scorecardresearch
 

यूपी चुनाव: गठबंधन के लिए सपा-कांग्रेस के बीच 15 सीटों पर फंसा पेंच

सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान करने के बाद यह कयास तेज हो गए कि आखिर समझौते के आंकड़े क्या होंगे? कांग्रेस के वॉर रूम में इस गठबंधन को लेकर मंगलवार को यूपी के तमाम नेताओं से विचार विमर्श हुआ.

Advertisement
X
सपा और कांग्रेस में गठबंधन की चर्चा पिछले कई दिनों से जोरों पर है
सपा और कांग्रेस में गठबंधन की चर्चा पिछले कई दिनों से जोरों पर है

Advertisement

उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने की आड़ में कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन को हरी झंडी दे दी. इसे लेकर बेताबी दोनों ओर ही है, क्योंकि दोनों को एक दूसरे की ज़रूरत है. राज्य में अपना आधार खो चुकी कांग्रेस अपनी नाक बचाने के लिए लड़ रही है, तो वहीं सत्ताधारी सपा के लिए ये चुनाव साख सवाल है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पार्टी के यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को ऐलान कर दिया कि कांग्रेस यूपी में सपा की साइकिल में हवा भरने को तैयार है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस गठबंधन की चर्चा पिछले कई दिनों से जोरों पर है. सूत्रों के मुताबिक, यूपी का मामला कांग्रेस की तरफ से सीधे प्रियंका गांधी देख रही हैं. प्रियंका की निगरानी में ही गठबंधन का फॉर्मूला तैयार हुआ है.

Advertisement

सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान करने के बाद यह कयास तेज हो गए कि आखिर समझौते के आंकड़े क्या होंगे? कांग्रेस के वॉर रूम में इस गठबंधन को लेकर मंगलवार को यूपी के तमाम नेताओं से विचार विमर्श हुआ.

15 सीटों को लेकर माथापच्ची
दरअसल यहां कांग्रेस पार्टी चाहती है कि सपा के साथ उसका गठबंधन ऐसा हो कि इस राष्ट्रीय पार्टी की नाक बची रहे. यही वजह है कि राज्य के 403 विधानसभा सीटों में से वह 100 के फिगर पर अभी भी अड़ी हुई है. तो वहीं सपा 85 से 88 सीटें ही कांग्रेस को देने की बात कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी को डेढ़ सौ सीटें मिले, लेकिन उन्होंने गठबंधन के लिए गुणा-भाग का फैसला प्रियंका के हाथ छोड़ दिया.

पहले दो चरणों की सीटों को हरी झंडी अब दोनों ही पार्टियों में फाइनल आकड़ों को लेकर जिरह चल रही है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विधानसभा चुनावों के पहले और दूसरे चरण की सीटों पर लगभग सहमति बन गई है. कांग्रेस को इसमें 30 सीटें मिल रही हैं. मगर मुस्लिम बहुल और सियासी तौर पर निर्णायक माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश को सपा इतनी आसानी से छोड़ना नहीं चाहती. पहले ही सपा लगभग 21 सीटें अजित सिंह की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को देने का वादा कर चुकी है. इसलिए दोनों गुट एक दूसरे पर दबाव बना रहे हैं.

Advertisement

गांधी के गढ़ में क्या होगा समझौता?
कांग्रेस पार्टी ने सपा पर सबसे ज्यादा दबाव गांधी परिवार के पारंपरिक क्षेत्र की सीटों को लेकर बनाया. कांग्रेस से समझौते के तहत गांधी के गढ़ रायबरेली और अमेठी में सपा अपने 7 मौजूदा विधायकों को टिकेट नहीं देगी. सपा चाहती है कि इसकी भरपाई कांग्रेस पूर्वांचल में करे. मगर कांग्रेस की समस्या यह है कि इस इलाके में बीजेपी काफी मजबूत है. वहीं पार्टी को दूसरा पसोपेश पडरौना जैसी कुछ सीटों को लेकर जहां लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नंबर 2 पर रही थी, इसलिए वह नहीं चाहती कि वह अपनी अच्छी सीटें, जिसमें जीतने की संभावना है, वह हाथ से ना जाएं.

Advertisement
Advertisement