उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के शुरुआती रुझान से साफ हो चुका है कि वोटरों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर करते हुए बीजेपी को एक बार फिर राज्य की कमान सौंपने का फरमान दे दिया है. दो महीने तक चले प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विपक्षी बीजेपी पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड़ा. राज्य में उत्तराखंड को मिलती बढ़त से धीरे-धीरे स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि राज्य में अगला मुख्यमंत्री बीजेपी का बनने वाला है.
क्यों उत्तराखंड की फर्स्ट च्वाइस बनी बीजेपी
उत्तराखंड का इतिहास रहा है कि उसने हर बार चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी को बाहर का रास्ता दिखाया है और विपक्ष को सरकार बनाने का मौका दिया है. एक बार फिर राज्य के वोटरों ने इस इतिहास को दोहरा दिया है. इसके संकेत साफ तौर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत की हरिद्वार रूरल और किच्छा सीट से मिल रहे हैं, जहां वह बड़े अंतर से पीछे चल रहे हैं.
पलट गई बाजी
राज्य विधानसभा में कुल 70 सीट हैं. 2012 चुनावों में कांग्रेस ने 32 सीट पर जीत हासिल कर 31 सीट वाली बीजेपी से ऊपर थी. वहीं बीएसपी के पास 3 सीट और अन्य के खाते में 4 सीटें थीं. मौजूदा चुनावों में रुझानों से साफ हो चुका है कि बीजेपी 50 से अधिक सीटों पर बढ़त होने के कारण एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार की तरफ बढ़ रही है. वहीं सत्तारुढ़ कांग्रेस महज 6-7 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. खास बात यह है कि पिछले चुनाव में 3 सीट जीतकर अहम रोल में आई बीएसपी इस बार राज्य में अपना खाता खोलने के लिए इंतजार में है.
ये दिग्गज भी हार की ओर
उत्तराखंड में कांग्रेस की दिग्गज नेता और सरकार में नंबर दो मानी जाने वाली वित्तमंत्री इंदिरा ह्दयेश हल्दवानी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला से काफी पीछे चल रही हैं. हल्दवानी में बीजेपी समर्थकों का जश्न शुरू हो चुका है और रुझान में बड़े अंतर के चलते बीजेपी की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है.
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