवादी पार्टी ने ललितपुर, महोबा, हमीरपुर और कौशाम्बी जिलों में कोई भी सीट नहीं जीता था. इस बार अखिलेश यादव इस दाग को धोना चाहते हैं और यहां से अच्छा प्रदर्शन का उम्मीद कर रहे हैं.

 

 

बीजेपी का 2012 में प्रदर्शन काफी ख़राब रहा था. वह केवल 5 सीट ही जीत पायी थी. 2 सीट दोआब से और तीन बुंदेलखंड क्षेत्र से. इस बार बीजेपी केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति ने पार्टी को इस क्षेत्र से अधिक सीट दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाया है. बीजेपी उम्मीद कर रही है की पिछले बार की तुलना में उसे फायदा जरूर पहुंचेगा.

 

 

अगर हम इन 53 सीट का पिछला यानि 2012 विधान सभा चुनाव का रिजल्ट देखें तो समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 24 सीट मिली थी. बसपा 15 सीट में विजयी हुई थी. कांग्रेस जहां 6 सीट जितने में सफलता पायी थी वही बीजेपी को 5 सीट मिली थी. अन्य के खाते में 3 सीट गयी थी.

 

 

वीआईपी उम्मीदवार जो अपना किस्मत आजमा रहे हैं उनमे प्रमुख हैं- रायबरेली में कांग्रेस की तरफ से अदिति सिंह. वह रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं. रामपुर खास में आराधना मिश्रा 'मोना' कांग्रेस की तरफ से लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या कुंडा से निर्दलीय लड़ रहे हैं.

 

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राजा भैय्या, जिनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं पांच बार से लगातार निर्दलीय के तौर पर यहां से जीतते आए हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. उनके खिलाफ बसपा ने पूजा पाल को उतारा है, तो सपा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं. वे स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं.

 

 

अगर इस दौर के मुख्य मुद्दों की बात करे तो किसानों की स्थिति, रोजगार की तलाश में मजदूरों और किसानों का पलायन बुंदेलखंड से, आधारभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी , सफाई का आभाव, भूखमरी और कुपोषण, अवैध खनन, कानून एवं व्यवस्था, नोटबंदी का प्रभाव आदि हैं.

 

 

गहराई से देखें तो इस चरण में कई दिग्गजों की परीक्षा होने जा रही है. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा रायबरेली में लगी हैं तो भाजपा की केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति का इम्तिहान क्रमशः झांसी और फतेहपुर के क्षेत्र में होने जा रहा है. कुंडा से प्रदेश के मंत्री राजाभैया की प्रतिष्ठा दाव पर हैं तो सांसद प्रमोद तिवारी की इज़्ज़त का भी सवाल है.

 

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