उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन तलाश रही कांग्रेस के लिए सपा खेमे में घमासान एक तरह से खुशखबरी है. कांग्रेस और अखिलेश दोनों पिछले दिनों गठबंधन के संकेत दे चुके हैं. कांग्रेस को लगता है कि सपा में टूट के बाद अगर अखिलेश के साथ गठबंधन हो जाता है तो फिर अखिलेश की छवि के साथ यूपी चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. राहुल गांधी भी अखिलेश को लेकर सहज दिखते हैं.
अखिलेश और कांग्रेस के बीच इन 8 वजहों से मेल-मिलाप की बातें जोर पकड़ रही हैं.
1. अखिलेश यादव की छवि विकास पुरुष की बन चुकी है. सीएम पद पर रहते हुए अखिलेश अपनी छवि को निखारने में कामयाब रहे हैं. अखिलेश की लोकप्रियता मुलायम और दूसरे सपा नेताओं की तुलना में अधिक है.
2. अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. पिछले दिनों किसान यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक सभा में अच्छे काम को लेकर अखिलेश का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि अखिलेश अच्छा लड़का है.
3. विकास को लेकर अखिलेश के एजेंडे और राहुल की नीतियां कुछ हद तक मेल खाती हैं. अपने अभियान के दौरान कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए विकास मुद्दा उठा रही है. अखिलेश भी लोगों से विकास को देखकर वोट करने की अपील कर रहे हैं.
4. अखिलेश खासकर मध्यवर्ग और नौजवनों में लोकप्रिय हैं. जबकि राहुल भी हमेशा युवाओं की बात करते हैं.
5. अखिलेश हमेशा साफ-सुथरी राजनीति का दावा करते हैं. कई मौकों पर पार्टी में ही उन्होंने अपराधिक छवि के नेताओं का विरोध किया है. कांग्रेस भी इस मोर्चे पर अखिलेश को साथ देने के लिए तैयार है.
6. राहुल और अखिलेश दोनों तकनीक प्रेमी युवा पीढ़ी के साथ राजनीति को नई पहचान देना चाहते हैं. इस कड़ी में आरएलडी नेता जयंत चौधरी का नाम भी आता है, जो युवा हैं और युवाओं में लोकप्रिय भी हैं.
7. फिलहाल उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ एक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बनाने में अखिलेश बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि अखिलेश ने अपनी छवि को तक अभी तक विवादों से दूर रखा है.
8. कांग्रेस को लगता है कि अखिलेश के साथ सपा के तीन/चौथाई विधायक हैं. भले ही पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव हैं, ऐसे में टूट का फायदा अखिलेश से हाथ मिलाने पर कांग्रेस को मिल सकता है.