उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बसपा प्रमुख मायावती ने विरोधियों पर हमले तेज कर दिए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस कर पीएम मोदी से लेकर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधा. मायावती ने यहां तक कह दिया कि यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन का भविष्य बीजेपी पर निर्भर है.
मायावती साल 2012 से यूपी की सत्ता से बाहर हैं. नवंबर में पीएम मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया तो कहा गया कि केंद्र सरकार के इस कदम का यूपी चुनावों में उसे फायदा होगा. दावा किया गया कि चुनावों में पैसे का खेल अब नहीं चलेगा, ऐसे में धन-बल के बूते जीतने वाली पार्टियों को नोटबंदी का नुकसान उठाना पड़ेगा. बीएसपी ही नहीं, सूबे की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी नोटबंदी के फैसले को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोल दिया.
बीजेपी का कहना है कि नोटबंदी से इन तीनों पार्टियों के भीतर बेचैनी है. इन पार्टियों के लोग कमीशन पर नोट बदलने में लगे हुए हैं और नोटबंदी को लेकर जनता को गुमराह करने की साजिश कर रहे हैं. बीजेपी का मानना है कि नोटबंदी के फैसले से जनता को परेशानी जरूर हो रही है लेकिन यह उम्मीद भी है कि इसे जनता का समर्थन मिल रहा है और भगवा पार्टी को इससे चुनावों में फायदा होगा.
अब मायावती कह रही हैं कि यूपी में सपा का गठबंधन बीजेपी के दबाव में हो रहा है. मायावती ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'कांग्रेस और सपा के गठबंधन का आखिरी फैसला बीजेपी के नफे, नुकसान और इशारे पर ही होगा.' मायावती ने कहा कि गठबंधन के लिए बीजेपी हरी झंडी दिखाएगी और यह तभी दिखाएगी जब उसे लगेगा कि गठबंधन से उसे चुनाव में जरूर फायदा होगा. बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई की मदद से मुलायम सिंह यादव पर कांग्रेस से गठजोड़ के लिए दबाव बना रही है.
यहां गौर करने वाली बात है कि मायावती मुलायम पर जिस तरह के आरोप को लेकर संकेत दे रही हैं, हकीकत इसके उलट है. मायावती और मुलायम, दोनों ही आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर चर्चा में रहे हैं. ताजा स्थिति यह है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में सपा मुखिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है जबकि शीर्ष अदालत ऐसे ही मामले में मायावती के खिलाफ सुनवाई को राजी हो गया है. यही नहीं, इनकम टैक्स विभाग ने मायावती के भाई आनंद कुमार के खिलाफ बेनामी संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है.
ऐसे हालात में पीएम मोदी और सपा मुखिया को लेकर मायावती की बौखलाहट को उनकी पार्टी की आगामी चुनावों में संभावनाओं के मद्देनजर भी देखा जा सकता है. विधानसभा चुनाव को लेकर अब तक हुए ओपिनियन पोल मायावती की पार्टी को तीसरे नंबर दिखा रहे हैं. मायावती को शायद इस बात को भी लेकर आशंका है कि अगर सपा-कांग्रेस का गठजोड़ हुआ तो उनकी सत्ता में वापसी की उम्मीदें कम हो जाएंगी. बसपा इस बार के चुनाव में मुस्लिम वोटरों पर दाव लगाने की तैयारी में है. अगर सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाना बसपा के लिए आसान नहीं होगा.