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RSS ने काटा मनोज सिन्हा का पत्ता? योगी के शपथ ग्रहण से रहे दूर

यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई है. गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यानाथ ने सीएम पद का शपथ ले लिया. प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा भी उप-मुख्यमंत्री बन गए. इनके शपथ ग्रहण को भव्य बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित यूपी और देश भर से बड़े बीजेपी नेता लखनऊ पहुंचे. लेकिन सीएम की रेस में अंतिम समय तक आगे रहने वाले केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा कहीं नहीं दिखाई दिए. वह लखनऊ से 350 किमी दूर गाजीपुर में अपने संसदीय क्षेत्र में रहे.

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केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा
केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा

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यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई है. गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यानाथ ने सीएम पद का शपथ ले लिया. प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा भी उप-मुख्यमंत्री बन गए. इनके शपथ ग्रहण को भव्य बनाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित यूपी और देश भर से बड़े बीजेपी नेता लखनऊ पहुंचे. लेकिन सीएम की रेस में अंतिम समय तक आगे रहने वाले केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा कहीं नहीं दिखाई दिए. वह लखनऊ से 350 किमी दूर गाजीपुर में अपने संसदीय क्षेत्र में रहे.

केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा पिछले छह महीने से यूपी के सीएम पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी चाहते थे कि वह यूपी के सीएम बन जाएं, लेकिन ऐन वक्त पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरफ से लाल झंडी मिलने के बाद उनका नाम काट कर योगी के सिर पर ताज पहना दिया गया. हिन्दुस्तान टाइम्स की माने तो होली के बाद आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक में उनके पर विचार किया गया, लेकिन आरएसएस उन्हें सीएम नहीं बनाना चाहता था.

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आरएसएस और बीजेपी के बीच समन्वय का काम करने वाले ज्वाइंट सेक्रेटरी कृष्ण गोपाल सीएम पद के लिए मनोज सिन्हा के नाम के खिलाफ थे. 90 के दौर में कृष्ण गोपाल जब पूर्वांचल में आरएसएस के प्रचारक थे, उस वक्त भी मनोज सिन्हा सांसद थे. वैचारिक स्तर पर दोनों के बीच रस्साकसी चलती रहती थी. भूमिहार जाति से ताल्लुक रखने वाले मनोज सिन्हा पर आरोप था कि वह एक खास जाति के लोगों के लिए काम करते हैं. आरएसएस चाहती थी कि कोई ऐसा शख्स सीएम बने जो जाति व्यवस्था से उपर होकर सूबे में काम करे.

बताया जा रहा है कि अंतिम समय तक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह मनोज सिन्हा के पक्ष में ही थे. उन्हें संकेत भी दे दिया गया था. यही वजह है कि वह शपथ ग्रहण के दो दिन पहले ही अपने गृहनगर आ गए थे. उस वक्त ये भी कहा गया कि वह वाराणसी में काल भैरव और बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद अपने पैतृक नगर में कुल देवता का आशीर्वाद लेंगे और 19 मार्च को सीएम पद की शपथ लेंगे, लेकिन 18 मार्च को पूरी कहानी बदल गई. आरएसएस के दखल के बाद पीएम मोदी ने खुद योगी के नाम को आगे बढ़ा दिया.

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बताते चलें कि इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, अनंत कुमार, रविशंकर प्रसाद, उमा भारती, कलराज मिश्र के साथ ही 9 राज्यों के सीएम मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान, गोवा से मनोहर पर्रिकर, महाराष्ट्र से देवेंद्र फड़णवीस, आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू, अरुणाचल प्रदेश से पेमा खांडू, छत्तीसगढ़ से डॉ. रमन सिंह, असम से सर्बानंद सोनोवाल, गुजरात से विजय रूपानी, उत्तराखंड से त्रिवेंद्र सिंह रावत शामिल हुए.

 

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